भेल भोपाल।
श्रमश्री सेवा संस्था द्वारा रामलीला मैदान, बरखेड़ा में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिवस अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कथाकार एवं समाज सुधारक पूज्य आचार्य मनोज अवस्थी जी महाराज ने भक्त प्रह्लाद, भगवान नरसिंह एवं श्रीहरि के वामन अवतार की कथाओं का अत्यंत भावपूर्ण एवं सारगर्भित विवेचन किया। कथा पंडाल श्रद्धालुओं से खचाखच भरा रहा और भक्तगण भाव-विभोर होकर कथा श्रवण करते नजर आए। महाराज श्री ने राम जन्मोत्सव का मार्मिक वर्णन करते हुए कहा कि भगवान श्रीराम संयम, शांति, करुणा और धर्म के साकार स्वरूप हैं। राम ही सनातन धर्म के केंद्र बिंदु हैं और उनके आदर्श ही समाज को संगठित, सुव्यवस्थित एवं मर्यादित बनाए रखते हैं।
उन्होंने कहा कि राम केवल पूजनीय भगवान नहीं, बल्कि जीवन जीने की श्रेष्ठ कला और सभ्यता के प्रतीक हैं। कथा के दौरान महाराज श्री ने वर्तमान सामाजिक परिस्थितियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज समाज में फैली रावण रूपी बुराइयों को समाप्त करने के लिए रामकथा के आदर्शों को जीवन में उतारना आवश्यक है। जो भी संस्कृति को विकृत कर रहा है, उसे राम की मर्यादा, संयम और सौहार्द के मार्ग पर लाना ही आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है। महाराज श्री ने कहा कि लोग अक्सर कहते हैं कि आज के समय में राम बनकर क्या करें, पहले कोई भरत या सीता बने। इस पर उन्होंने स्पष्ट किया कि भरत और सीता जैसे चरित्र तभी समाज में स्थापित होंगे, जब उनके जीवन में राम का आदर्श होगा।
व्यक्ति यदि स्वयं को राम के आदर्शों पर रख दे और शेष सब कुछ भगवान पर छोड़ दे, तो इतिहास उसे अवश्य याद रखता है। कथा के समापन पर महाराज श्री ने “चलो राम के पदचिह्नों पर, अब इतिहास बदलना होगा” शीर्षक से प्रेरक कविता सुनाई, जिसे सुनकर संपूर्ण पंडाल जयकारों से गूंज उठा। इस अवसर पर धूमधाम से कृष्ण जन्मोत्सव भी मनाया गया। नंद महोत्सव के दौरान भक्तों ने भजन-कीर्तन एवं उत्सव का आनंद लिया। श्रद्धालुओं ने भावपूर्वक भगवान के दर्शन कर धर्म लाभ प्राप्त किया।
