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Tuesday, July 1, 2025
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पाकिस्‍तान ने जितनी रकम के लिए IMF में कटाई नाक, भारत को उससे कहीं ज्‍यादा ‘गिफ्ट’ मिलने वाला है

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नई दिल्‍ली

कंगाल पाकिस्‍तान ने हाल में अंतरराष्‍ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में नाक कटाकर जितनी रकम पाई है, भारत को उससे कहीं ज्‍यादा का ‘गिफ्ट’ मिलने वाला है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) सरकार को रिकॉर्ड डिविडेंड दे सकता है। यह डिविडेंड धीमी ग्रोथ के कारण टैक्‍स रेवेन्‍यू में आई कमी को पूरा करने में मदद करेगा। साथ ही, यह किसी भी आपातकालीन खर्च की जरूरतों को भी पूरा कर सकता है। कोटक महिंद्रा बैंक का अनुमान है कि आरबीआई सरकार को 3.5 ट्रिलियन रुपये यानी 3.5 लाख करोड़ रुपये (41.4 अरब डॉलर) तक का ट्रांसफर कर सकता है। आईडीएफसी फर्स्‍ट बैंक का अनुमान है कि यह डिविडेंड मार्च में समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए लगभग 3 लाख करोड़ रुपये होगा। पिछले साल यह भुगतान 2.1 ट्रिलियन रुपये था। आरबीआई अपनी निवेश और डॉलर होल्डिंग्स पर मूल्य परिवर्तन से होने वाली सरप्‍लस इनकम और मुद्रा छापने से मिलने वाली फीस से सरकार को वार्षिक भुगतान करता है।

पाकिस्‍तान को हाल में मिले आईएमएफ से मिले लोन से इस रकम की कहीं तुलना ही नहीं है। आईएमएफ से पाकिस्‍तान को भीख में हाल में 1.4 अरब डॉलर यानी करीब 12 हजार करोड़ रुपये का नया लोन मिला है। इसके लिए उसने पूरी दुनिया में भद्द पिटाई है। उस पर भिखारी का टैग और मजबूती के साथ जड़ गया है। पूरे आईएमएफ प्रोग्राम के तहत पाकिस्तान को कुल 7 अरब डॉलर मिलने हैं। नवीनतम किस्‍त के साथ पाकिस्तान को अब तक लगभग 2.1 अरब डॉलर मिल चुके हैं।

टैक्‍स कलेक्‍शन में कमी को क‍िया जाएगा पूरा
अब भारत पर आते हैं। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इस अप्रत्याशित लाभ से इस साल टैक्‍स कलेक्‍शन में आई कमी को पूरा किया जा सकेगा। यह कमी कमजोर विकास और बाजार में अस्थिरता के बीच कम विनिवेश प्राप्तियों के कारण आई है। कोटक की अर्थशास्त्री उपासना भारद्वाज ने एक नोट में कहा कि ‘हम सकल टैक्‍स रेवेन्‍यू को बजट से 1 ट्रिलियन रुपये कम मानते हैं।’ उन्होंने संपत्ति बिक्री से प्राप्तियों को लगभग 400 अरब रुपये कम आंका है।

अर्थशास्त्रियों की ओर से डिविडेंड के अनुमान सरकार की ओर से RBI और वित्तीय संस्थानों से अनुमानित 2.56 ट्रिलियन रुपये के भुगतान से अधिक हैं। सटीक राशि की घोषणा आरबीआई का केंद्रीय बोर्ड जल्‍द करेगा।विदेशी मुद्रा बाजार में अपने कार्यों से बढ़ी हुई आय से केंद्रीय बैंक की आय बढ़ने की उम्मीद है। पिछले वित्तीय वर्ष में आरबीआई ने रुपये को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले तेजी से गिरने से रोकने के लिए मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप किया था। आरबीआई को विदेशी और रुपये प्रतिभूतियों पर ब्याज आय से भी लाभ हो सकता है।

IDFC की गौरा सेन गुप्ता ने कहा कि हाई डिविडेंड सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 0.1% से 0.2% का राजकोषीय स्थान बनाता है। सरकार ने मौजूदा वित्तीय वर्ष में राजकोषीय घाटे को 4.4% तक कम करने का वादा किया है। भारद्वाज ने कहा कि इस स्थान का उपयोग सामाजिक कल्याण, निर्यात संवर्धन कार्यक्रमों पर खर्च बढ़ाने और जरूरत पड़ने पर किसी भी रक्षा और आंतरिक सुरक्षा खर्च को पूरा करने के लिए किया जा सकता है।

आरबीआई कहां से देता है ड‍िव‍िडेंड?
आरबीआई सरकार को जो पैसा देता है, वह उसकी कमाई का हिस्सा होता है। केंद्रीय बैंक को यह कमाई कई तरीकों से होती है। जैसे कि उसने जो निवेश किया है, उससे होने वाला मुनाफा। उसके पास जो डॉलर है, उसकी कीमत में बदलाव से होने वाला फायदा। करेंसी छापने से मिलने वाली फीस।

उपासना भारद्वाज का कहना है कि सरकार को टैक्स से जितना पैसा मिलने की उम्मीद थी, उतना नहीं मिल पाया है। इसलिए आरबीआई से मिलने वाले इस पैसे से सरकार को काफी मदद मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने जो संपत्तियां बेचने की योजना बनाई थी, उससे भी उतना पैसा नहीं मिला, जितना सोचा गया था।

सरकार ने आरबीआई और दूसरे वित्तीय संस्थानों से 2.56 लाख करोड़ रुपये मिलने का अनुमान लगाया था। लेकिन, अर्थशास्त्रियों का कहना है कि आरबीआई इससे ज्यादा पैसा दे सकता है। आरबीआई का बोर्ड मई में यह तय करेगा कि सरकार को कितना पैसा दिया जाएगा। कई रिपोर्टों में कहा गया है कि यह रकम 2.75 लाख करोड़ से 3.5 लाख करोड़ रुपये तक हो सकती है।

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