बड़वाह।
भगवान भरोसे देश का भविष्य रुपयों की बर्बादी,चिचला गाँव में, स्कूल भवन में रात में जमती है शराबियों की महफिल,नजारा बड़वाह से 12 किमी दूर चिचला गांव के स्कूल का है। यहा 13 वर्षों पहले बने नवीन भवन में आज भी ताले लटके हुए है|कक्षा एक से पाचवीं तक की कक्षाएं आज भी पुराने भवन में या मंदिर परिसर में लग रही हैं। यहां 24 छात्र पढ़ते हैं, 2 शिक्षक है,वहीं पुरानी मात्र एक कमरों का भवन है। जिसमे बारिश का पानी टपकता है। वहीं स्कूल भवन के पीछे मकान बनने के कारण सभी खिडकिया बंद हो चुकी है,जिससे लाईट जाने पर अँधेरा हो जाता है|
इसलिए वर्तमान में स्कूल पास के ही मंदीर परिसर में लग रही हैं|2011 -12 में यहां विद्यार्थियों की संख्या करीब 70 के करीब थी,उस समय पुराना भवन जर्जर अब छोटा पड़ने लगा था,इसलिए नया भवन लाखों रुपए से बनाया गया| जहां पर बाउंड्रीवाल,झूले,गेट सभी सुविधा है, लेकिन इसकी दूरी गांव से करीब 300 मीटर दूर नवीन स्कूल भवन होने के कारण अभिभावक बच्चो को भेजना नहीं चाहते है|
इसलिए आज भी बच्चे मंदिर परिसर या जर्जर पुराने भवन में पढ़ रहे हैं| शिक्षिका शंकुतला ठाकुर ने बताया की वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर कुछ दिनों पहले नए भवन में स्कूल को शिप्ट किया गया था,लेकिन अभिभावक बच्चों को स्कूल नही भेज रहे थे,इसलिए वापस यहीं कक्षाएं लगाई जा रही हैं|
40 वर्ष पुराना है भवन
ग्रामवासियों ने बताया कि गाँव में 40 वर्षो से स्कुल भवन है,यही स्कूल में हम लोगों ने भी पढाई की है,अब हमारे बच्चे एवं पोते पढाई कर रहे थे|ग्रामवासी विष्णु नायक ने बताया की हम बच्चों को वहां पढाई करने के लिए भेजना नही चाहते हैं, क्योकि नवीन भवन में कुछ सुविधा नहीं है|साथ ही पास में फोरलेन बना हुआ है|जिससे कभी भी हादसा हो सकता है|इसलिए हम वहा छोटे बच्चों को स्कूल में नही भेजेंगे|
अधिकारी जवाबदारी लें,तो भेजेंगे बच्चों को
ग्रामीणों ने बताया कि पुराने स्कूल भवन को तोड़ कर यही नवीन भवन बनाया जाए,पहले भी ग्रामवासियों ने मना किया था,इसके बावजूद भी विभाग के अधिकारियों ने बिना कुछ सोच समझे गांव के बाहर और फोरलेन के पास नया भवन बना दिया| रास्ते से बड़े-बड़े वाहन गुजर रहे हैं| अभिभावक विजय सोलंकी ने कहा की हाइवे से प्रतिदिन बच्चे स्कूल जाएंगे, यदि अधिकारी जवाबदारी लें तो हम भेजने के लिए तैयार हैं|
बड़ा सवाल:—
क्यों गाँव से बाहर एवं हाइवे के पास बनाया भवन? जहां स्कूल भवन की जरूरत है, वहां मंजूरी नहीं मिली,जहां नहीं बनाना था वहां शिक्षा विभाग ने बिना सोचे समझे बिल्डिंग बना दी। नया भवन पूरी तरह लावारिस पड़ा है। बाउंड्रीवॉल टूट चुकी है। रात के समय शराबियों के बैठने का ठिकाना बन चुका है|