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Friday, July 4, 2025
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रूस से तेल खरीदने पर घेरा तो भारत ने अमेरिकी मीडिया को दिखाया आईना, पेट्रोलियम मंत्री के जवाब से बोलती बंद

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वॉशिंगटन

भारत ने अमेरिकी मीडिया को स्‍पष्‍ट तौर पर बता दिया है कि रूस से कितना तेल खरीदा जा रहा है। भारत के पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने अमेरिकी न्‍यूज चैनल सीएनएन के साथ बातचीत में स्‍पष्‍ट कर दिया है कि भारत ने रूस से कुल जरूरत का सिर्फ 0.2 फीसदी तेल ही खरीदा है जबकि ज्‍यादातर तेल इराक से लिया गया है। इस साल फरवरी में रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की शुरुआत हुई थी। इस युद्ध के बाद रूस पर प्रतिबंध लगा दिए गए थे।

भारत पर सवाल
प्रतिबंधों के बाद से ही अमेरिका समेत यूरोप के कई देशों को इस बात से आपत्ति है कि आखिर भारत, रूस से डिस्‍काउंट पर तेल क्‍यों खरीद रहा है। पुरी से पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी इस स्थिति पर दो टूक जवाब दिया था। हरदीप सिंह पुरी ने सीएनएन को बताया कि अगर तुलना की जाये तो यूरोप जितना तेल दोपहर तक में खरीद लेता है, भारत उसका बस एक तिहाई तेल ही रूस से आयात कर रहा है। हरदीप पुरी ने अमेरिकी मीडिया को साफ कर दिया कि पिछले महीने रूस से नहीं बल्कि इराक से सबसे ज्‍यादा तेल खरीदा गया है।

पुरी बोले कोई दबाव नहीं
पुरी ने साफ तौर पर कहा कि भारत इस मसले पर कोई दबाव महसूस नहीं कर रहा है। देश की मोदी सरकार पर कोई भी दबाव नहीं है। देश इस समय पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था है और अपने हित में फैसले लेने में सक्षम है। पुरी ने कहा कि यह सरकार की नैतिक जिम्‍मेदारी है कि वह देश की जनता की जरूरतों को पूरा करे। 1.3 अरब के देश में लोगों के लिए ऊर्जा की आपूर्ति जरूरी है। हरदीप पुरी ने कहा कि सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि देश में तेल की कीमतों में इजाफा न हो। पुरी ने कहा कि भारत किसी देश को ध्‍यान में रखकर तेल नहीं खरीदता बल्कि जरूरतों को ध्‍यान में रखकर आयात करता है। ऐसे में रूस से इतना ज्‍यादा तेल खरीदने पर कोई अफसोस नहीं है।

जयशंकर ने भी यही कहा
इससे पहले जयशंकर ने कहा था कि अभी भारत अपनी जरूरत का एक से दो फीसदी तेल रूस से खरीदता है, जबकि 10 फीसदी तेल अमेरिका से आयात करता है। अमेरिका के राष्‍ट्रपति जो बाइडेन ने कहा था कि रूस से अपने तेल आयात में तेजी लाना या इसे बढ़ाना भारत के हित में नहीं है। विदेश मंत्री ने कहा था कि भारत, रूस से कितना तेल खरीद रहा है, इस पर ध्‍यान देने से बेहतर होगा एक बार यूरोप के आंकड़े भी देख लिए जाऐं। भारत, रूस से सिर्फ अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए ऊर्जा की चीजें खरीदता है।

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