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ये रिश्ता क्या कहलाता है… पिछले 20 साल में कुंभ के दौरान बाजार में हमेशा रही है गिरावट

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नई दिल्ली

प्रयागराज में महाकुंभ शुरू हो चुका है। यह 26 फरवरी तक चलेगा। आज पहले दिन लाखों श्रद्धालुओं ने गंगा में स्नान किया। लेकिन शेयर बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली। कारोबार के दौरान बीएसई सेंसेक्स 1000 अंक और निफ्टी 500 अंक तक गिर गया। इस गिरावट से निवेशकों के 12 लाख करोड़ रुपये डूब गए। बाजार के ऐतिहासिक पैटर्न से पता चलता है कि इस बार 45 दिन तक चलने वाले कुंभ के दौरान सेंसेक्स में गिरावट आ सकती है। पिछले दो दशकों में आयोजित कुंभ मेलों के दौरान सेंसेक्स ने कभी भी सकारात्मक रिटर्न नहीं दिया है।

सैमको सिक्योरिटीज द्वारा किए गए विश्लेषण के अनुसार, 2004 से आयोजित पिछले छह कुंभ मेलों के दौरान सेंसेक्स का औसत नुकसान 3.42% रहा है। इस दौरान हर बार बाजार में गिरावट रही। कुंभ मेले के दौरान सबसे अधिक गिरावट 14 जुलाई से 28 सितंबर 2015 के दौरान देखी गई थी। नासिक में हुए इस कुंभ के दौरान सेंसेक्स 8.29% गिरा था। इसी तरह 1 अप्रैल से 19 अप्रैल 2021 तक हरिद्वार में आयोजित पिछले कुंभ 18 दिन के दौरान सेंसेक्स में 4.16% गिरावट आई थी। 5 अप्रैल से 4 मई 2004 उज्जैन में आयोजित कुंभ के दौरान सेंसेक्स में 3.29% की गिरावट आई।

गिरावट क्यों आती है?
हिंदू पारंपरिक मान्यता है कि कुंभ मेले में गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदियों के संगम त्रिवेणी संगम पर डुबकी लगाने से पाप धुल जाते हैं और मोक्ष प्राप्त करने में मदद मिलती है। सैमको ने कहा कि बुल्स के लिए भी कुंभ मेला आशा की किरण लेकर आता है। जब बाजार तेजी से बढ़ता है तो गलतियां करने की संभावना बढ़ जाती है। त्वरित लाभ के लालच में लोग शेयरों की खरीद-फरोख्त करते हैं। दुर्भाग्य से प्रतिभागियों को अपनी गलतियों का एहसास तब तक नहीं होता जब तक कि बाजार में कोई गिरावट न हो। यह गिरावट पवित्र जल में डुबकी लगाने की तरह नए सिरे से शुरुआत करने के लिए रीसेट की तरह काम करती है।

सैमको ने कहा कि कुंभ के दौरान और उसके बाद बाजार के इस अजीबोगरीब व्यवहार के पीछे कई कारण हो सकते हैं। कुंभ मेले के दौरान सांस्कृतिक फोकस और आर्थिक बदलाव उपभोग पैटर्न में अस्थायी बदलाव और कुछ क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधि में कमी ला सकते हैं। इसकी वजह यह है कि इस दौरान लाखों भारतीय तीर्थयात्रा कर रहे होते हैं। लोग अध्यात्म और त्याग की भावना से भरे होते हैं। इस तरह की प्रवृत्ति अनजाने में निवेशक व्यवहार को प्रभावित कर सकती हैं। इससे जोखिम से बचने की भावना बढ़ सकती है।

सबक
कुंभ के दौरान बृहस्पति का 12 वर्षीय चक्र और अलाइनमेंट हमें याद दिलाता है कि मानव व्यवहार की तरह बाजार भी अक्सर तर्कसंगत अर्थशास्त्र से परे कारकों से प्रभावित होते हैं। ब्रोकरेज फर्म ने कहा कि निवेशक इस सहसंबंध से सबक ले सकते हैं कि कुंभ मेले के दौरान बाजार में गिरावट के समय अधिक सतर्क रणनीति अपनाने की जरूरत है।

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