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Thursday, July 31, 2025
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‘दादी बच्चे के लिए अजनबी, कस्टडी नहीं दे सकते’, अतुल सुभाष की मां को SC से झटका

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नई दिल्ली,

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अतुल सुभाष की मां को पोते की कस्टडी देने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि दादी बच्चे के लिए पूरी तरह अजनबी है. जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि बच्चे की कस्टडी का मुद्दा सुनवाई कर रही अदालत के समक्ष उठाया जा सकता है. शीर्ष कोर्ट ने कहा कि यह कहते हुए दुख हो रहा है लेकिन बच्चा याचिकाकर्ता के लिए अजनबी है. अगर आप चाहें तो कृपया बच्चे से मिल लें. अगर आप बच्चे की कस्टडी चाहते हैं तो इसके लिए एक अलग प्रक्रिया है.

34 वर्षीय सुभाष 9 दिसंबर, 2024 को बेंगलुरु के मुन्नेकोलालू में अपने घर में फंदे से लटके पाए गए थे. मौत से पहले अतुल ने सुसाइड नोट छोड़ रखा था, जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी और ससुराल वालों को मौत का जिम्मेदार बताया था.

चार वर्षीय पोते की कस्टडी की मांग
शीर्ष अदालत सुभाष की मां अंजू देवी द्वारा दायर हैबियस कॉर्पस (किसी व्यक्ति को कोर्ट के सामने पेश करना) याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्होंने अपने चार वर्षीय पोते की कस्टडी की मांग की थी. सुनवाई के दौरान, सुभाष की अलग रह रही पत्नी निकिता सिंघानिया की ओर से पेश हुए वकील ने शीर्ष कोर्ट को बताया कि बच्चा हरियाणा के एक बोर्डिंग स्कूल में पढ़ रहा है.

बच्चे को बेंगलुरु ले जाना चाहता है परिवार
निकिता सिंघानिया के वकील ने कहा, ‘हम बच्चे को बेंगलुरु ले जाएंगे. हमने लड़के को स्कूल से निकाल लिया है. जमानत की शर्तों को पूरा करने के लिए मां को बेंगलुरु में ही रहना होगा.’ वहीं, अतुल की मां के वकील कुमार दुष्यंत सिंह ने बच्चे की कस्टडी की मांग की और आरोप लगाया कि उनकी अलग रह रही बहू ने बच्चे के स्थान को गुप्त रखा है.

उन्होंने तर्क दिया कि छह साल से कम उम्र के बच्चे को बोर्डिंग स्कूल में नहीं भेजा जाना चाहिए. शीर्ष अदालत ने बच्चे को 20 जनवरी को अगली सुनवाई पर अदालत में पेश करने का निर्देश दिया और कहा कि मामले का फैसला मीडिया ट्रायल के आधार पर नहीं किया जा सकता.

4 जनवरी को बेंगलुरु की एक अदालत ने आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में सुभाष की अलग रह रही पत्नी, उसकी मां निशा सिंघानिया और भाई अनुराग सिंघानिया को जमानत दे दी. अतुल की मौत के बाद, निकिता और उसके परिवार के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 108 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और 3(5) (सामान्य इरादा) के तहत बेंगलुरु में एफआईआर दर्ज की गई.

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