16.2 C
London
Sunday, September 14, 2025
Homeभोपालमोहब्बत की याद में पत्थरमार मेला, 300 साल पुरानी परंपरा में इस...

मोहब्बत की याद में पत्थरमार मेला, 300 साल पुरानी परंपरा में इस साल 250 से ज्यादा घायल

Published on

छिंदवाड़ा

मध्य प्रदेश में छिंदवाड़ा जिले के पांढुरना में विश्व प्रसिद्ध गोटमार मेले का आयोजन हुआ। शनिवार को दो गांवों के बीच खूनी संघर्ष में 250 से ज्यादा लोग घायल हुए। गंभीर रूप से घायल 12 लोगों को इलाज के लिए नागपुर रेफर किया गया है। दो युवा प्रेमियों के प्यार से शुरू हुए इस मेले का आयोजन पिछले 300 वर्षों से हो रहा है। छिंदवाड़ा के पांढुरना में शनिवार को आयोजित हुए गोटमार मेले में 250 से ज्यादा लोग घायल हुए। प्यार की याद में हर साल आयोजित होने वाले इस मेले में दो गांवों के लोग एक-दूसरे पर पत्थर फेंककर प्रायश्चित करते हैं।

पूजा-अर्चना के बाद शुरू हुआ मेला
गोटमार मेला शनिवार सुबह पूजा-अर्चना के बाद शुरू हुआ। इसके बाद सावरगांव और पांढुरना गांव के लोगों के बीच पथराव की शुरुआत हो गई। दोनों गांवों के बीच खूनी संघर्ष शाम तक चलता रहा। 3.38 मिनट पर एक पक्ष के लोगों ने झंडे को तोड़ दिया। दूसरे पक्ष के लोग उस झंडे को ले जाने देने को तैयार नहीं थे। इसे रोकने के लिए भी जमकर पथराव हुआ।

प्रेम कहानी से हुई गोटमार की शुरुआत
किंवदंती है कि सैकड़ों साल पहले पांढुरना के लड़का साबरगांव की लड़की को अपने साथ प्रेम प्रसंग के चलते भगा कर ले गया था। दोनों जैसे ही जाम नदी में पहुंचे तो लड़की और लड़के के परिवार वालों ने उन पर पत्थरों से हमला कर दिया था। इसमें दोनों की बीच नदी में मौत हो गई थी। इस घटना के बाद से लोग प्रायश्चित स्वरूप एक दूसरे को पत्थर मारकर गोटमार मेला मनाते हैं। वर्षों पुरानी इस परंपरा में अब तक कई जानें जा चुकी हैं।

​पलाश के पेड़ को लड़की मानते हैं साबरगांव के ग्रामीण
परंपरा के मुताबिक जाम नदी में चंडी माता की पूजा के बाद साबरगांव और पांढुरना पक्ष के लोग पलाश के पेड़ को लगाकर उसमें झंडी बांधते हैं। जिस पलाश के पेड़ को नदी में लगाया जाता है, उसे साबरगांव पक्ष के लोग अपनी लड़की मानते हैं। जब मेला शुरू होता है तो पांढुरना पक्ष के लोगों से इस पलाश के पेड़ को बचाने के लिए एक दूसरे को पत्थर मारकर यह परंपरा निभाते हैं। आखिर में झंडी तोड़ लेते हैं और बाद में दोनों पक्ष मिलकर चंडी मां की पूजा-अर्चना कर इस गोटमार को खत्म करते हैं।

ड्रोन कैमरे से नजर
गोटमार मेले को लेकर प्रशासन ने चाक चौबंद व्यवस्था की थी। हथियारों पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाते हुए कलेक्टर ने धारा 144 लागू की थी। ड्रोन कैमरे से पूरे मेले पर निगरानी रखी गई। 400 से ज्यादा पुलिसकर्मियों को चप्पे-चप्पे पर तैनात किया गया था।

250 से ज्यादा घायल
गोटमार मेले में दोपहर एक बजे तक ही करीब 125 लोग घायल हो चुके थे। शाम होते-होते यह संख्या 250 से ज्यादा हो गई। 12 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें विशेष एंबुलेंस से नागपुर ले जाया गया है।

Latest articles

बीएचईएल में “उद्योग में हरित ऊर्जा का उपयोग” पर प्रशिक्षण एवं जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

भोपाल।बीएचईएल, भोपाल में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से “उद्योग में हरित ऊर्जा के उपयोग”...

रुक्मणी विवाह की कथा

भोपाल lश्री सिद्ध संकटमोचन हनुमान मंदिर आजाद नगर अयोध्या नगर बाय पास में श्री...

एमएसएमई जागरूकता व वित्तीय क्षमता कार्यक्रम की सफलता

गोविंदपुरा इंडस्ट्रीज एसोसिएशनGIA हॉल में हुआ आयोजनगोविंदपुरा इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (GIA) ने QistonPe — एक...

ये कैसा सिस्टम कंप्यूटर व स्मार्ट क्लास के दौर में गर्मी व उमस के बीच पढ़ने को मजबूर विद्यार्थी

बड़वाह ब्लाक में 31 स्कूल ऐसे है जहां केवल चुनाव के समय बिजली आती...

More like this

बीएचईएल में “उद्योग में हरित ऊर्जा का उपयोग” पर प्रशिक्षण एवं जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

भोपाल।बीएचईएल, भोपाल में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से “उद्योग में हरित ऊर्जा के उपयोग”...

रुक्मणी विवाह की कथा

भोपाल lश्री सिद्ध संकटमोचन हनुमान मंदिर आजाद नगर अयोध्या नगर बाय पास में श्री...

एमएसएमई जागरूकता व वित्तीय क्षमता कार्यक्रम की सफलता

गोविंदपुरा इंडस्ट्रीज एसोसिएशनGIA हॉल में हुआ आयोजनगोविंदपुरा इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (GIA) ने QistonPe — एक...