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पाकिस्तान के दोस्त चीन ने कर दी गंदी हरकत, रुक जाएगा भारत की ऑटो इंडस्ट्री का चक्का!

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नई दिल्ली:

भारत के ऑटो इंडस्ट्री के लिए अच्छी खबर नहीं है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद चीन ने रेयर अर्थ मैग्नेट के निर्यात पर रोक लगा दी। इससे भारत में कारों का उत्पादन रुकने का खतरा मंडरा रहा है। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में ऑटो इंडस्ट्री के अधिकारियों के हवाले से यह दावा किया गया है। रेयर अर्थ मैग्नेट्स का यूज इलेक्ट्रिक गाड़ियों के साथ-साथ सामान्य कारों के पावर विंडो और ऑडियो सिस्टम में किया जाता है। हालांकि, ईटी की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि चीन से कारों और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामानों में इस्तेमाल होने वाले परमानेंट मैग्नेट्स का आयात फिर से शुरू हो गया है। भारत सरकार ने चीन को यह भरोसा दिलाया है कि इन मैग्नेट्स का यूज रक्षा क्षेत्र में नहीं होगा और न ही इन्हें अमेरिका को फिर से निर्यात किया जाएगा। इसके बाद चीन ने निर्यात शुरू कर दिया है। अधिकारियों का कहना है कि विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने लगभग 30 प्रमाणपत्र जारी किए हैं। हर खेप के लिए एक प्रमाणपत्र दिया गया है।

इंडस्ट्री के अंदरूनी सूत्रों ने पहले चेतावनी दी थी कि चीन की पाबंदियों से उत्पादन रुक सकता है। रॉयटर्स ने कंपनी के अधिकारियों और उद्योग समूहों के दस्तावेजों के हवाले से बताया था कि ऑटो पार्ट्स बनाने वाली कंपनियों के पास रेयर अर्थ मैग्नेट्स का स्टॉक मई के अंत तक खत्म हो जाएगा। सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) ने सरकार से इस मामले में दखल देने और बीजिंग पर दबाव बनाने का आग्रह किया था। SIAM ने चेतावनी दी थी कि दुनिया के तीसरे सबसे बड़े कार बाजार में एक बड़ा संकट आ सकता है।

चीन का दबदबा
चीन का इन मैग्नेट्स के उत्पादन पर 90% से ज्यादा नियंत्रण है। ये मैग्नेट इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ-साथ पावर विंडो और ऑडियो स्पीकर जैसे सामान्य कार के हिस्सों के लिए भी जरूरी हैं। चीन ने अप्रैल में निर्यात पर पाबंदी लगाई थी। यह पाबंदी अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए टैक्स के जवाब में थी। चीन ने कंपनियों से कहा था कि उन्हें चीनी अधिकारियों से आयात परमिट लेना होगा। हालांकि, यह पाबंदी ज्यादातर हाई-परफॉर्मेंस मैग्नेट्स पर है, लेकिन कम कीमत वाले मैग्नेट्स की शिपमेंट भी रोक दी गई है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि नए नियमों को कैसे लागू किया जाए, इस बारे में भ्रम था।

19 मई को वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों के साथ एक बैठक में SIAM ने एक आंतरिक दस्तावेज पेश किया। इसमें कहा गया था कि मई के अंत या जून की शुरुआत से ऑटो उद्योग का उत्पादन पूरी तरह से रुकने की आशंका है। इस बैठक में मारुति सुजुकी, महिंद्रा एंड महिंद्रा और टाटा मोटर्स के अधिकारी शामिल थे। कुछ चीनी मैग्नेट उत्पादकों को निर्यात की अनुमति मिल गई है। लेकिन तीन ऑटो उद्योग के अधिकारियों ने रॉयटर्स को बताया कि उन्हें डर है कि भारत और चीन के बीच तनावपूर्ण संबंधों के कारण मंजूरी में देरी हो सकती है। इससे आपूर्ति की समस्या और बढ़ सकती है। इन अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर यह जानकारी दी क्योंकि यह मामला संवेदनशील है।

कैसे होता है इम्पोर्ट
जब चीन के दूतावास से भारत पर निर्यात प्रतिबंधों के प्रभाव के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि वे कानूनी और नियामक आवश्यकताओं के अनुसार अनुपालन व्यापार को सक्रिय रूप से सुविधाजनक और सुव्यवस्थित कर रहे हैं । दूतावास ने आगे कहा कि इन वस्तुओं पर निर्यात नियंत्रण लगाने का चीन का कानूनी उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा और हितों की बेहतर रक्षा करना है। महिंद्रा, मारुति, टाटा, SIAM, भारतीय वाणिज्य और विदेश मंत्रालय और ऑटो कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ACMA) को भेजे गए सवालों का कोई जवाब नहीं मिला।

इन मैग्नेट्स के आयात की प्रक्रिया बहुत जटिल है। इसके लिए भारतीय मंत्रालयों से मंजूरी लेनी होती है और एंड-यूज सर्टिफिकेट जमा करना होता है। इस सर्टिफिकेट से यह साबित होता है कि मैग्नेट्स का इस्तेमाल सैन्य उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाएगा। इन दस्तावेजों को नई दिल्ली में चीनी दूतावास द्वारा सत्यापित किया जाना चाहिए और चीनी आपूर्तिकर्ताओं को भेजा जाना चाहिए। इसके बाद बीजिंग निर्यात लाइसेंस जारी करता है। SIAM के दस्तावेज में कहा गया है कि भारत को आयात आवेदनों को घंटों के भीतर मंजूरी देनी चाहिए और चीनी अधिकारियों पर तत्काल आधार पर लाइसेंस में तेजी लाने के लिए दबाव डालना चाहिए।

कितना है आयात
सीमा शुल्क के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल में स्थायी मैग्नेट्स का चीन का निर्यात 51% गिरकर 2,626 टन हो गया। निर्यात पर पाबंदी लगने के बाद यह पहला महीना था जब आंकड़े उपलब्ध थे। भारत ने 31 मार्च को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में 460 टन रेयर अर्थ मैग्नेट्स आयात किए, जिनमें से ज्यादातर चीन से आए थे। उद्योग के अनुमानों के अनुसार इस साल 30 मिलियन डॉलर मूल्य के 700 टन मैग्नेट्स आयात करने की उम्मीद है। SIAM और ACMA ने भारत सरकार को एक अलग दस्तावेज में चेतावनी दी है। उनका कहना है कि आयातित रेयर अर्थ मैग्नेट्स की लागत वाहनों में बहुत कम है, लेकिन खतरा यह है कि अगर हमारे पास एक भी कंपोनेंट कम है तो गाड़ियां नहीं बन पाएंगी।

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