12.2 C
London
Sunday, September 14, 2025
Homeराज्य6000KG DIAMOND IN CHHATARPUR: पुरे मध्य प्रदेश की किस्मत चमका सकता 6000...

6000KG DIAMOND IN CHHATARPUR: पुरे मध्य प्रदेश की किस्मत चमका सकता 6000 KG का हीरा देगा कीमत करोड़ो से भी कई ज्यादा

Published on

6000KG DIAMOND IN CHHATARPUR: छतरपुर ज़िले से 100 किमी दूर बक्सवाहा के जंगलों में एक ऐसी खोज हुई है, जिसमें मध्य प्रदेश की तक़दीर और तस्वीर बदलने की ताक़त है। क़रीब 25 साल पहले, बंदर डायमंड प्रोजेक्ट के तहत बक्सवाहा के जंगलों में एक सर्वे शुरू हुआ था, जिसमें दावा किया गया कि ज़मीन के नीचे 3 करोड़ कैरट (लगभग 6000 किलो) से ज़्यादा का हीरे का भंडार है।

उस समय इस हीरे के भंडार की अनुमानित क़ीमत 55 हज़ार करोड़ रुपये आँकी गई थी, जो अब बढ़कर क़रीब 60 से 70 हज़ार करोड़ रुपये हो चुकी है। अगर यह ख़ज़ाना ज़मीन से बाहर आया, तो यक़ीनन मध्य प्रदेश की क़िस्मत बदल जाती। आइए जानते हैं देश के इस सबसे बड़े ख़ज़ाने की पूरी कहानी।

देश के सबसे बड़े हीरे के भंडार की कहानी

दरअसल, यह सर्वे ऑस्ट्रेलियाई कंपनी रियो टिंटो ने मध्य प्रदेश के बक्सवाहा के जंगलों में किया था। देश की सबसे बड़ी खनन कंपनी रियो टिंटो ने 2000 से 2005 के बीच पूरे बक्सवाहा जंगल में सर्वे किया। एक दिन सर्वे टीम की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा जब उन्हें किम्बरलाइट पत्थरों की विशाल चट्टानें मिलीं। दरअसल, हीरे इसी किम्बरलाइट चट्टान में पाए जाते हैं। 25 साल पहले, रियो टिंटो कंपनी ने यहाँ हीरे के भंडार की खोज की थी। कंपनी ने यहाँ बड़े पैमाने पर किम्बरलाइट चट्टानें पाई थीं।

दावा किया गया था कि ज़मीन के नीचे 55 हज़ार करोड़ रुपये तक के हीरे हो सकते हैं। जंगल में साढ़े तीन करोड़ कैरट (लगभग 6000 किलोग्राम) से ज़्यादा हीरे होने का दावा किया गया। हालांकि, इसे खोजने वाली कंपनी 2017 में इस प्रोजेक्ट से हट गई, जिसके बाद सरकार ने हीरे निकालने के लिए बक्सवाहा के जंगल की नीलामी की। यह प्रोजेक्ट 2019 में आदित्य बिड़ला समूह की एस्सेल माइनिंग कंपनी को लीज़ पर मिला था, लेकिन हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी।

उत्खनन से पहले ही हाईकोर्ट की रोक

छतरपुर ज़िले में बक्सवाहा की हीरे की खदान की नीलामी 2019 में हुई थी। आदित्य बिड़ला समूह की एस्सेल माइनिंग कंपनी ने इसे 50 साल के लिए लीज़ पर लिया। कंपनी को क़रीब 364 हेक्टेयर ज़मीन मिली। उत्खनन शुरू होने से पहले ही पर्यावरणविदों और सामाजिक संगठनों ने इसका विरोध शुरू कर दिया। बताया गया कि इस जंगल में 62.64 हेक्टेयर क्षेत्र को हीरे निकालने के लिए चिह्नित किया गया था, लेकिन कंपनी ने 382.131 हेक्टेयर जंगल की मांग की थी, ताकि शेष ज़मीन का उपयोग खनन प्रक्रिया के दौरान निकलने वाले मलबे को डंप करने के लिए किया जा सके। इसी बीच, हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी।

बन सकती थी एशिया की सबसे बड़ी हीरे की खदान

खनिज अधिकारी अमित मिश्रा के अनुसार, “बक्सवाहा के जंगलों में बंदर डायमंड नाम से एक ब्लॉक बनाया गया था, जिसका अन्वेषण रियो टिंटो कंपनी ने किया था, लेकिन रियो टिंटो इसे छोड़कर चली गई। उस समय, उसने वन विभाग से बहुत बड़ा क्षेत्र मांगा था, जो किसी कारण से नहीं दिया गया। उसके बाद, 364 हेक्टेयर का एक छोटा क्षेत्र बनाया गया। अगर बक्सवाहा की खदानें चालू हो जातीं, तो यह एशिया की सबसे बड़ी खदान होती। उस समय 55 हज़ार करोड़ रुपये के हीरों का मूल्यांकन किया गया था।”

यह भी पढ़िए; CENSUS DATE : इंतजार हुआ खत्म लो आ गई जनगणना की तारीख जानिए कितने चरणों में पूरी होगी प्रक्रिया

लाखों पेड़ों की कटाई की अफ़वाहें और आधुनिक तकनीक

खनिज अधिकारी ने आगे कहा, “जब 364 हेक्टेयर क्षेत्र की लीज़ दी गई, तो अफ़वाहें फैल गईं कि पूरे क्षेत्र की खुदाई होगी और लाखों पेड़ काटे जाएंगे। यह सिर्फ़ एक अफ़वाह थी। अब खुदाई की आधुनिक तकनीकें आ गई हैं, ज़्यादा से ज़्यादा एक फ़ुटबॉल मैदान के बराबर ज़मीन पर खुदाई की जाती है, इससे न तो ज़्यादा पेड़ काटे जाते हैं और न ही वन्यजीवों को नुक़सान होता है। जितने पेड़ काटे जाते हैं, उससे 10 गुना ज़्यादा पेड़ लगाए जाते हैं, और उनकी पूरी देखभाल की जाती है।

यह भी पढ़िए: FACING ISSUES WITH PF WITHDRAWAL: यदि आपको भी PF निकालने में आ रही है दिक्कत तो जानिए क्या करें

अस्वीकरण (Disclaimer):बक्सवाहा हीरा प्रोजेक्ट अभी भी कानूनी और पर्यावरणीय समीक्षा के अधीन है। इस प्रोजेक्ट का भविष्य हाईकोर्ट के फ़ैसले और आवश्यक पर्यावरणीय अनुमतियों पर निर्भर करेगा। यहां दी गई जानकारी खोज, अनुमानित भंडार और संबंधित घटनाक्रमों पर आधारित है, और इसका क्रियान्वयन अभी सुनिश्चित नहीं है।

Latest articles

बीएचईएल में “उद्योग में हरित ऊर्जा का उपयोग” पर प्रशिक्षण एवं जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

भोपाल।बीएचईएल, भोपाल में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से “उद्योग में हरित ऊर्जा के उपयोग”...

रुक्मणी विवाह की कथा

भोपाल lश्री सिद्ध संकटमोचन हनुमान मंदिर आजाद नगर अयोध्या नगर बाय पास में श्री...

एमएसएमई जागरूकता व वित्तीय क्षमता कार्यक्रम की सफलता

गोविंदपुरा इंडस्ट्रीज एसोसिएशनGIA हॉल में हुआ आयोजनगोविंदपुरा इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (GIA) ने QistonPe — एक...

ये कैसा सिस्टम कंप्यूटर व स्मार्ट क्लास के दौर में गर्मी व उमस के बीच पढ़ने को मजबूर विद्यार्थी

बड़वाह ब्लाक में 31 स्कूल ऐसे है जहां केवल चुनाव के समय बिजली आती...

More like this

ये कैसा सिस्टम कंप्यूटर व स्मार्ट क्लास के दौर में गर्मी व उमस के बीच पढ़ने को मजबूर विद्यार्थी

बड़वाह ब्लाक में 31 स्कूल ऐसे है जहां केवल चुनाव के समय बिजली आती...

गोवर्धन पूजा का प्रसंग सुनाया,56 भोग लगाए,विधायक,नपाध्यक्ष भी शामिल हुए

बडवाह।कवर कालोनी स्थित पूजा गार्डन में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन कथा...

सतना में शिवराज सिंह चौहान का काफिला रोका, कांग्रेस नेताओं ने उठाई किसानों की समस्या

सतना में कांग्रेस नेताओं ने केंद्रीय कृषि मंत्री और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज...