Bhopal DRM: अरे मेरे भोपाल के रेल यात्रियों! सुनो, रेलवे में भी आजकल ‘ऊपर की कमाई’ का चक्कर खूब चल रहा है! खबर है कि अपने भोपाल के DRM (डिविजनल रेलवे मैनेजर) साहब के दफ्तर में कुछ ऐसा ‘खेल’ चल रहा है जिससे बेचारे यात्री प्यास से तड़प रहे हैं! सुनने में आ रहा है कि DRM साहब और उनके चेलों को ‘कमीशन’ चाहिए था, और इसी ‘लालच’ में उन्होंने स्टेशनों पर पानी के इंतजाम के लिए जो टेंडर निकला था, उसे ही रोक दिया! अब सोचो, गर्मी में प्यासे यात्रियों का क्या हाल हो रहा होगा! चलो, इस ‘भ्रष्टाचार’ की कहानी को थोड़ा देसी अंदाज़ में जानते हैं!
प्यासे यात्री, ‘कमीशन’ का खेल
देखो भाई, गर्मी का मौसम आ गया है और स्टेशनों पर यात्रियों का आना-जाना लगा रहता है। ऐसे में सबसे ज़रूरी चीज़ होती है पीने का पानी। रेलवे भी इसके लिए टेंडर निकालता है ताकि स्टेशनों पर पानी की व्यवस्था ठीक रहे। लेकिन भोपाल में तो कुछ और ही ‘खेल’ चल रहा है! खबर है कि DRM साहब और उनके कुछ खास लोग चाहते थे कि टेंडर उनको मिले जो उन्हें ‘मोटी’ कमीशन दे। और जो लोग उनकी ‘मांग’ पूरी नहीं कर पाए, उनका टेंडर रोक दिया गया! अब इसका खामियाजा कौन भुगत रहा है? बेचारे प्यासे यात्री!
‘मानवता’ गई तेल लेने, ‘कमीशन’ है मेन
ये जो DRM साहब और उनके साथी कर रहे हैं, ये तो सरासर ‘अमानवीय’ है! यात्रियों की प्यास से ज़्यादा इनको अपना ‘कमीशन’ प्यारा है! ज़रा सोचो, कोई बूढ़ा आदमी या कोई छोटा बच्चा गर्मी में प्यास से बेहाल हो रहा होगा और ये लोग अपनी जेब भरने में लगे हैं! इनको ज़रा भी ‘शर्म’ नहीं आती? रेलवे तो लोगों की सेवा के लिए है, लेकिन यहाँ तो ‘भ्रष्टाचार’ का बोलबाला है!
अब क्या होगा
ये मामला अब धीरे-धीरे ‘खुल’ रहा है और उम्मीद है कि रेलवे के बड़े अफसर भी इस पर ध्यान देंगे। अगर ये सच है, तो DRM साहब और जो भी इसमें शामिल हैं, उन पर ‘कड़ी’ कार्रवाई होनी चाहिए ताकि आगे से कोई भी ऐसा ‘घिनौना’ काम करने की हिम्मत न करे। और सबसे ज़रूरी बात, स्टेशनों पर यात्रियों के लिए पीने के पानी का ‘तुरंत’ इंतजाम होना चाहिए, बिना किसी ‘कमीशन’ के चक्कर में पड़े! यात्रियों की ‘आह’ लगेगी तो किसी का भला नहीं होगा!