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Monday, August 4, 2025
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भारत-रूस के रेकॉर्ड व्‍यापार से बौखलाया अमेरिका, तेल खरीदी पर लगाया ग्रहण, क्या बंद हो जाएगा आयात?

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मॉस्को:

रूस पर ताजा अमेरिकी प्रतिबंधों से भारत की रूसी तेल खरीद में कमी आने का खतरा है। भारत रूसी कच्चे तेल का सबसे बड़ा खरीदार है। भारत ने रूस के साथ लंबे समय के लिए तेल खरीद का समझौता किया है। इन समझौतों में भारत की कई सरकारी तेल कंपनियां शामिल हैं। अमेरिका ने यूक्रेन पर रूस के हमले की दूसरी वर्षगांठ मनाने और विपक्षी नेता एलेक्सी नवलनी की मौत का बदला लेने के लिए शुक्रवार को प्रतिबंधों का ऐलान किया था। अमेरिकी प्रतिबंधों के निशाने पर रूस के प्रमुख टैंकर समूह सोवकॉम्फ्लोट है। अमेरिका ने इस रूसी टैंकर समूह पर रूसी तेल पर जी7 की मूल्य सीमा का उल्लंघन करने में शामिल होने का आरोप लगाया था। सोवकॉम्फ्लोट के पास 14 कच्चे तेल टैंकर का बेड़ा है।

अमेरिकी प्रतिबंधों से टेंशन में भारत
सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि अमेरिकी प्रतिबंधों से भारतीय रिफाइनरियां और तेल कंपनियां चिंतित हैं। उन्हें डर है कि नए प्रतिबंधों से रूसी तेल के आयात के लिए टैंकर जहाजों को प्राप्त करने में चुनौतियां आ सकती हैं। इससे माल ढुलाई की दरें बढ़ सकती हैं। अगर ऐसा होता है तो रूसी तेल के लिए छूट कम हो सकती है, जो व्यापारियों और रूसी कंपनियों से डिलीवरी के आधार पर खरीदा जाता है। इसके अलावा, मॉस्को को आगे के प्रतिबंधों के जोखिम से बचने के लिए व्यापारियों के माध्यम से और भी अधिक वॉल्यूम बढ़ाना पड़ सकता है, जिससे अनिश्चितताएं बढ़ जाएंगी।

रूस से तेल क्यों खरीद रहा भारत
भारत ने साल 2022 से पहले रूस से इसलिए तेल नहीं खरीदता था, क्योंकि उसकी ढुलाई की लागत बहुत ज्यादा होती थी। लेकिन, यूरोप के रूसी तेल आयात पर प्रतिबंध लगने के बाद दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल आयातक देश भारत की कंपनियां कम कीमतों के कारण बड़ी मात्रा में रूसी तेल को खरीदती हैं। रूस 2023 में भारत के शीर्ष तेल आपूर्तिकर्ता वाले देश के रूप में उभरा था। टर्म डील और स्पॉट मार्केट खरीद के माध्यम से भारत ने 2022 में औसत 652,000 बीपीडी की तुलना में 2023 में प्रति दिन लगभग 1.66 मिलियन बैरल रूसी तेल का आयात किया।

भारत की किन कंपनियों को होगा नुकसान
भारतीय तेल कंपनियां इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन 1 अप्रैल से शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए 400,000 बीपीडी रूसी तेल खरीदने के लिए रूसी कंपनी रोसनेफ्ट के साथ संयुक्त रूप से बातचीत कर रही हैं। सूत्रों ने बताया है कि इस अवधि के दौरान होने वाले सौदे के तहत तेल की अंतिम मात्रा रूस से मिलने वाली भुगतान शर्ते और छूट पर निर्भर करेंगी। बताया जा रहा है कि रोसनेफ्ट ने दुबई की कीमतों पर $3-$3.50 प्रति बैरल की छूट की पेशकश की है, जो इंडियन ऑयल के रोसनेफ्ट के साथ मौजूदा सौदे से महंगा है। हालांकि, यह सौदा 31 मार्च को समाप्त हो रहा है।

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