केसी दुबे
BHEL : भेल के चेयरमेन व भोपाल के मुखिया लगातार कोशिश कर रहे हैं कि कंपनी को कैसे आगे बढाएं। इस प्रयास में वह काफी हद तक वित्तीय वर्ष 2024—25 में कामयाब भी हुए। बेहतर परफार्मेंस के चलते कंपनी के लोगों में काफी खुशी की लहर देखी गई और अब 01 जनवरी 2027 को नए वेज रिवीजन को देखते हुए वित्तीय वर्ष 2025 में कंपनी को ओर आगे ले जाने की कोशिशों में लगे हैं।
ऐसे में भेल भोपाल यूनिट का एक ट्रेक्शन मोटर ब्लाक कंपनी को पीछे ले जाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखे है। हाल यह है कि विभाग के संबंधित अफसर सब कामों को नजरअंदाज करते हुए यहां बनीं मोटरों की क्वालिटी बेहतर देने में सफल नहीं हो पा रहे हैं यही कारण है कि बडी तादाद में रेलवे जैसे बड़े कस्टमर की मोटरों की गुणवत्ता में बड़ी खामियां पाई जाने की शिकायतें मिलना शुरू हो गई हैं। चर्चा है कि मशीन टाइप 3302 मोटर रेलवे ने भेल को बडी संख्या में बनाने के लिए आर्डर दिया है, लेकिन विगत कुछ समय से विभाग इनकी ओर सुधार के बजाए मनमानी करने पर उतारू है।
विभाग में चर्चा है कि पहुंच वाले साहब के लिए शीर्ष प्रबंधन कुछ भी करने में असहाय नजर आ रहा है। बड़ी खबर यह है कि रेलवे ने जब दिल्ली कारपोरेट में यह शिकायत भेजी कि 3302 मोटर में ट्रायल के दौरान ही धुआं उठने लगा तब कारपोरेट प्रबंधन की नींद उड़ गई। आनन—फानन में प्रबंधन ने भोपाल यूनिट के ट्रेक्शन मोटर विभाग के एक आला अफसर को फरमान भेजा कि वे खुद सिकंदराबाद जाकर इस मामले को देखें। सवाल यह उठ रहा है कि एक अफसर भोपाल यूनिट में इंजीनियरिंग ट्रेनीज से लेकर बड़े आहदे पर तो पहुंच गए।
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एक ही जगह पर नौकरी करते करते साहब इतने पावर फुल हो गए कि जब उनका प्रमोशन के साथ ट्रांसफर हुआ तो उन्होंने सबको अगूंठा दिखाते हुए अपने पावर का इस्तेमाल कर अपना ट्रांसफर ही रुकवा लिया। इनके बारे में विभाग में इस बात की चर्चाएं जरूर हैं कि जब टीएमई यानि इंजीनियरिंग विभाग में आए तब से जाब की क्वालिटी गड़बड़ होना शुरू हो गई। वहीं आफलोड की प्रथा भी चरम पर पहुंच गई। ऐसे में मोटर में लगने वाले मटेरियल की क्या स्थिति होगी इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। रेलवे की सबसे ज्यादा डिमांड ट्रेक्शन मोटर में है। यही हाल रहेगा तो यह विभाग भगवान भरोसे ही चलेगा।