रूस-चीन के ‘ब्रह्मास्‍त्र’ होंगे फेल, अमेरिका ने बनाया हाइपरसोनिक मिसाइलों का काल

वॉशिंगटन

चीन और रूस के बढ़ते हथियार, अमेरिका के लिए चिंता का विषय बन गए हैं। अब अपनी चिंताओं को कम करने और इन देशों को जवाब देने के लिए अमेरिका ने 19वीं सदी के हवाई युद्ध फॉर्मूले को फिर से अपनाया है। रूस और चीन की हाइपरसोनिक मिसाइल को ट्रैक करने और इन्‍हें फेल करने के मकसद से अमेरिकी मिलिट्री ने हॉट एयर बैलून का प्रयोग फिर से शुरू करने पर विचार कर रही है। इन बैलून का प्रयोग एरियल सर्विलांस के लिए भी किया जाएगा। अमेरिकी मैगजीन पोलिटिको की तरफ से बताया गया है कि 60,000 से 90,000 फीट की ऊंचाई पर मौजूद रहने वाले ये गुब्‍बारे अमेरिका के सैटलाइट सर्विलांस नेटवर्क के लिए बड़ी मदद हो सकते हैं।

क्‍या है इनका मकसद
अमेरिकी विशेषज्ञों की मानें तो इन गुब्‍बारों का प्रयोग हाइपरसोनिक हथियारों को ट्रैक करने के लिए किया जाएगा। पेंटागन के बजट डॉक्‍यूमेंट्स जो पिछले दो सालों के हैं उन पर अगर यकीन करें तो रक्षा विभाग की तरफ से अब तक 3.8 मिलियन डॉलर की रकम बैलून प्रोजेक्‍ट्स पर खर्च की जा चुकी है। जबकि साल 2023 के वित्‍तीय वर्ष में योजना 27.1 मिलियन डॉलर तक खर्च करने की है। अगर ऐसा होता है तो फिर ऊंचाई पर मौजूद सर्विलांस बैलून पर होने वाला खर्च 7 गुना तक बढ़ जाएगा।

एक विशेष सिस्‍टम की अगर बात करें तो पेंटागनUS Hot air balloon: 90,000 फीट पर अमेरिका के गुब्‍बारे करेंगे रूस और चीन की हर मिसाइल को फेल ने कोवर्ट लॉन्‍ग डेवल स्‍ट्रैटोस्‍फेरिक आर्किटेक्‍चर (COLD STAR) को बैलून प्रोग्राम के लिए चिन्हित किया है। इस प्रोग्राम को हाल ही में अमेरिकी मिलिट्री को ट्रांसफर किया गया है। हालांकि अभी तक इस प्रोजेक्‍ट से जुड़ी कोई भी विशेष जानकारी सामने नहीं आई है।

सैटेलाइट से सस्‍ते
वॉशिंगटन स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर इंटरनेशनल एंड स्‍ट्रैटेजिक स्‍टडीज (CSIS) में फेलो टॅम कराको की मानें तो बैलून जैसे हाई-ऑल्‍टीट्यूट प्‍लेटफॉर्म काफी फायदेमंद होते हैं क्‍योंकि ये लंबे समय तक टिक सकते हैं। अगर मिसाइल डिफेंस की बात करें तो गुब्‍बारा एयरबॉर्न सेंसर्स का एक बड़ा हिस्‍सा कवर कर सकता है और वो आने वाली क्रूज मिसाइल पर भी नजर रख सकता है।

टेरेस्‍टेरियल सेंसर्स शीत युद्ध के समय से ही मिसाइल डिफेंस की रीढ़ रहे हैं। इन गुब्‍बारों पर खर्च किसी सैटेलाइट के खर्च से बहुत कम होगा। मिलिट्री रिव्‍यू की मानें तो एक गुब्‍बारे को तैयार करने और उसे ऑपरेट करने में 100,000 अमेरिकी डॉलर का खर्च आएगा। जबकि एक इंफ्रारेड सैटेलाइट पर 1.6 बिलियन डॉलर का खर्च आता है।

कैसे होंगे ये हॉट एयर बैलून
इन कोल्‍ड स्‍टार बैलून को बनाने वाली कंपनी रैवेन एरोस्‍टार के इंजीनियरिंग डायरेक्‍टर रसेल वैन डेर वेर्फ ने बताया है कि हर गुब्‍बारे में फ्लाइट कंट्रोल यूनिट होगी। ये यूनिट बैटरीज से चलेगी जिन्‍हें रिन्‍यूबल सोलर पैनल्‍स की मदद से चार्ज किया जाएगा। इसके अलावा फ्लाइट सेफ्टी के लिए पेलोड इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स पैकेज होंगे। इसके साथ ही नेविगेशन और कम्‍युनिकेशंस भी इसका हिस्‍सा होंगे। हर रडार सिस्‍टम में 74 मीटर लंबा रस्‍सी से बंधा हुआ एक गुब्‍बारा, मोबाइल स्‍टेशन, रडार और कम्‍युनिकेशन सिस्‍टम और प्रोसेसिंग स्‍टेशन होगा जो जमीन पर उपकरणों से जुड़ा होगा।

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