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Wednesday, July 2, 2025
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डॉक्टरों ने बनाई ऐसी दवा दोबारा नहीं होगा कैंसर, जानलेवा साइड इफेक्ट्स करेगी कम

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मुंबई,

देशभर में हर साल बड़ी संख्या में लोग कैंसर से जान गंवा देते हैं. हालांकि, अगर शुरुआती स्टेज में यह बीमारी पकड़ में आ जाए तो इसके इलाज के लिए कीमोथेरापी और रेडियोथेरापी का विकल्प उपलब्ध है, लेकिन इसके कई सारे साइड इफेक्ट्स भी हैं. इस दौरान शरीर पूरी तरह से खोखला और जहरीला हो जाता है. इसी को देखते हुए मुंबई के टाटा इंस्टिट्यूट ने एक ऐसी टैबलेट निकाली है जो किसी को दोबारा कैंसर से ग्रसित होने से रोकेगा और साइड इफेक्ट्स को भी कम करेगा.

रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट्स को 50% तक करेगी कम
कैंसर से जूझ रहे लोगों को इलाज में साइड इफेक्ट्स से निजात दिलाने के लिए भारत में प्रमुख कैंसर अनुसंधान और उपचार सुविधा मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ने एक ऐसी दवा तैयार की है जो लोगों में दूसरी बार कैंसर होने से रोकेगा. यह दवा इलाज के दौरान होने वाले रेडियो और कीमोथेरेपी जैसे उपचारों के दुष्प्रभावों को भी 50 प्रतिशत तक कम कर देगी.

टाटा अस्पताल की रिसर्च टीम ने इस दवा को शुरुआती दिनों चूहों पर आजमाया. इसमें चूहों को रेस्वेराट्रोल और कॉपर (आर+सीयू) के साथ प्रो-ऑक्सीडेंट गोलियां दी गई. बता दें R+Cu ऑक्सीजन रेडिकल उत्पन्न करता है. यह क्रोमैटिन कणों को नष्ट करता है. इस दवा के प्रयोग के लिए चूहों में मानव कैंसर कोशिकाएं को डाला गया था.

चूहों में कैंसर कोशिकाएं डालने के बाद उनके अंदर ट्यूमर बना. इसके बाद चूहों का रेडियो थेरापी और कीमोथेरेपी और सर्जरी के साथ इलाज किया गया. इस दौरान पाया गया कि जब ये कैंसर कोशिकाएं मर जाती हैं, तो वे छोटे टुकड़ों में टूट जाती हैं. इन्हें क्रोमैटिन कण कहा जाता है. ये कण रक्तप्रवाह के माध्यम से शरीर के अन्य भागों में जा सकते हैं. जब ये स्वस्थ कोशिकाओं में प्रवेश करते हैं तो उसे भी कैंसरग्रस्त बना देते हैं. इस वजह से कैंसर से नष्ट होने के बाद भी वापस आ सकते हैं. ऐसे में इसे रोकने के लिए इस खास टैबलेट का इस्तेमाल किया.

कैसे लोगों में दोबारा कैंसर होने से रोकेगी यह दवा
वैज्ञानिक भाषा में समझे तो कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी के दौरान मरने वाली कैंसर कोशिकाएं कोशिका-मुक्त क्रोमैटिन कण (सीएफसीएचपी, या क्रोमोसोम के टुकड़े) छोड़ती हैं जो स्वस्थ कोशिकाओं को कैंसर कोशिकाओं में बदल सकती है. कुछ सीएफ़सीएचपी स्वस्थ गुणसूत्रों के साथ जुड़ सकते हैं और नए ट्यूमर का कारण बन सकते हैं. इससे दोबारा कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है. यह दवा इसी दोबारा कैंसर के ट्यूमर होने की संभावनाओं को खत्म करेगी और इलाज के दौरान होने वाले साइड इफेक्ट्स से बचाएगी.

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