भेल की गपशप—केसी दुबे
पिछले दो माह से राजनीति का अखाड़ा बनी बीएचईई थ्रिफ्ट एंड को—आपरेटिव सोसायटी आज भी चर्चाओं में बनी हुई हैं । किसको कब पटखनी देंनी है इसके कई उदाहरण पिछले 7 सालों देखने को मिल रहे र्है । यूनियनों में कैसे फाड़ हो और आपस में लड़ाकर अपनी कुर्सी बचाये रखने की कवायद किसी से छिपी नहीं है । तो सब मिलाकर अब यह चर्चायें बड़ें जोरों पर चल चुकी हैं कि थ्रिफ्ट का एक बंदा सब पर भारी है और सारी यूनियनों को लड़ाकर ठहाके मारकर जोर—जोर हंसता हुआ दिखाई दे रहा है । यह सबको दिखाई दे रहा है फिर भी आंखें कोई नहीं खोल रहा हैं ।
यह साहब भले ही यहां बड़े ओहदें पर हों लेकिन भेल कारखाने में भी सबसे मलाईदार विभाग लॉजिस्टक एलजीएक्स विभाग में भी बड़े ओहदे पर बेठे हुये हैं । वर्ष 2016 से लेकर 2025 तक इन्होंने कितनों को निपटाया यह बात भी किसी से छिपी नहीं है वह भी भेल की प्रतिनिधि यूनियनों के धुरंधर नेताओं को । इधर भेल प्रशासन मानव संसाधन और विधिक विभाग में अफसरों और कर्मचारियों की लंबी फौज होने के बाद यह लोग यूनियन के नेताओं से डरे हुये हैं जो नेता आता है वह अपने काम कराता है।
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और डराता और आंखें भी दिखाता है लेकिन यहां के अफसर थ्रिफ्ट के अदने से बंदे से कोई सीख नहीं ले रहा है उसने अकेले दम पर न केवल बड़े—बड़े नेताओं को उलझाकर रख दिया है बल्कि अगले प्रतिनिधि यूनियनों और थ्रिफ्ट सोसायटी के चुनाव की ऐसी नींव रख दी यानि अब नेताओं के पास बाहर जाने के अलावा कोई रास्ता नहीं । इस दो माह के कांड में सबको उलझा दिया तो अब यह चर्चाऐं होने लेगी हैं कि थ्रिफ्ट के इस बंदे को एलजीएक्स की जगह मानव संसाधन विभाग में क्यों न भेज दिया जाये ।