भोपाल
मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री विजय शाह का एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वे भारतीय सेना की वरिष्ठ अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी के बारे में अपत्तिजनक और निंदनीय टिप्पणी करते हुए नजर आ रहे हैं। विजय शाह, जो भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के नेता हैं, कर्नल सोफिया कुरैशी को “पाकिस्तानी आतंकियों की बहन” कहकर संबोधित करते हैं। यह बयान न केवल एक महिला सैन्य अधिकारी के प्रति घृणा का प्रतीक है, बल्कि यह पूरे भारतीय सैन्य बल के लिए अपमानजनक है।
कर्नल सोफिया ने भारतीय सेना में अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और ऐसी एक सम्मानित अधिकारी को इस तरह की बेहूदी टिप्पणी मिलना शर्मनाक है। इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कुछ नेता अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेंकने के लिए किसी भी हद तक गिर सकते हैं।
टिप्पणी से भारतीय सेना और महिलाओं का अपमान
विजय शाह की यह टिप्पणी कर्नल सोफिया कुरैशी के व्यक्तित्व और उनके सैन्य योगदान के साथ-साथ भारतीय सैन्य बल की गरिमा को भी चोट पहुंचाती है। कर्नल सोफिया का सैन्य करियर बेमिसाल है। वे भारतीय सेना के सिग्नल कोर की सदस्य हैं और उनका परिवार भी सैन्य पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखता है। उनका पति भी एक सैन्य अधिकारी हैं। कर्नल सोफिया ने 1999 में भारतीय सेना में शामिल होकर न केवल अपने परिवार बल्कि देश को भी गर्व महसूस कराया। ऐसे में, एक मंत्री द्वारा इस तरह की भद्दी टिप्पणी करना, जो कि उनके योगदान और बलिदान को नकारता हो, एक बेहद शर्मनाक कृत्य है।
विजय शाह की यह टिप्पणी न केवल कर्नल सोफिया कुरैशी के लिए अपमानजनक है, बल्कि यह पूरे भारतीय सेना और विशेष रूप से महिला सैन्य अधिकारियों के प्रति उनके सोच का प्रतीक है। यह बयान न केवल लैंगिक और सांप्रदायिक रूप से भेदभावपूर्ण है, बल्कि यह इस बात का भी संकेत है कि कुछ नेता अपनी राजनीतिक लाभ के लिए किसी भी हद तक गिर सकते हैं, चाहे वे समाज के किसी भी वर्ग की भावना को ठेस पहुंचाएं।
सत्ता का घमंड और नेता की जिम्मेदारी
यह स्थिति भारतीय राजनीति में नेताओं की जवाबदेही से मुक्त होने की गंभीर समस्या को उजागर करती है। विजय शाह जैसे नेता, जो खुद को राष्ट्रवादी बताते हैं, दरअसल अपने बयान से भारतीय सैन्य बलों और विशेष रूप से महिलाओं के प्रति अपनी घृणा और अवमानना को व्यक्त करते हैं। यह बयान न केवल कर्नल सोफिया कुरैशी के लिए अपमानजनक है, बल्कि यह उन सभी महिलाओं के लिए एक घृणित उदाहरण है जो भारतीय सेना और अन्य क्षेत्रों में अपनी कड़ी मेहनत और संघर्ष से स्थान बना रही हैं।
विजय शाह को यह याद रखना चाहिए कि भारतीय सेना की वर्दी जाति, धर्म या लिंग से ऊपर होती है। ऐसे बयान देश की एकता और अखंडता को कमजोर करते हैं और समाज में घृणा फैलाते हैं। एक मंत्री का इस तरह का बयान देश के नागरिकों को न केवल धक्का पहुंचाता है, बल्कि यह भारतीय राजनीति के लिए एक कलंक भी है।
सख्त कार्रवाई की जरूरत
विजय शाह की इस टिप्पणी को देखते हुए यह जरूरी हो गया है कि उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। एक मंत्री, जो जनता का प्रतिनिधित्व करता है, इस तरह की भाषा का इस्तेमाल नहीं कर सकता। उनके इस बयान को न केवल कर्नल सोफिया कुरैशी के लिए, बल्कि देश की महिलाओं और सैन्य बलों के लिए एक गंभीर अपमान माना जाना चाहिए। ऐसे नेताओं को समाज से बहिष्कृत किया जाना चाहिए, ताकि भविष्य में कोई भी इस तरह की भाषा का प्रयोग करने की हिम्मत न कर सके। देश की बेटियाँ, चाहे वे सेना में हों या किसी अन्य क्षेत्र में, सम्मान और सुरक्षा की हकदार हैं।