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चीन 1, अमेरिका 2, ब्रिटेन 3… यह कैसी लिस्‍ट जिसमें ड्रैगन का दबदबा, कहां है भारत?

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नई दिल्‍ली:

चीन में उपभोक्ता खर्च यानी कंज्‍यूमर स्‍पेड‍िंंग काफी ज्‍यादा है। यह देश की अर्थव्यवस्था का लगभग 40 फीसदी है। महामारी से पहले दो दशकों में इसमें 9 फीसदी की वार्षिक ग्रोथ दर्ज की गई। युवा चीनी उपभोक्ता अभी भी यात्रा, बाहरी अनुभवों और गेमिंग पर खर्च कर रहे हैं। 2030 तक देश की मध्यम और उच्च वर्ग की आबादी आधा अरब से अधिक होने का अनुमान है। इससे खपत में और बढ़ोतरी हो सकती है। यही कारण है क‍ि ग्‍लोबल ऑनलाइन रिटेल बिक्री का सबसे बड़ा हिस्सा चीन में है, जो 50% से ज्‍यादा है। वह इस मामले में नंबर 1 है। लगभग 20% के आसपास हिस्‍सेदारी के साथ अमेरिका दूसरे स्थान पर है। इसके बाद ब्रिटेन, जापान और दक्षिण कोरिया हैं। भारत इस मामले में छठे नंबर पर है।

चीन के अर्थशास्त्री एक दशक से अधिक समय से चेतावनी देते रहे हैं कि बीजिंग के निवेश और निर्यात-आधारित मॉडल से ऊंचे, निरंतर विकास प्राप्त करने की सीमाएं हैं। हालांकि, संदेह है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी घरेलू खपत को महत्वपूर्ण बढ़ावा दे सकती है। विश्लेषकों का कहना है कि चीन में दीर्घकालिक उपभोक्ता खर्च में बढ़ोतरी आश्चर्यजनक हो सकती है। चीन की खपत के बारे में निराशावादी दृष्टिकोण इसे कम करके आंकता है कि यह पहले से ही कितनी बड़ी है। उपभोक्ता खर्च देश की अर्थव्यवस्था का लगभग 40 फीसदी है।

महामारी से पहले के दो दशक में बढ़ा उपभोक्‍ता खर्च
बीसीएल रिसर्च के अनुसार, महामारी से पहले के दो दशकों में चीनी उपभोक्ता खर्च में वास्तविक रूप से 9 फीसदी की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई। मैकिन्से ग्लोबल इंस्टीट्यूट की ओर से कंपाइल्‍ड आंकड़ों के आधार पर ग्‍लोबल खपत में इसकी हिस्सेदारी कई महत्वाकांक्षी और विवेकाधीन खर्च श्रेणियों में वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में इसकी हिस्सेदारी से कहीं अधिक है।

टीएस लोम्‍बार्ड के अर्थशास्त्री रोरी ग्रीन का कहना है, ‘चीन लगभग किसी भी उपभोक्ता उत्पाद – वाहनों और स्मार्टफोन से लेकर लक्जरी सामान और सिनेमा तक – के लिए मात्रा और मूल्य के मामले में सबसे बड़ा बाजार है।’कैपिटल इकॉनॉमिक्‍स के अनुसार, देश में खुदरा बिक्री अमेरिका को उसके निर्यात से 10 गुना ज्‍यादा है। ऊंचे उत्पादन ने आंशिक रूप से चीन के घरेलू खुदरा बाजार को बढ़ावा देने में मदद की है।

वस्तुएं और सेवाएं अपेक्षाकृत सस्ती हैं। ऊंची आय वाले परिवार अपनी आय का कम उपयोग करके भी अच्छी जीवनशैली बनाए रख सकते हैं। आर्थिक दबावों के बावजूद युवा चीनी उपभोक्ता खर्च करने से पीछे नहीं हट रहे हैं।हांगकांग यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी से संबद्ध वैश्विक अर्थशास्त्री केयू जिन ने कहा, ‘जेन Z और मिलेनियल्स अभी भी यात्रा, बाहरी अनुभवों और गेमिंग पर उत्सुकता से खर्च कर रहे हैं।’ बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप का अनुमान है कि 2030 तक देश की मध्यम और उच्च वर्ग की आबादी आधा अरब से अधिक हो जाएगी।

देशग्‍लोबल ऑनलाइन खुदरा बिक्री में हिस्सेदारी (2024*) (%)
चीन50 से अधिक
यूएसलगभग 20
यूकेलगभग 5
जापानलगभग 5
दक्षिण कोरियालगभग 5
भारत5 से कम
जर्मनीलगभग 5 से कम
फ्रांसलगभग 5 से कम
कनाडालगभग 5 से कम
इंडोनेशियालगभग 5 से कम

स्रोत: ईमार्केटर। *इसमें इंटरनेट का उपयोग करके ऑर्डर किए गए उत्पाद या सेवाएं शामिल हैं।

भारत की कम हिस्‍सेदारी क्‍या संकेत देती है?
वैश्विक ऑनलाइन खुदरा बिक्री में भारत की कम हिस्सेदारी कई बातें दर्शाती है। पहला, भारत में ऑनलाइन खुदरा बाजार में विकास की काफी संभावना है। अन्य बड़े बाजारों की तुलना में कम हिस्सेदारी का मतलब है कि भविष्य में विस्तार के लिए अधिक जगह है। भारत का ऑनलाइन खुदरा बाजार अभी भी अपेक्षाकृत शुरुआती चरण में हो सकता है, खासकर चीन और अमेरिका जैसे अधिक परिपक्व बाजारों की तुलना में। भारत में अभी भी ऑफलाइन रिटेल का महत्वपूर्ण स्थान है। कई उपभोक्ता अभी भी पारंपरिक खरीदारी को प्राथमिकता देते हैं।

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