सीजेआई चंद्रचूड़ ने क्यों कहा, हमें मानसिकता बदलने की जरूरत है

नई दिल्ली

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि केवल अच्छे कानून या सख्त कानून होने से ही कोई न्याय पर आधारित समाज नहीं बनता है, इसके लिए मानसिकता को बदलना जरूरी है। सीजेआई ने कहा कि हमें महिलाओं को छूट देने के बजाय उनके हक और अधिकारों को पहचानने की जरूरत है, जिससे वे आजादी और समानता के साथ अपना जीवन जी सकें।

सीजेआई ने कहा कि हमें इस बात का ध्यान रखना होगा कि जो कानून महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाए गए हैं, उससे उनकी आजादी पर अंकुश ना लगे। सीजेआई ने कहा, ‘महिलाओं का कहना है कि हमें वर्कप्लेस पर किसी तरह की छूट नहीं चाहिए बस हमें बराबरी के मौके चाहिए क्योंकि हम भी एक सुरक्षित वर्कप्लेस चाहती हैं।’

इस कार्यक्रम में उन महिलाओं की कहानियों के बारे में बताया जा रहा है जो भारत का नाम वैश्विक मंच पर ले जा रही हैं। चंद्रचूड़ ने कहा कि महिलाओं के अधिकारों के बारे में बात करना सिर्फ महिलाओं का मुद्दा नहीं है बल्कि यह सभी का है। उन्होंने कहा कि भारत के संविधान को अपनाने से पहले भारतीय महिलाओं के अधिकारों का चार्टर हंसा मेहता द्वारा तैयार किया गया था।

सीजेआई ने कहा कि श्रम शक्ति में महिलाओं की भागीदारी 37% है लेकिन जीडीपी में उनका योगदान सिर्फ 18% है। उन्होंने कहा कि आजादी से पहले महिलाओं की भागीदारी को लेकर जिस तरह की उम्मीद थी, हम उसे पूरा नहीं कर पाए और इसकी एक बड़ी वजह यह है कि घर के कामों का बंटवारा अभी ज्यादातर महिलाओं पर ही होता है। उन्हें घर के काम और देखभाल की जिम्मेदारियों को उठाना पड़ता है। वे दोहरी जिम्मेदारी उठाती हैं।

सीजेआई ने कहा कि जब आप महिलाओं को पितृसत्तात्मक और सामाजिक पूर्वाग्राहों से मुक्त करते हैं और उन्हें बराबर अवसर देते हैं तो वे न केवल समाज के अन्य वर्गों के साथ प्रतिस्पर्धा करती हैं बल्कि कई बार तो उन्हें पीछे भी छोड़ देती हैं।सीजेआई ने कहा कि ऐसी खबरें हैं कि अब नौकरियों में लैंगिक असमानता घट रही है और महिलाओं की तनख्वाह वाली नौकरियां बढ़ रही हैं। हमें उम्मीद है कि इससे लैंगिक असमानता को काफी हद तक खत्म किया जा सकेगा।

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