नई दिल्ली:
आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने रविवार को भारत की आर्थिक नीति के संबंध में कई सुझाव दिए हैं। उन्होंने कहा कि अगर भारत विदेशी कंपनियों या ग्लोबल मैन्यूफैक्चरर्स के लिए एक ऐसा माहौल बनाए जहां वे भरोसा कर सकें और उनका स्वागत हो तो भारत में बहुत सारा पैसा आ सकता है। भारत के लिए यह शानदार मौका है। कोरोना महामारी के बाद और चीन के दबदबे के कारण दुनियाभर की कंपनियां अपनी सप्लाई चेन (सामान बनाने और पहुंचाने का नेटवर्क) के बारे में दोबारा सोच रही हैं। वे इसमें बदलाव कर रही हैं। अगर भारत सही कदम उठाए तो ये कंपनियां भारत में आकर निवेश कर सकती हैं। राजन ने सीएनबीसी-टीवी18 से बातचीत में ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि भारत अगर अपने पत्ते सही से खेलता है तो यह उसका पल बन सकता है।
राजन ने यह भी संकेत दिया कि ट्रंप की व्यापार नीतियां चीन के लिए चुनौतियां पैदा कर सकती हैं। इससे ग्लोबल सप्लाई चेन में और बदलाव हो सकते हैं। अगर भारत अपनी नीतियों को सही तरीके से लागू करता है तो वह ग्लोबल चेन में चीन की आर्थिक ताकत को चुनौती दे सकता है। राजन ने कहा कि सभी कंपनियां अपनी सप्लाई चेन को फिर से देख रही हैं। अगर भारत एक अच्छा माहौल बनाए, जैसे कि टैक्स और पॉलिसी में स्थिरता लाए तो यह बहुत अच्छा होगा। भारत को विदेशी कंपनियों को घरेलू बाजार के लिए उत्पादन करने की अनुमति देनी चाहिए। भारतीय उद्योगों को डरने की जरूरत नहीं है। अगर भारत ये सब करता है तो एफडीआई में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी हो सकती है।
विकसित देश नहीं चाहते कि सप्लाई चेन चीन से भारत जाएं
रघुराम राजन ने यह भी कहा कि विकसित देश नहीं चाहते कि सप्लाई चेन चीन से भारत जाएं और फिर वापस उनके देश में न आएं। उन्होंने कहा कि अगर भारत अच्छी तरह से अपने पत्ते खेले और सिर्फ सब्सिडी पर ध्यान न दे तो यह एक बेहतर उत्पादन वातावरण बना सकता है। भारत एक अच्छा विकल्प दे सकता है। भारत के कुछ राज्य ऐसा करने में बहुत रुचि रखते हैं। अगर हम ऐसा कर सकते हैं तो यह भारत का क्षण हो सकता है। लेकिन, इसके लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है।
राजन ने चेतावनी दी कि ऐक्शन सक्रिय और सुसंगत होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ प्रतिक्रियात्मक नहीं होना चाहिए। भारत में FDI के लिए एक बेहतर माहौल बनाने की जरूरत है। हमने पिछले कुछ सालों में इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया है।
राजन की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऐपल को भारत में मैन्यूफैक्चरिंग का विस्तार करने की योजनाओं पर कड़ी चेतावनी दी है। ट्रंप ने कहा है कि ऐपल भारत में कारखाने स्थापित कर सकता है। लेकिन, उत्पादों को अगर अमेरिका में बेचा जाता है तो उसे टैरिफ का सामना करना पड़ेगा। ट्रंप ने पिछले महीने परमाणु ऊर्जा पर कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर करते हुए कहा, ‘भारत जाना ठीक है, लेकिन आप यहां बिना टैरिफ के नहीं बेचेंगे।’ ट्रंप ने सोशल मीडिया पर भी अपनी बात दोहराई और लिखा, ‘अगर ऐसा नहीं है तो ऐपल को अमेरिका को कम से कम 25 फीसदी का टैरिफ देना होगा।’
ट्रंप की चेतावनी पर क्या बोले राजन?
ट्रंप की ऐपल को दी गई चेतावनी के बारे में पूछे जाने पर राजन ने कहा, ‘वह विरले कोई सीईओ होगा जो इस समय ट्रंप प्रशासन को पार करना चाहेगा। लेकिन, बातचीत की गुंजाइश है।’ उन्होंने सुझाव दिया कि ऐपल और इसी तरह की कंपनियों को कम लागत वाले विदेशी मैन्यूफैक्चरिंग के लिए मामला बनाना होगा, जबकि R&D और बौद्धिक संपदा योगदानों पर प्रकाश डाला जाएगा जो वे अमेरिका में करते रहते हैं1
राजन ने आगे कहा, ‘इस समय रडार स्क्रीन के नीचे उड़ान भरने का बहुत महत्व है।’ उन्होंने कंपनियों को चीन से दूर अपने विविधीकरण का अत्यधिक प्रचार किए बिना नीतिगत तनावों को सावधानीपूर्वक नेविगेट करने की सलाह दी।
द्विपक्षीय व्यापार सौदों के विषय पर राजन ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वर्तमान में कोई बड़ा बहुपक्षीय व्यापार ढांचा नहीं है। हालांकि, उन्होंने कहा कि द्विपक्षीय सौदे – जैसे कि अमेरिका के साथ भारत का प्रस्तावित समझौता रफ्तार पैदा कर सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘ये द्विपक्षीय सौदे वास्तव में अंतरिम व्यवस्थाएं हैं। वास्तविक व्यापार सौदों को बातचीत करने में बहुत अधिक समय लगता है।’
उन्होंने आगे कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि अमेरिका के साथ टैरिफ कम करने से भारत को अधिक सामान्य रूप से टैरिफ कम करने और इस तरह खुद को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में फिर से एकीकृत करने की प्रेरणा मिलेगी, जिसे उसने खो दिया है।’
राजन के अनुसार, यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण हो सकता है, लेकिन सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि देश अपने उद्योगों को केवल उनकी रक्षा करने के बजाय उन्हें अधिक विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के अवसर का उपयोग करता है या नहीं।