22.5 C
London
Wednesday, July 30, 2025
Homeकॉर्पोरेटट्रंप के टैरिफ का असर! बड़े ठेकों में बोली लगा सकेंगी अमेरिकी...

ट्रंप के टैरिफ का असर! बड़े ठेकों में बोली लगा सकेंगी अमेरिकी कंपनियां, छूट देने की तैयारी में सरकार

Published on

नई दिल्ली:

भारत सरकार अपनी सरकारी खरीद बाजार का एक हिस्सा विदेशी कंपनियों के लिए खोलने जा रही है। इसमें अमेरिका की कंपनियां भी शामिल होंगी। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में दो सरकारी सूत्रों के हवाले से यह दावा किया गया है। यह बदलाव धीरे-धीरे अन्य व्यापारिक साझेदारों के लिए भी किया जा सकता है। इसकी शुरुआत ब्रिटेन के साथ हुए व्यापार समझौते से हुई है। सूत्रों के मुताबिक सरकार अमेरिकी कंपनियों को 50 अरब डॉलर से ज्यादा के ठेकों के लिए बोली लगाने की अनुमति दे सकती है। ये ठेके मुख्य रूप से केंद्र सरकार की संस्थाओं से जुड़े होंगे। भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते पर बातचीत चल रही है।

सरकारी अनुमानों के अनुसार भारत में सार्वजनिक खरीद का कुल मूल्य सालाना 700 से 750 अरब डॉलर है। इसमें केंद्र, राज्य और स्थानीय सरकारों के साथ-साथ सरकारी कंपनियों की खरीद भी शामिल है। ज्यादातर खरीद घरेलू कंपनियों के लिए आरक्षित है। 25% छोटे व्यवसायों के लिए अलग रखा गया है। हालांकि, रेलवे और रक्षा जैसे क्षेत्र विदेशी आपूर्तिकर्ताओं से खरीद सकते हैं लेकिन वे तभी ऐसा कर सकते हैं जब घरेलू विकल्प उपलब्ध नहीं होते हैं। इस महीने की शुरुआत में भारत और ब्रिटेन ने एक मुक्त व्यापार समझौते पर सहमति जताई। इसके तहत ब्रिटिश कंपनियों को कुछ खास क्षेत्रों में केंद्र सरकार के ठेकों तक पहुंच मिलेगी। यह पहुंच वस्तुओं, सेवाओं और निर्माण से जुड़े क्षेत्रों में होगी। यह समझौता दोनों देशों के लिए एक-दूसरे के बाजार में समान अवसर प्रदान करेगा।

भारत का तर्क
एक अधिकारी ने बताया कि भारत सरकार धीरे-धीरे अपने सार्वजनिक खरीद अनुबंधों को व्यापारिक साझेदारों के लिए खोलने को तैयार है। इसमें अमेरिका भी शामिल है। यह बदलाव धीरे-धीरे और दोनों देशों के फायदे को ध्यान में रखकर किया जाएगा। सरकार के खरीद अनुबंधों का केवल एक हिस्सा विदेशी कंपनियों के लिए खोला जाएगा। यह हिस्सा मुख्य रूप से केंद्र सरकार की परियोजनाओं से जुड़ा होगा, जिसकी कीमत लगभग 50 से 60 अरब डॉलर है। राज्य और स्थानीय सरकार की खरीद को इसमें शामिल नहीं किया जाएगा।

एक दूसरे अधिकारी ने कहा कि ब्रिटेन के साथ समझौते के बाद, भारत अमेरिका के लिए भी अपने सार्वजनिक खरीद बाजार का एक हिस्सा खोलने के लिए तैयार है। वाणिज्य मंत्रालय ने अमेरिका के प्रस्ताव या अन्य देशों के लिए योजना के विस्तार पर कोई टिप्पणी नहीं की है। भारत लंबे समय से विश्व व्यापार संगठन (WTO) के सरकारी खरीद समझौते में शामिल होने का विरोध कर रहा है। भारत का कहना है कि उसे अपनी छोटी कंपनियों के हितों की रक्षा करने की जरूरत है।

भारत-ब्रिटेन डील
विदेशी व्यापार बाधाओं पर अपनी मार्च की रिपोर्ट में अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि ने कहा कि भारत की प्रतिबंधात्मक खरीद नीतियां अमेरिकी कंपनियों के लिए चुनौतियां पेश करती हैं। ऐसा बदलते नियमों और सीमित अवसरों के कारण है। कॉमर्स मिनिस्टर पीयूष गोयल इस सप्ताह व्यापार वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए वॉशिंगटन गए थे। दोनों पक्ष जुलाई की शुरुआत तक एक अंतरिम समझौते पर हस्ताक्षर करने का लक्ष्य बना रहे हैं। भारत अमेरिका के साथ एक व्यापार समझौता करने के लिए जोर दे रहा है।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 9 अप्रैल को प्रमुख व्यापारिक साझेदारों के लिए टैरिफ में 90 दिनों की छूट की घोषणा की थी। इसमें भारत से आयात पर 26% टैरिफ भी शामिल है। वाणिज्य मंत्रालय का कहना है कि ब्रिटेन की कंपनियों को केवल गैर-संवेदनशील केंद्रीय संस्थाओं के ठेकों के लिए बोली लगाने की अनुमति दी जाएगी। इसमें राज्य और स्थानीय सरकार की खरीद शामिल नहीं है। मंत्रालय ने कहा कि ब्रिटेन की कंपनियों 2 अरब रुपये (23.26 मिलियन डॉलर) से ऊपर के भारतीय टेंडर के लिए बोली लगा सकते हैं। वहीं ब्रिटेन अपने सार्वजनिक खरीद प्रणाली के तहत भारतीय आपूर्तिकर्ताओं को गैर-भेदभावपूर्ण पहुंच प्रदान करेगा।

छोटी कंपनियों के लिए रिजर्वेशन
भारत सरकार ने छोटे उद्योगों को आश्वासन दिया है कि एक चौथाई ऑर्डर उनके लिए आरक्षित होंगे। यह बात फेडरेशन ऑफ इंडियन माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (FISME) के महासचिव अनिल भारद्वाज ने कही। FISME एक प्रमुख उद्योग निकाय है। उन्होंने कहा कि पारस्परिक आधार पर विदेशी कंपनियों के लिए खरीद खोलने से भारतीय व्यवसायों को विदेशी बाजारों में भी अवसर मिलेंगे। मतलब जैसे भारत विदेशी कंपनियों को अपने बाजार में आने देगा, वैसे ही दूसरे देश भी भारतीय कंपनियों को अपने बाजार में आने देंगे। इससे भारतीय कंपनियों को विदेशों में अपना कारोबार बढ़ाने में मदद मिलेगी।

Latest articles

रूस के कामचटका प्रायद्वीप में 8.8 तीव्रता का भीषण भूकंप, 4 मीटर ऊंची सुनामी जापान में 20 लाख लोग निकाले गए

रूस के कामचटका प्रायद्वीप में 8.8 तीव्रता का भीषण भूकंप, 4 मीटर ऊंची सुनामी!...

भारी बारिश के चलते स्कूलों में बुधवार को अवकाश घोषित

भेल भोपालभारी बारिश के चलते स्कूलों में बुधवार को अवकाश घोषित,राजधानी भोपाल के स्कूलों...

भेल कर्मचारियों को वेतन के साथ मिलेगा पीपीपी बोनस

भेल भोपालभेल कर्मचारियों को वेतन के साथ मिलेगा पीपीपी बोनस भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड...

More like this

Adani Group:अदानी टोटल गैस (ATGL) Q1 FY26 के नतीजे घोषित CNG की खपत में 21% की वृद्धि, भविष्य की योजनाओं का खुलासा

Adani Group:अदानी टोटल गैस लिमिटेड (ATGL) ने वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही के...

भारत बना दुनिया का सबसे बड़ा ऑनलाइन लेनदेन करने वाला देश IMF रिपोर्ट ने किया खुलासा

IMF : भारत के लिए एक और गौरवपूर्ण खबर सामने आई है. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा...

आ रहा है NSDL का IPO: ₹3500-4000 करोड़ जुटाने की तैयारी जानें कब खुलेगा और क्या है ख़ास

NSDL : नेशनल सिक्योरिटीज डिपोजिटरी (NSDL) ने अपना इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) लॉन्च करने...