नई दिल्ली,
संसद के बजट सत्र की शुरुआत हंगामेदार रही. लोकसभा में नीट यूजी परीक्षा में अनियमितताओं को लेकर विपक्षी सांसदों द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा,’पिछले 7 सालों में पेपर लीक का कोई सबूत नहीं मिला है. यह (नीट) मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ कह सकता हूं कि एनटीए (नेशनल टेस्टिंग एजेंसी) के गठन के बाद 240 से अधिक परीक्षाएं सफलतापूर्वक आयोजित की गई हैं. इस दौरान इन विभिन्न परीक्षाओं में 5 करोड़ से ज्यादा छात्रों ने आवेदन किया और 4.5 करोड़ से ज्यादा छात्रों ने इसमें भाग लिया.’
विपक्ष की ओर से समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव और राहुल गांधी ने चार्ज संभाला. प्रश्व पत्र लीक के मामले में शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के जवाब पर पलटवार करते हुए सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने तंज भरे लहजे में कहा, ‘यह सरकार कुछ और करे या न करे, मुझे लगता पेपर लीक का रिकॉर्ड जरूर बनाएगी.’ उन्होंने एनटीए द्वारा नीट यूजी परीक्षा का सेंटर वाइज रिजल्ट अपलोड करने का जिक्र करते हुए कहा, ‘कुछ सेंटर तो ऐसे हैं जहां 2000 से ज्यादा छात्र पास हुए हैं. जब तक यह मंत्री (शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान) हैं, छात्रों को न्याय नहीं मिलेगा.’
कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा, ‘मुद्दा यह है कि देश में लाखों छात्र हैं जो पेपर लीक से बेहद चिंतित हैं. उन्हें लगने लगा है कि भारत की परीक्षा प्रणाली एक धोखाधड़ी है. लाखों लोग मानते हैं कि यदि आप अमीर हैं और आपके पास पैसा है, तो आप भारत की परीक्षा प्रणाली को खरीद सकते हैं और यही भावना विपक्ष की भी है. यह पूरे देश के सामने स्पष्ट है कि हमारी परीक्षा प्रणाली में न केवल NEET बल्कि सभी प्रमुख परीक्षाओं में बहुत गंभीर समस्या है. मंत्री (धर्मेंद्र प्रधान) ने खुद को छोड़कर बाकी सभी को दोषी ठहराया है. मुझे तो लगता है कि हां जो कुछ हो रहा है उसके बुनियादी सिद्धांतों को भी वह नहीं समझते हैं.’
राहुल गांधी ने शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से पूछा कि इस समस्या के समाधान के लिए रणनीतिक स्तर पर आप क्या रहे हैं. पेपर लीक को रोकने के लिए आपने क्या कदम उठाए हैं? राहुल गांधी द्वारा अपनी समझ पर सवाल उठाए जाने और भारत की परीक्षा प्रणाली को फ्रॉड बताने पर धर्मेंद्र प्रधान ने कड़ी आपत्ति जतायी. उन्होंने जवाब देते हुए कहा, ‘मेरी जो शिक्षा है, मेरे जो संस्कार हैं, मेरा जो सामाजिक जीवन है, मुझे मेरे सूबे की जनता की स्वीकृति मिली है. मुझे इस सदन के किसी भी सदस्य से मेरी बौद्धिक क्षमता और संस्कार पर सर्टिफिकेट नहीं चाहिए. देश की जनता ने मेरे नेता नरेंद्र मोदी को चुनकर प्रधानमंत्री बनाया है और मैं उनके निर्णय से यहां सदन को उत्तर दे रहा हूं.’
उनके इतना कहने पर विपक्षी सांसद हंगामा करने लगे. इस पर धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि चिल्लाने से सच झूठ नहीं हो जाएगा. ये जो कहा गया कि देश की परीक्षा प्रणाली फ्रॉड है, देश के नेता प्रतिपक्ष की तरफ से इससे दुर्भाग्यपूर्ण बयान कुछ नहीं हो सकता. मैं कठोर शब्दों में उनके इस बयान की निंदा करता हूं. जिन्होंने रिमोट से सरकारें चलायी हैं, उन्हीं के पार्टी के नेता कपिल सिब्बल 2010 में शिक्षा सुधार के तीन बिल लाए थे. उनमें से एक था प्रोहिबिशन ऑफ अनफेयर प्रैक्टिस बिल, जिसका उद्देश्य शैक्षणिक संस्थानों में अनियमितता पर अंकुश लगाना.
उन्होंने आगे कहा, ‘यह मेरी सरकार की हिम्मत है कि हम हाल ही में सार्वजनिक परीक्षाओं में होने वाली धांधली को रोकने के लिए कानून लेकर आए. क्या मजबूरी थी कि तब उनकी पार्टी ने प्रोहिबिशन ऑफ अनफेयर प्रैक्टिस बिल का विरोध किया था, किसके दबाव में बिल वापस ले लिया था? क्या निजी मेडिकल कॉलेजों की घुसखोरी के दबाव में उन्होंने उस वह बिल वापस ले लिया था. मैं किसी की विद्वता पर प्रश्नचिन्ह नहीं खड़ा कर रहा. लेकिन शिक्षा सुधार पर उन्हीं के नेता बिल लाए थे और दबाव में उनकी पार्टी ने इसे वापस ले लिया था. आज ये हमसे सवाल पूछ रहे हैं.’ धर्मेंद्र प्रधान के इस बयान के बाद विपक्ष ने नारेबाजी शुरू कर दी. हंगामे के कारण लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को सदन की कार्यवाही स्थगित करनी