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Tuesday, July 1, 2025
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दो साल में पहली बार हुआ ऐसा… सरकार के इस कदम से मिलेगी राहत या आएगी आफत?

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नई दिल्‍ली

सरकार ने CNG और रसोई गैस बनाने में इस्तेमाल होने वाली नेचुरल गैस की कीमत कम कर दी है। यह कमी दो साल में पहली बार हुई है। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि बेंचमार्क दरें गिर गई हैं। इस फैसले से शहरी गैस बेचने वाली कंपनियों को फायदा होगा। पेट्रोलियम मंत्रालय के पेट्रोलियम नियोजन और विश्लेषण प्रकोष्ठ (पीपीएसी) ने एक नोटिफिकेशन जारी किया है। इसके अनुसार, ओएनजीसी को आवंटित पुराने क्षेत्रों से मिलने वाली नेचुरल गैस या एपीएम गैस की कीमत कम कर दी गई है। अब यह कीमत 6.75 डॉलर से घटकर 6.41 डॉलर प्रति 10 लाख ब्रिटिश थर्मल यूनिट (MMBTU) हो गई है।

सरकार ने अप्रैल 2023 में एपीएम गैस की कीमत तय करने का एक नया फार्मूला लागू किया था। यह पहली बार है जब इस फार्मूले के तहत गैस की कीमत कम हुई है। इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड, महानगर गैस लिमिटेड और अडानी-टोटल गैस लिमिटेड जैसी कंपनियों को इससे राहत मिलेगी। ये कंपनियां उत्पादन लागत बढ़ने से परेशान थीं।

सरकार ने बनाया था नया तरीका
अप्रैल 2023 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट को स्वीकार किया था। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि पुराने क्षेत्रों से मिलने वाली गैस की कीमत कच्चे तेल के मासिक औसत आयात मूल्य के 10 फीसदी पर तय की जाए। इसमें न्यूनतम कीमत 4 डॉलर और अधिकतम कीमत 6.5 डॉलर प्रति 10 लाख ब्रिटिश थर्मल यूनिट रखने की बात कही गई थी।

सरकार ने यह भी कहा था कि अधिकतम मूल्य दो साल तक नहीं बदलेगा। उसके बाद हर साल 0.25 डॉलर की दर से बढ़ेगा। इस नियम के अनुसार, अप्रैल में अधिकतम मूल्य बढ़कर 6.75 डॉलर प्रति इकाई हो गया था।पीपीएसी के नोटिफिकेशन में कहा गया है कि नई कीमतें 1 जून से लागू हो गई हैं। सरकार का यह कदम CNG और रसोई गैस की कीमतों को कम करने में मदद कर सकता है। इससे आम आदमी को थोड़ी राहत मिल सकती है।

सरकार का कहना है कि वह नेचुरल गैस के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार चाहती है कि ज्यादा से ज्यादा लोग CNG और रसोई गैस का इस्तेमाल करें। इससे प्रदूषण कम होगा और लोगों का जीवन स्तर सुधरेगा।इस फैसले से गैस कंपनियों के शेयरों में भी तेजी देखने को मिल सकती है। निवेशकों को उम्मीद है कि इन कंपनियों का मुनाफा बढ़ेगा।

आसान शब्‍दों में समझ‍िए हर बात
एपीएम (APM) का मतलब है एडमिनिस्टर्ड प्राइस मैकेनिज्म। सरल शब्दों में यह वह व्यवस्था है जिसके तहत सरकार ओएनजीसी (ONGC) और ओआईएल (OIL) जैसी सरकारी कंपनियों की ओर से उनके पुराने क्षेत्रों से उत्पादित प्राकृतिक गैस की कीमत तय करती है। इस गैस का इस्‍तेमाल मुख्य रूप से सीएनजी (CNG) और पाइप्‍ड नेचुरल गैस यानी पीएनजी बनाने में होता है।

पहले, एपीएम गैस की कीमतें एक अलग फॉर्मूले के तहत अर्ध-वार्षिक रूप से तय की जाती थीं। अप्रैल 2023 से सरकार ने एक नया फॉर्मूला लागू किया है। इसके तहत कीमतें हर महीने तय होती हैं। ये भारतीय कच्चे तेल की औसत आयात कीमत से जुड़ी होती हैं। इसमें एक न्यूनतम और अधिकतम सीमा भी तय है। इसलिए, जब सरकार एपीएम गैस की कीमत घटाती है तो इसका मतलब है कि सरकार की ओर से तय की गई इस प्राकृतिक गैस की कीमत कम हो गई है।

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