केसी दुबे, भोपाल
भेल थ्रिफ्ट में ताला तोड़ने के राजनीतिक समीकरण,भेल में भी अजीबो—गरीब नजारे देखने को मिलते हैं। सत्ताधारी संचालक मंडल के दो सदस्यों की नाराजगी फिर अध्यक्ष के चैंबर में तालाबंदी फिर डबल ताला बंदी फिर ताला तोड़ने की घटनाएं नया—नया रूप लेती जा रही हैं। अब यह चर्चा आम हो गई है कि क्या एक बार नए राजनीतिक समीकरण बनेंगे। मामला थ्रिफ्ट सोसायटी के टेंडर का हो या कोई ओर, लेकिन इस बात के संकेत भी मिलना शुरू हो गए हैं कि कहीं सत्ता परिवर्तन का माहौल न बन जाए।
भले ही अध्यक्ष फिर से बन जाएं, लेकिन साथ पुरानों का नहीं नए संचालकों का होना दिखाई दे रहा है। इससे सत्ताधारी संचालकों में हड़कंप तो मचा हुआ है, लेकिन वह चुप रहकर तमाशा देख रहे हैं। दरअसल जिस दिन अध्यक्ष के चैंबर में दो संचालकों ने दूसरा ताला जड़ दिया तब अध्यक्ष महोदय ने अपने विरोधी तीन संचालक दीपक गुप्ता, निशांत कुमार नंदा, किरण की मौजूदगी में बाकायदा पंचनामा बनाकर खुद अध्यक्ष, मैनेजर नवीन कुमार, कर्मचारी पन्ना लाल के दस्तखत के बाद ताला तोड़ा है।
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इससे कई बड़े सवाल पैदा होते हैं। अब भेल में कर्मचारी ही नहीं कुछ अधिकारी भी यह चर्चा करने लगे हैं कि शायद अध्यक्ष नई चाल तो नहीं चल रहे हैं। घोर विरोधी संचालक में सिर्फ राजकुमार इडापाची ही नहीं पहुंच पाए थे पंचनामा बनाने के समय। इनका अप्रत्यक्ष रूप से अध्यक्ष के प्रति समर्पण व समर्थन भी दिखाई दे रहा है। खेल जो भी हो, लेकिन मजेदार होगा। यदि सत्ताधारी संचालक मंडल झुक गया तो मामला फिर जैसे का तैसा होगा।