नई दिल्ली
अंतरराष्ट्रीय बाजारों में गुरुवार को कच्चे तेल (क्रूड ऑयल) के दाम मजबूत हुए। इसकी वजह रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग में तेजी का आना है। इस युद्ध के चलते भू-राजनीतिक तनाव बढ़ गया है। इसने सप्लाई की चिंताएं बढ़ा दी हैं। जनवरी के लिए ब्रेंट क्रूड वायदा 28 सेंट यानी 0.4% बढ़कर 73.09 डॉलर पर पहुंच गया। जनवरी के लिए यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड वायदा भी 28 सेंट यानी 0.4% की बढ़त के साथ 69.03 डॉलर पर बोला गया।
क्रूड की कीमतों में मजबूती भारत के लिए अच्छी नहीं है। भारत तरक्की के रथ पर सवार है। विकास की दौड़ में उसने छक्के-छुड़ा रखे हैं। इस ग्रोथ के लिए ऊर्जा संसाधन अहम हैं। दिक्कत यह है कि भारत अपनी जरूरत का ज्यादातर कच्चा तेल आयात करता है। इससे वह वैश्विक तेल बाजार के उतार-चढ़ाव के प्रति संवेदनशील हो जाता है। तेल की बढ़ती कीमतें भारत के व्यापार घाटे और महंगाई दर को बढ़ा सकती हैं। आयात पर निर्भरता भारत की ऊर्जा सुरक्षा को खतरे में डाल देती है। खास तौर से तेल उत्पादक देशों में राजनीतिक अस्थिरता या सप्पाई में बाधा आने की स्थिति में। भारत रूस से सबसे ज्यादा तेल आयात करता है। ऐसे में सप्लाई में किसी तरह की बाधा का भारत पर भी असर पड़ने की आशंका है।
जंग के बीच पुतिन का भारत आने का प्लान
हाल में रूस ने कहा था कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जल्द ही भारत का दौरा करेंगे। हालांकि, इसके लिए कोई औपचारिक तारीख नहीं बताई गई थी। यूक्रेन के साथ तनाव के इस दौर में पुतिन का भारत आना कई लिहाज से बहुत अहम होगा। भारत इस युद्ध को रुकवाने में कड़ी का काम कर सकता है। यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पुतिन के साथ मुलाकात पर पूरी दुनिया की नजर होगी।
तेल की कीमतों में उछाल की बड़ी वजह रूस और यूक्रेन के बीच तनाव का बढ़ना है। यूक्रेन ने बुधवार को रूस पर ब्रिटिश स्टॉर्म शैडो क्रूज मिसाइलों की बौछार कर दी। ये नए पश्चिमी हथियार हैं जिन्हें यूक्रेन को रूसी ठिकानों पर इस्तेमाल करने की अनुमति मिली है। इससे एक दिन पहले ही यूक्रेन ने अमेरिकी ATACMS मिसाइलें दागी थीं।
रूस ने कहा है कि सीमा से बहुत दूर रूसी क्षेत्र पर हमला करने के लिए पश्चिमी हथियारों का इस्तेमाल संघर्ष को बहुत बढ़ा देगा। वहीं, यूक्रेन का कहना है कि उसे मॉस्को के आक्रमण का समर्थन करने वाले रूसी ठिकानों पर हमला करके खुद का बचाव करने की जरूरत है। इस हफ्ते रूस-यूक्रेन युद्ध को 1,000 दिन पूरे हो गए हैं।
OPEC+ ने उत्पादन में बढ़ोतरी को टाला
तेल के दामों पर दूसरा बड़ा असर अमेरिका में कच्चे तेल के भंडार में बढ़ोतरी का भी पड़ा है। एनर्जी इन्फॉर्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन ने कहा कि 15 नवंबर को समाप्त हफ्ते में अमेरिका में कच्चे तेल का भंडार 5,45,000 बैरल बढ़कर 43.03 करोड़ बैरल हो गया। रॉयटर्स के एक सर्वे में विश्लेषकों ने 1,38,000 बैरल की बढ़ोतरी का अनुमान लगाया था।
इस बीच पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन और रूस के नेतृत्व वाले उसके सहयोगियों 1 दिसंबर को होने वाली अपनी बैठक में उत्पादन बढ़ोतरी को फिर से टाल सकते हैं। ऐसा वैश्विक तेल मांग में कमी के कारण हो सकता है। इस समूह को OPEC+ के रूप में जाना जाता है। यह जानकारी OPEC+ के तीन सूत्रों ने दी है।
OPEC+ दुनिया का लगभग आधा तेल उत्पादन करता है। उसने शुरुआत में 2024 और 2025 में कई महीनों में फैली मामूली बढ़ोतरी के साथ उत्पादन में कटौती को धीरे-धीरे उलटने की योजना बनाई थी। हालांकि, चीनी और वैश्विक मांग में मंदी और समूह के बाहर उत्पादन में ग्रोथ ने इस योजना को संभावित रूप से विफल कर दिया है।