12.7 C
London
Friday, July 4, 2025
Homeअंतराष्ट्रीयराम से इतना लगाव: नेपाल में शिलाओं के स्पर्श को उमड़ रहा...

राम से इतना लगाव: नेपाल में शिलाओं के स्पर्श को उमड़ रहा जनसैलाब, जनकपुर में अनुष्ठान

Published on

जनकपुरधाम,

श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर की मूर्ति के लिए नेपाल से निकली देवशिला शनिवार देर रात को मिथिला नगरी जनकपुरधाम पहुंच गई. जनकपुरधाम के जानकी मंदिर प्रांगण में पहुंचने पर देवशिला का मुख्य महंत राम तपेश्वर दास ने स्वागत किया. इस मौके पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटी थी.

जनकपुर के जानकी मंदिर परिसर में रात 11 बजे देवशिला का आगमन होते नेपाल के नागरिकों की भारी भीड़ उमड़ी. जनकपुर प्रवेश करने पर आम जनता ने शिला शोभा यात्रा का स्वागत किया. नेपाल के सांसद मंत्रियों ने पंडितों की मौजूदगी में देवशिला को पूजा और वस्त्रदान किया. यही नहीं, शिला के आगमन पर कहीं शांतिपाठ तो कहीं वैदिक मंत्रोच्चार के साथ स्वागत किया गया.

इससे पहले नेपाल स्थित मुक्तिनाथधाम से पोखरा होते हुए जनकपुरधाम तक के रास्ते में पड़ने वाले हर शहर, हर गांव और कस्बा में शिला शोभा यात्रा का भव्य स्वागत किया गया. हर चौक चौराहों पर श्रद्धालुओं की भीड़ देखी गई. दर्शन के लिए हर उम्र और हर क्षेत्र के लोग आते रहे और देवशिला की पूजा करते रहे.

देवशिला का दर्शन करने आए श्रद्धालु कहीं भजन कीर्तन करते नजर आए, तो कहीं नाचना गाना चल रहा था. कहीं अगरबत्ती और धूप दीप दिखाई दे रही थी, तो कहीं लोग फल-फूल और वस्त्र दान करते नजर आए. त्रेता युग से मिथिला और अयोध्या का संबंध रहा है और एक बार फिर अयोध्या में बनने वाली रामलला की मूर्ति के लिए उसी मिथिला की तरफ से देवशिला का सौंपा जाना युगों-युगों से चली आ रही परंपरा की निरंतरता है.

‘शिला का दर्शन मेरे लिए सौभाग्य’
जनकपुर के जानकी मंदिर में देवशिला का दर्शन करने आई 97 वर्ष की बुजुर्ग महिला का कहना था कि भगवान के दर्शन का सौभाग्य मिल गया. अयोध्या कभी जा पाऊंगी या नहीं, लेकिन आज अयोध्या जा रही शिला का दर्शन यहीं करना मेरे लिए पुण्य के समान है.

‘नेपाल और भारत के संबंध होंगे मजबूत’
वहीं, इसको लेकर पाषाण अध्ययन और उत्खनन विशेषज्ञ कुलराज चालिसे का कहना था कि भारत सरकार की तरफ से नेपाल से देवशिला अयोध्या में राम मूर्ति निर्माण के लिए ले जाने का निर्णय लिया गया है. यह बहुत ही महत्वपूर्ण है. इससे नेपाल और भारत के सांस्कृतिक संबंधों को और अधिक मजबूती मिलेगी.

काली गंडकी नदी के शालिग्राम पत्थर से बनेगी रामलला की मूर्ति
रामलला की मूर्ति उनकी ससुराल मिथिला यानी नेपाल की गंडकी नदी के शालिग्राम पत्थर से तैयार की जाएगी. नेपाल के पोखरा में गंडकी नदी से शालिग्राम पत्थर की दो शिलाओं को क्रेन की मदद से बड़े ट्रक में लोड किया गया. इन दोनों शिलाखंडों का कुल वजन 127 क्विंटल है. इन पत्थरों को सबसे पहले पोखरा से नेपाल के जनकपुर लाया गया. जहां मुख्य मंदिर में उसकी पूजा अर्चना की जा रही है. शुक्रवार को जनकपुर के मुख्य मंदिर में पहुंचे इन शिलाखंडों का दो दिवसीय अनुष्ठान प्रारंभ हुआ. विशेष अनुष्ठान के बाद यह शिलाएं बिहार के मधुबनी बॉर्डर से भारत में प्रवेश करेंगी और अलग-अलग स्थानों पर रुकते हुए 31 जनवरी की दोपहर बाद गोरखपुर के गोरक्षपीठ पहुंचेगीं. वहां से 2 फरवरी को अयोध्या लाई जाएंगीं.

जनकपुर (नेपाल) में विशेष अनुष्ठान और पूजन के बाद 30 जनवरी यानी सोमवार की सुबह लगभग 8:30 बजे शालिग्राम शिलाएं भारतीय सीमा यानी बिहार के मधुबनी जिले में प्रवेश करेंगी. बिहार के मधुबनी से साहरघाट प्रखंड तक पहुंचेंगी. वहां से कंपोल स्टेशन होते हुए दरभंगा के माधवी से मुजफ्फरपुर आएंगी. मुजफ्फरपुर से त्रिपुरा कोठी गोपालगंज होते हुए सासामुसा बॉर्डर से यूपी में प्रवेश करेंगी.

गोरक्षपीठ में होगी शालिग्राम खंडों की पूजा
यूपी में प्रवेश के बाद यह शिलाखंड गोरखपुर के गोरक्षपीठ लाई जाएंगी. 31 जनवरी को लगभग बजे यह शिलाएं गोरक्ष पीठ पहुंचेंगी. जहां इन शालिग्राम शिलाओं की पूरे विधि वधान से पूजा अर्चना भी होगी. सूत्रों की मानें तो इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी वहां मौजूद रह सकते हैं. 31 जनवरी को शिला लेकर आ रहा पूरा काफिला गोरक्ष पीठ मंदिर में ही विश्राम करेगा. गोरखपुर से चलकर 2 जनवरी को यह शिलाएं अयोध्या पहुंचेंगी. अयोध्या में भी संत-महंत इसका विधिवत पूजन अर्चन करेंगे. नेपाल से अयोध्या पहुंचने के बीच शिला लेकर आ रहा यह पूरा काफिला प्रतिदिन लगभग 125 किलोमीटर का सफर तय करेगा. बता दें कि शिलाओं के साथ बड़ी संख्या में नेपाल और भारत के साधु-संतों के संग विश्व हिंदू परिषद बजरंग दल और हिंदूवादी संगठनों के कई बड़े पदाधिकारी भी मौजूद हैं.

नेपाल की जनता की श्रद्धा देख संत-महंत अभिभूत
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने Aajtak को बताया, जब शालिग्राम की शिलाएं लेकर पोखरा से निकले तो रास्ते में सड़कों के दोनों तरफ नेपाल के लोग खड़े दिखे. जो इस तरह शिलाओं का पूजन अर्चन कर रहे थे जैसे कि त्रेता युग आ गया हो. मिथिला में तो रामलला के प्रति इतनी श्रद्धा और स्नेह दिखाई दिया, जिसको देखने के बाद मैं बस अभिभूत हो गया और उसको बोलने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है.

खास बात यह है कि इन शिलाखंडों को लेकर आ रहे लोगों में जनकपुर मंदिर के मुख्य महंत और वहां के साधु संत तो हैं ही, रास्ते में बिहार के प्रमुख मठ मंदिरों के साधु-संत भी इसमें शामिल होते जाएंगे और यूपी में प्रवेश के पहले नेपाल के स्थानीय लोग बॉर्डर तक छोड़ने जाएंगे. वहीं, यूपी में प्रवेश के साथ ही बिहार के अलग-अलग मंदिरों के साधु संत और स्थानीय लोग पुष्पवर्षा और पूजन-अर्चन करते रहेंगे. यह सिलसिला अयोध्या तक जारी रहेगा.

क्या है शालिग्राम पत्थरों की मान्यता?
शालिग्राम पत्थरों को शास्त्रों में विष्णु स्वरूप माना जाता है. वैष्णव शालिग्राम भगवान की पूजा करते हैं, इसलिए यह पूरा पत्थर शालिग्राम है. नेपाल की गंडकी नदी में अधिकतर इसको पाया जाता है. हिमालय के रास्ते में पानी चट्टान से टकराकर इस पत्थर को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ देता है और नेपाल के लोग इन पत्थरों को खोज कर निकालते हैं और उसकी पूजा करते हैं. रामलला की मूर्ति तैयार करने के लिए लाए जा रहे दोनों पत्थरों का कुल वजन 127 क्विंटल है. इतने बड़े पत्थरों को तलाशने के लिए लंबा समय लगता है, इसलिए महीनों की खोज के बाद शालिग्राम पत्थर के इतने बड़े टुकड़े मिल पाए हैं.

Latest articles

America Sanctions on Iran:8000 करोड़ के तेल व्यापार पर प्रतिबंध, हिजबुल्लाह से कनेक्शन

America Sanctions on Iran: अमेरिका ने एक बार फिर ईरान के लगभग एक अरब...

Lucky Zodiac Signs: 4 जुलाई को इन 5 राशियों की चमकेगी किस्मत हर काम में मिलेगी सफलता

Lucky Zodiac Signs: ज्योतिषाचार्य हर्षवर्धन शांडिल्य के अनुसार, 4 जुलाई 2025 का दिन कुछ...

बीएचईएल के जीएम श्रीनिवास राव का तबादला एचबीजी नोएडा

भेल भोपालबीएचईएल के जीएम श्रीनिवास राव का तबादला एचबीजी नोएडा,भेल भोपाल यूनिट के महाप्रबंधक...

More like this

America Sanctions on Iran:8000 करोड़ के तेल व्यापार पर प्रतिबंध, हिजबुल्लाह से कनेक्शन

America Sanctions on Iran: अमेरिका ने एक बार फिर ईरान के लगभग एक अरब...

Adani Green Energy Plant: 15000 मेगावाट ऑपरेशनल क्षमता पार करने वाली भारत की पहली कंपनी बनी

Adani Green Energy Plant: भारत की सबसे बड़ी नवीकरणीय ऊर्जा कंपनी अदानी ग्रीन एनर्जी...

Trump Terminates Trade With Canada: सभी व्यापारिक संबंध तुरंत ख़त्म डिजिटल सर्विस टैक्स बना वजह

Trump Terminates Trade With Canada: सभी व्यापारिक संबंध तुरंत ख़त्म डिजिटल सर्विस टैक्स बना...