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Tuesday, July 8, 2025
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नाबालिग छात्रा ने जीभ काटकर शिवलिंग पर चढ़ाया, 24 घंटे से साधना में लीन, परिजनों ने पुलिस को नहीं जाने दिया मंदिर के अंदर

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सक्ती

छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले में हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां 11वीं क्लास की एक छात्रा ने अपनी जीभ काटकर भगवान शिव के मंदिर में चढ़ा दिया। छात्रा की पहचान आरुषि चौहान के रूप में हुई है। उसकी उम्र 16 साल बताई जा रही है। छात्रा के जीभ काटने के बाद वह मंदिर परिसर में साधना में लीन हो गई है। जीभ काटने से पहले छात्रा ने एक नोट भी लिखा है। उसने नोट में लिखा है कि वह दो दिनों तक साधना में लीन रहेगी और उससे पहले उठ गई तो उसका मर्डर हो जाएगा।

2 दिन तक साधना में लीन रहेगी छात्रा
छात्रा के जीभ काटकर चढ़ाने के बाद परिवार और गांव में सन्नाटा पसर गया है। घरवालों का कहना है कि छात्रा 2 दिनों तक साधना में लीन रहेगी। घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस की टीम मौके पर पहुंची लेकिन परिजनों और ग्रामीणों ने पुलिस और डॉक्टरों को मंदिर के अंदर नहीं जाने दिया। मामला सक्ती जिले के डभरा थाना क्षेत्र के देवरघटा के अचरीपाली गांव का है। घटना सोमवार की है। मंगलवार को भी छात्रा साधना में बैठी हुई है। मंदिर के बाहर ग्रामीणों का तांता लगा हुआ है।

मन्नत मांगी थी इसलिए ऐसा किया
छात्रा के परिजनों ने कहा- बेटी ने छोटी सी मन्नत मांगी थी। इसके लिए वह हर सोमवार को भगवान शिव की पूजा करती थी। अभी उसकी हालत ठीक है। वह मंदिर के अंदर साधना में लीन है। उसे जिस सामान की आवश्यकता होती है वह उस सामान की लिस्ट लिखकर अंदर से बाहर भेज रही है।

सरपंच ने कहा- ग्रामीणों ने टीम को नहीं जाने दिया अंदर
वहीं गांव के सरपंच खेम साहू ने बताया कि घटना सोमवार रात की है। घटना की जानकारी मिलते ही मौके पर एसडीएम और एसडीओपी टीम के साथ गांव पहुंचे थे। छात्रा ने भक्ति और आस्था के कारण अपनी जीभ काटकर शिवलिंग पर चढ़ाया है। परिवार के लोग और ग्रामीण मंदिर में मौजूद हैं। वह किसी को भी अंदर नहीं जाने दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि परिजनों से जानकारी मिली है कि छात्रा की तबियत अब ठीक है।

डॉक्टरों के साथ पहुंची थी टीम
मौके पर पहुंचे एसडीओपी और एसडीएम के परिजनों और ग्रामीणों को समझाया लेकिन ग्रामीण नहीं माने। एसडीओपी सुमित गुप्ता ने बताया- पुलिस टीम और एसडीएम, तहसीलदार सभी ने मौके पर पहुंचकर समझाया लेकिन छात्रा के परिजन नहीं माने। उसे अस्पताल लेकर नहीं जाने दिए।

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