न्याय के मंदिर में जज साहब हुए घनचक्कर, आपको भी चकरा देगा सरकारी वकील का ‘खेला’

जयपुर

राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर बेंच में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। बुधवार 30 अप्रैल को एक प्रकरण की सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से नियुक्त वकील के स्थान पर कोई दूसरा वकील खड़ा हो गया। सरकारी वकील नहीं होने के बावजूद भी एक प्रकरण में सरकार की पैरवी करता रहा। काफी देर तक बहस चलती रही। इस दौरान जज तक जानकारी पहुंची कि जो व्यक्ति सरकारी वकील के रूप में जिरह कर रहा है। वह सरकारी वकील नहीं है। यह सुनकर जज साहब हैरान रह गए। फिर क्या था। जज साहब ने वहीं पर सरकारी वकील बनकर आए वकील की क्लास लगा डाली। साथ ही सरकार को भी नोटिस जारी करके पूछा कि क्या सरकारी वकील के स्थान पर कोई दूसरा वकील बहस कर सकता है।

आप सरकारी वकील नहीं हैं तो यहां कैसे आ गए
बुधवार को जयपुर स्थित एक संपत्ति पर दावा करते हुए सरकार ने हाईकोर्ट में द्वितीय अपील दायर की थी। इस मामले की सुनवाई जस्टिस गणेश राम मीणा की अदालत में चल रही थी। इस सुनवाई के दौरान सरकारी वकील के स्थान पर कोई दूसरा वकील बहस कर रहा था। जब यह मामला जज के संज्ञान में आया तो उन्होंने बहस करने वाले वकील से पूछा। क्या आप सरकारी वकील हैं। वकील ने जवाब दिया – नहीं। इसके बाद जस्टिस ने नाराज होते हुए कहा कि जब आप सरकारी वकील है ही नहीं तो यहां क्या कर रहे हैं। इस पर उस वकील ने कहा कि वह अतिरिक्त महाधिवक्ता के बी-हाफ (उनके स्थान पर) बहस कर रहे हैं।

जस्टिस ने सरकार से मांगा जवाब, हाथों हाथ देना पड़ा जवाब
सरकारी वकील नहीं होते हुए भी एक वकील द्वारा सरकारी मामलों की पैरवी करने आने के मामले को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया। हाईकोर्ट ने तुरंत सरकार को नोटिस जारी किया और जाना कि क्या सरकारी वकील से स्थान पर कोई अन्य वकील बहस करने आ सकता है। कोर्ट ने शपथ पत्र के साथ जवाब देने को कहा। इसके कुछ ही देर बाद प्रमुख शासन सचिव विधि की ओर से हाईकोर्ट में शपथ पत्र पेश करके कहा गया कि सरकार के किसी भी मामले में सरकारी अधिवक्ता के स्थान पर कोई दूसरा अधिवक्ता (जिसे सरकार ने मैटर नहीं दिया हो) पैरवी नहीं कर सकता है। सरकार ने अपने जवाब में स्पष्ट किया कि अतिरिक्त महाधिवक्ता का असिस्टेंट (जूनियर) उनकी जगह बहस नहीं सकता। वह मामले को स्थगित करवाने का आग्रह कर सकता है। नई तारीख ले सकता है और एएजी की जगह नोटिस रिसीव कर सकता है, लेकिन किसी भी सूरत में उनकी जगह मामले में बहस नहीं कर सकता।

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