अजीबो गरीब बता है कि बीएचईएल का शीर्ष प्रबंधन बचत—बचत की बात कर रहा है तो भोपाल कारखाने के कुछ अफसर अपने लाभ—शुभ के चलते चूना लगाने से नहीं चूक रहे । यदि कारखाने के कुछ ब्लॉकों में पता लगाया जाये तो कई मामले ऐसे मिल सकते है कि वहां के अफसर कतिपेय ठेकेदारों से मिलकर कंपनी को चूना लगाने से नहीं चूक रहे । रही बात विजिलेंस की बात तो उसे फुर्सत ही नहीं है कि कारखाने ब्लॉकों में झांकने की ।
मामला कुछ इस तरह का है कि कारखाने के वर्क्स इंजीनियरिंग विभाग के अंतर्गत एफसीएक्स विभाग में लंबे समय से कुछ ठेकेदार और अफसरों की मिली भगत से उंची दर पर काम देकर कंपनी को नुकसान पहुंचाया जा रहा है विभाग में इस तरह की चर्चाए गर्म है। सिविल वर्क पर इन लोगों की मोनोपॉली से काफी नुकसान पहुंचाया जा रहा है । यहां तक कि बाहर के ठेकेदारों को काम ही नहीं दिया जा रहा है। यदि टाउनशिप सिविल और कारखाना सिविल के कांट्रेक्टों का अध्ययन किया जाए तो दोनों में 25 से 40 फीसदी का फर्क नजर आयेगा ।
सिंगल विण्डों कारखाने से जुड़ा हुआ होने के कारण जो बाहर के ठेकेदार अंदर काम लेना चाहते हैं उन्हें काम तो मिल ही नहीं पाता और कोई टेंडर डाल भी दे तो उसे कारखाने की भीतर प्रवेश में काफी परेशान किया जाता है । रही बात विभाग के मुखिया कि तो उन्हें यहां बिठा जरूर दिया गया है लेकिन वह सिविल के जानकार न के बराबर है । दरअसल वह इलेक्ट्रिनिक के जानकार है इसी तरह एफसीएक्स विभाग के एक अपर महाप्रबंधक को यहां बिठा जरूर दिया गया है लेकिन उनकी पूछ परख न के बराबर है और उस पर प्रबंधन ने उन्हें एफसीएक्स विभाग भेज जरूर दिया है लेकिन वह भी सिविल के नहीं बल्कि टूल एंड गेज के जानकार है वह इस विभाग में 25 सालों से ज्यादा नौकरी कर चुके हैं ।
भले ही उनकी कोई न सुने लेकिन एक सीनियर मैनेजर का कब्जा इस विभाग पर जरूर है । विभाग के मुखिया भी उनके आगे नतमस्तक हैं यह चर्चाए पूर कारखाना वर्क्स इंजीनियरिंग में रोज सुनी जा सकती है । ऐसे में भगवान ही एफसीएक्स विभाग का मालिक है ।
