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Thursday, July 31, 2025
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बीएमसी चुनाव के ऐलान से पहले शिवसेना शिंदे ने रचा ‘चक्रव्यूह’, बीजेपी को शर्तों में उलझाया

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मुंबई

चुनाव आयोग आने वाले कुछ दिनों में महाराष्ट्र निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी करने वाला है। 6 मई को सुप्रीम कोर्ट ने चार सप्ताह के भीतर चुनाव के डेट जारी करने के आदेश दिए थे। चुनाव की तैयारियों के बीच महायुति में तोलमोल शुरू हो गया है। शिंदे की शिवसेना ने चुनाव से पहले बीजेपी के सामने अजीब शर्त रख दी है। शिवसेना का कहना है कि अगर बीजेपी मुंबई नगर निगम चुनावों में गठबंधन चाहती है, तो उसे ठाणे और कल्याण-डोंबिवली में भी ऐसा ही करना होगा। शिवसेना ने बीजेपी पर दबाव बनाने के लिए उद्धव ठाकरे गुट के पार्षदों को शामिल करा रही है, ताकि गठबंधन नहीं होने की स्थिति में उन्हें चुनाव में उतारा जा सके।

मुंबई में समर्थन करेंगे तो ठाणे -कल्याण में लेंगे सपोर्ट
महाराष्ट्र निकाय चुनाव में गठबंधन को लेकर सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि बीजेपी पूरे प्रदेश में गठबंधन नहीं करेगी। इसके जवाब में शिवसेना ने भी अपनी चाल चल दी है और बीएमसी चुनाव के साथ अन्य निगमों में गठबंधन का दबाव बना दिया है। शिवसेना के नेताओं ने कहा है कि बीजेपी मुंबई में गठबंधन करना चाहती है तो उसे ठाणे और कल्याण-डोंबिवली में शिवसेना का समर्थन करना होगा। अगर ऐसा हुआ तो बीजेपी बीएमसी की सत्ता में आ सकती है और शिवसेना ठाणे और कल्याण-डोंबिवली में अपना दबदबा बनाए रख सकती है।

बीजेपी अकेले चुनाव में उतरी तो नुकसान होना तय
शिवसेना नेता ने कहा कि अगर बीजेपी अकेले बीएमसी चुनाव में उतरेगी तो उसे नुकसान होना तय है। मुंबई में बीजेपी उद्धव ठाकरे की सेना यूबीटी के खिलाफ चुनाव लड़ेगी मगर उसे शिवसेना और मनसे से भी दो-दो हाथ करना पड़ेगा। ऐसे में वोट बंट सकते हैं और बीजेपी को बीएमसी की सत्ता मिलने में मुश्किल होगी। ऐसे में उसे शिवसेना का समर्थन लेना होगा। शिवसेना नेता ने साफ किया कि बीजेपी मुंबई में दबदबा बनाना चाहती है। वहीं, शिवसेना (शिंदे गुट) ठाणे और कल्याण-डोंबिवली में मजबूत होना चाहती है। इन इलाकों में हमारी पार्टी वहां मजबूत है और हम चाहते हैं कि यह ऐसा ही रहे।

उद्धव गुट के पार्षदों को शिवसेना में शामिल कराया
जब एकनाथ शिंदे ने शिवसेना से अलग होकर अपनी पार्टी बनाई, तो मुंबई के ज्यादा पार्षद उनके साथ नहीं गए। अब मुंबई नगर निगम का कार्यकाल खत्म हो गया है। एकनाथ शिंदे ने उद्धव गुट के लगभग 45 पार्षदों को अपनी तरफ कर लिया है। शिवसेना की इस रणनीति से बीजेपी पर दबाव बढ़ रहा है। शिंदे बीजेपी को यह जताना चाहते हैं कि अगर वह ठाणे और कल्याण-डोंबिवली में गठबंधन नहीं करती है, तो शिवसेना पुराने पार्षदों को मुंबई नगर निगम चुनाव में उतार सकती है। इससे बीजेपी को नुकसान हो सकता है।

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