भेल भोपाल।
बाबूलाल गौर शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में हुई कवि-गोष्ठी,स्वरचित साहित्य मंच और हिंदी विभाग के संयुक्त प्रयास से महाविद्यालय में कविता की धारा बही। आयोजन हुआ-कवि-गोष्ठी का। कवि बने-विद्यार्थी, शिक्षक और कर्मचारी। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.संजय जैन ने इस अभिनव आयोजन को साहित्य क्लब की विशेष उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा कि स्वरचित साहित्य मंच का यह कार्यक्रम नवाचार की दिशा में मील का पत्थर है।
आकाश हमारा है, परचम लहराना है और कुछ कही कुछ अनकही जैसी साहित्यिक थीम पर विद्यार्थियों ने कविता का अनूठा संसार रचा। प्राची विश्वकर्मा ने अपनी कविता सुनाकर सबको भावुक कर दिया। कविता यादव ने यदि मैं किताब होती शीर्षक से गहरी बात कही। त्रिवेणी,सीता रजक ,ज़ोया, तुषार और रश्मि अहिरवार ने भी कविगोष्ठी को आगे बढ़ाया। महाविद्यालय के श्री रमाकांत तिवारी ने जाग उठा अब देश हमारा शीर्षक से सभागार में देशभक्ति का रंग भर दिया। आरती पटेल डॉ.अर्चना गौर,डॉ.कीर्ति श्रीवास्तव, डॉ.इलारानी श्रीवास्तव ने अपनी मौलिक कविताएं पढ़ीं।
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डॉ. सुषमा जादौन ने मां अभी हैं और मां अब नहीं हैं दो कविताओं की प्रस्तुति से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। सभागार में कला, वाणिज्य और विज्ञान के विद्यार्थियों ने सहभागिता की। महाविद्यालय परिवार की उपस्थिति से यह कार्यक्रम गरिमामय बन गया। प्रतिभागियों को प्राचार्य महोदय द्वारा पुरस्कृत भी किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. इला रानी श्रीवास्तव और आभार प्रदर्शन डॉ.कमलेश सिंह नेगी ने किया।