नई दिल्ली:
देश के इनकम टैक्स सिस्टम को लेकर गुरुग्राम की एक कंपनी के सीईओ ने कुछ सवाल उठाए हैं। इनका कहना है कि किसान को कमाई पर कोई टैक्स नहीं देना होता। वहीं कॉर्पोरेट को कमाई पर भारी-भरकम टैक्स देना होता है। साथ ही उन्होंने अपनी पोस्ट में जीएसटी को लेकर भी बात कही है।
इस सीईओ का नाम वीरेश सिंह (Veeresh Singh) है। उन्होंने इनकम टैक्स को लेकर लिंक्डइन पर एक पोस्ट लिखी है। इस पोस्ट में वीरेश ने लिखा है कि अगर कोई किसान साल में 1 करोड़ रुपये कमाता है, तो उसे कोई टैक्स नहीं देना होता। सड़क पर सामान बेचने वाले लोग भी, जिनमें से कुछ करोड़ों कमाते हैं, अक्सर टैक्स नहीं देते। इनमें चाय बेचने वाले, फूड स्टॉल लगाने वाले आदि शामिल हैं। उन्होंने लिखा है कि इनमें ज्यादातर लोग बिना किसी लिखा-पढ़ी के काम करते हैं। वे डिजिटल बैंकिंग या जीएसटी जैसे सिस्टम से बाहर रहते हैं। इसलिए उनकी कमाई का कोई हिसाब नहीं होता।
नौकरी करने वालों को लेकर क्या कहा?
उन्होंने किसान और स्ट्रीट वेंडर की तुलना जॉब और बिजनेस करने वालों से की है। उन्होंने अपनी पोस्ट में आगे लिखा है, ‘अब एक नौकरी करने वाले आदमी को देखिए। वह सुबह 7 बजे उठता है, ट्रैफिक में फंसता है, काम पूरा करने के लिए भागता है और EMI भरता है। लेकिन जब देश के विकास के लिए पैसे देने की बात आती है, तो सबसे ज्यादा बोझ नौकरी करने वाले लोग उठाते हैं। उन्हें कोई छूट भी नहीं मिलती।
कंपनी और कर्मचारी को कितना टैक्स?
वीरेश सिंह ने अपनी पोस्ट में कंपनी और कर्मचारी की कमाई पर लगाने वाले टैक्स के बारे में भी लिखा है। उन्होंने लिखा है कि अगर कोई प्राइवेट कंपनी को एक करोड़ रुपये का मुनाफा होता है तो उसे करीब 25 लाख रुपये टैक्स के रूप में चुकाने होते हैं। वहीं सालाना एक करोड़ की सैलरी वाले कर्मचारी को करीब 31 लाख रुपये का टैक्स देना पड़ता है। उन्होंने लिखा है, ‘कोई शॉर्टकट नहीं। बस मेहनत करो और टैक्स भरो।’
मध्यम वर्ग की पीड़ा बताई
वीरेश सिंह ने माना कि भारत को किसानों की जरूरत है। भारत को सड़क पर सामान बेचने वालों की जरूरत है। और हां, भारत के कारोबार भी जरूरी हैं। उन्होंने लिखा है कि कहीं न कहीं नौकरी करने वाला मध्यम वर्ग चुपचाप चिल्ला रहा है। वे सबसे ज्यादा योगदान करते हैं, सबसे कम शिकायत करते हैं, और अक्सर उन्हें सबसे कम मिलता है।
आंकड़ों का दिया हवाला
वीरेश सिंह ने अपनी पोस्ट में कुछ आंकड़ों का भी हवाला दिया है। उन्होंने लिखा है कि CBDT के 2023-24 के आंकड़ों के अनुसार, केवल 3.6 करोड़ भारतीयों ने इनकम टैक्स रिटर्न भरा। इनमें से लगभग 1.5 करोड़ नौकरी करने वाले लोग थे। लेकिन उन्होंने कुल इनकम टैक्स का 60% से ज्यादा दिया।