बिहार में ‘जात की बात’ PM मोदी से पहले ही शुरू, चुनाव में देर है लेकिन गिनती चालू हो गई, देख लीजिए

पटना:

बिहार चुनाव में बातें चाहें विकास की जितनी कर लो। शिक्षा और स्वास्थ को ले कर चाहे जितनी कमियां निकाल लो। जरूरत पड़े तो प्रशासन पर भी जम कर भड़ास निकाल लो। परन्तु जब सरकार चुनने का समय आता है तो जातीय अवधारणा के साथ जातीय रैली की बाढ़ पटना की धरती पर सत्ता की नई कहानी गढ़ने लगती है। अभी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की दस्तक ही सुनाई पड़ी कि अब एक बार पटना की धरती पर जातीय आवरण में चुनावी कहानी लिखी जानी शुरू हो गई है। मोदी सरकार ने भले जातीय जनगणना कराने की ठान ली हो। पर,सच्चाई यह है कि जातीय नेता अपनी अपनी जातियों की गणना किए बैठे हैं। आइए आपको बताते हैं कि इस मुहाने पर इन दिनों किन-किन जातियों ने अपना परचम लहराना शुरू कर दिया।

Trulli

दलित समागम
हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा सेक्युलर के संस्थापक अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने भी दलित समागम के मंच से अपनी ताकत दिखाई। फरवरी 2025 में यह आयोजन कर जीतन राम मांझी ने राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समक्ष अपनी ताकत दिखाई। वजह भी थी कि तब उनके पुत्र संतोष सुमन से दो विभाग छीन लिए गए थे।

कुर्मी चेतना रैली
बिहार विधानसभा चुनाव को देखते पटना में कुर्मी एकता रैली का आयोजन किया गया था। हालांकि परोक्ष रूप से भाजपा के एक विधायक ने कुर्मी चेतना रैली का आयोजन किया था। पर अपरोक्ष रूप से इस रैली के पीछे कुर्मी वोट पाने की मंशा भाजपा की थी। भाजपा की मंशा यह थी कि नीतीश कुमार के बाद कुर्मी वोट पर अपना रंग चढ़ाया जाए।

तेली हुंकार रैली
फरवरी 2025 को मिलर स्कूल मैदान में तेली हुंकार रैली का आयोजन किया गया था। ज्ञात हो की तेली समुदाय की आबादी 2.81% है। बीजेपी का यह मजबूत वोट बैंक है इसलिए तेजस्वी यादव ने इस रैली में पहुंच कर अपना पत्ता फेंका।

रविदास जयंती
फरवरी में ही रविंद्र भवन में रविदास समाज के द्वारा सम्मेलन का आयोजन किया गया था। बिहार की राजनीति में रविदास समाज की आबादी 5.25% है। इस रैली में जा कर तेजस्वी अपनी पकड़ मजबूत बनाने में लग गए।

भामाशाह जयंती
महापुरुषों की जयंती को लेकर वोट बैंक की राजनीति इस बार भी दानवीर भामाशाह के नाम पर शुरू हुई। किसी एक दल के द्वारा नहीं बल्कि कई राजनीतिक दलों ने भामाशाह की जयंती मनाई । भामाशाह जयंती पर जेडीयू के साथ-साथ आरजेडी दफ्तर में भी भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। दरअसल यह पूरी कवायद वैश्य समाज को साधने और उनके हितैषी होने का मैसेज देने की थी।

पान महासंघ का आह्वान
इसी अप्रैल में ही अखिल भारतीय पान महासंघ ने पटना के गांधी मैदान में रैली की। इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष ई आईपी गुप्ता ने ‘इंडियन इंकलाब पार्टी’ के गठन की घोषणा कर जातीय आधार पर एक नई पार्टी का गठन कर एक नई चुनौती दे डाली है। उन्होंने साफ कहा कि तांती-ततवा जैसे समाज जाग चुके हैं, जिन्हें न केवल राजनीतिक हाशिए पर रखा गया बल्कि जिनसे उनका आरक्षण भी छीना गया, तो वही समाज अब खुद अपनी राजनीतिक ताकत बनाएगा।

मुसहर भुइयां सम्मेलन
8 अप्रैल को श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल में मुसहर भुइयां सम्मेलन हुआ था। बिहार में मुसहर एवं भुइयां की आबादी 3.08% है। इस वोट पर जीतन राम मांझी की पकड़ है। सो,तेजस्वी यहां भी पहुंचे। कोशिश यही थी कि इस वोट बैंक को अपने पाले में किया जाए। कुल मिलाकर बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले बिहार में फिर से जात की बात शुरू हो गई है। जबकि ‘विकास’ किसी कोने पर पड़ा अपनी किस्मत को कोस रहा होगा।

हमारे व्हाट्सप्प ग्रुप से जुड़े 👉👉

Join Now

Latest Stories