नई दिल्ली,
बंगाल की खाड़ी में एक डीप डिप्रेशन बना है. यानी मौसम का ऐसा घेरा जो चकरी की तरह घूमते हुए आगे बढ़ेगा. रास्ते में तेज बारिश, बाढ़ जैसी स्थिति पैदा कर देगा. फिलहाल यह कोलकाता से 60 किलोमीटर दूर पश्चिम की तरफ है. जमशेदपुर से 170 किलोमीटर पूर्व और रांची से 270 किलोमीटर दूर पूर्व-दक्षिणपूर्व की तरफ.
यह धीरे-धीरे पश्चिम की तरफ बढ़ेगा. करीब 8 km/hr की गति से. इसकी वजह से बांकुरा, पुरुलिया और पश्चिम मेदनीपोर में तेज से बहुत तेज बारिश का अनुमान है. समंदर में हवा 70km/hr की स्पीड से चल सकती है. मौसम वैज्ञानिकों की माने तो यह तूफान धीरे-धीरे करके दिल्ली की तरफ बढ़ सकता है. इसके रास्ते में यूपी और बिहार आएंगे. हालांकि ये भी कहा जा रहा है कि यह डीप डिप्रेशन से कम होकर अगले 48 घंटे में डिप्रेशन बन जाएगा.
मौसम विभाग की मानें तो उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, बिहार, अरुणाचल प्रदेश, असम और मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा के अलग-अलग इलाकों में बादलों के जमकर बरसने के आसार हैं, इन सभी राज्यों में सात सेमी (70 मिमी) से अधिक पानी गिर सकता है.
अगले कुछ दिनों तक इन राज्यों पर होगा असर
उत्तराखंड, पश्चिमी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, ओडिशा, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम में तूफानी हवाओं के साथ बारिश तथा बिजली गिरने की आशंका जताई गई है. वहीं अरुणाचल प्रदेश, असम और मेघालय, नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा, तमिलनाडु, पुडुचेरी और कराईकल के अलग-अलग हिस्सों में गरज के साथ बारिश तथा बिजली गिरने के आसार हैं. मॉनसून के समय लो प्रेशर सिस्टम यानी कम दबाव का क्षेत्र बनना आम बात है. इसे मॉनसून लो कहते हैं. जो बाद में तीव्र होकर मॉनसून डिप्रेशन में बदल जाता है. मॉनसून में बनने वाले ये लो प्रेशर एरिया और डिप्रेशन लंबे समय तक टिके रहते हैं.
बेतहाशा शहरीकरण से बन रहा है लैंड बेस्ड साइक्लोन
वैज्ञानिकों ने शहरों में इस तरह के मौसम में आने वाली बाढ़ की वजह बेतरतीब अर्बन डेवलपमेंट को माना है. स्टॉर्मवाटर मैनेजमेंट अच्छा नहीं है. जंगल और कॉन्क्रीट के बीच संतुलन नहीं है. रेनवाटर हार्वेस्टिंग नहीं है. इसलिए शहरों में ऐसे मौसम से ज्यादा हालत खराब होती है. इस नई मुसीबत का नाम है जमीन से पैदा होने वाला साइक्लोन (Land Based Cyclone).
कुछ सालों बाद स्थितियां और भी ज्यादा बिगड़ जाएंगी
1982 से 2014 की तुलना में साल 2071 से 2100 के बीच भारत में अत्यधिक बारिश में 18 फीसदी बढ़ोतरी होगी. ये तब की बात है जब अभी के दर से कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन होता रहेगा. अगर उत्सर्जन बढ़ा तो तेज बारिश की तीव्रता में 58 फीसदी की बढ़ोतरी होगी. यह खतरनाक खुलासा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेटेरियोलॉजी (IITM) की एक स्टडी में हुआ है. जिसमें कहा गया है कि इस सदी के अंत तक भारत में अत्यधिक बारिश की घटनाओं में भारी बढ़ोतरी होने के आसार है.