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बराबरी करने में 50 साल लगेंगे… क्‍यों भारत अभी नहीं बना है जापान, एक्‍सपर्ट ने बताई असल वजह

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नई दिल्‍ली

भारत नॉमिनल जीडीपी के आधार पर जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। लेकिन, गहराई से देखने पर कुछ चिंताएं सामने आती हैं। गुड़गांव स्थित स्टार्टअप के संस्थापक आशीष एस ने इसे लेकर लिंक्डइन पर अपनी राय शेयर की है। उनका पोस्‍ट काफी चर्चा में है। उन्‍होंने अपने पोस्ट में लिखा है कि भारत की वर्तमान प्रति व्यक्ति जीडीपी 1950 के दशक में जापान के बराबर है। नॉमिनल जीडीपी के आधार पर जापान से आगे निकलना एक मील का पत्थर है। लेकिन, यह आईना भी है। इस उपलब्धि के बावजूद भारत को अभी भी प्रति व्यक्ति आय और जीवन स्तर के मामले में जापान के बराबर पहुंचने में लंबा समय लग सकता है। असमानता, कृषि पर अत्यधिक निर्भरता और क्षेत्रीय विषमताएं भारत की प्रगति को बाधित कर रही हैं।

आशीष एस के अनुसार, उत्तर प्रदेश भारत की पांचवीं सबसे बड़ी राज्य अर्थव्यवस्था है। लेकिन, इसकी प्रति व्यक्ति जीडीपी अफ्रीका के तीन-पांचवें देशों से भी कम है। उन्‍होंने कहा, ‘यूपी भारत की पांचवीं सबसे बड़ी राज्य अर्थव्यवस्था है। फिर भी इसकी प्रति व्यक्ति जीडीपी अफ्रीका के 60 फीसदी देशों से कम है। यहां तक कि पीपीपी-समायोजित होने के बाद भी हम जापान के स्तर के पांचवें हिस्से (20 फीसदी) से भी कम हैं।’

जापान से मेल खाने में लगेंगे 50 साल
आशीष का मानना है कि अगर जापान स्थिर रहता है तो भी भारत को उसकी प्रति व्यक्ति आय तक पहुंचने में 22 साल लगेंगे। वास्तविकता में उनके जीवन स्तर से मेल खाने में 50 साल लग सकते हैं।

2025 में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी लगभग 2,400 डॉलर है। यह केन्या, मोरक्को और कोटे डी आइवर से कम है और दक्षिण अफ्रीका, लीबिया और मॉरीशस जैसे देशों से बहुत पीछे है। कई अफ्रीकी अर्थव्यवस्थाएं अब नॉमिनल और पीपीपी-समायोजित दोनों तरह से भारत से आगे हैं।इस मामले में भारत को नीचे रखने वाले फैक्‍टर्स में असमानता प्रमुख है। देश के शीर्ष 10% लोग देश की लगभग 57% आय अर्जित करते हैं, जबकि नीचे के 50% लोगों को केवल 15% मिलता है।

इसके अलावा, 42% वर्कफोर्स अभी भी कृषि में लगा हुआ है, जो कम उत्पादकता वाला क्षेत्र है। यह जीडीपी में केवल 16% का योगदान देता है। यह असंतुलन समग्र उत्पादकता को कम करता है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां बुनियादी ढांचा, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा कमजोर हैं।

क्षेत्रीय असमानता एक बड़ी समस्या
क्षेत्रीय असमानता भी एक बड़ी समस्या है। महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्य विकास को बढ़ावा देते हैं, जबकि उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे अधिक आबादी वाले राज्य प्रति व्यक्ति आय के मामले में राष्ट्रीय औसत से काफी नीचे हैं। भारत का विकास न केवल असमान है, बल्कि भौगोलिक रूप से केंद्रित भी है।

आशीष एस ने स्मार्ट सिटीज मिशन और मेक इन इंडिया जैसी नीतियों की प्रभावशीलता पर सवाल उठाए। उन्‍होंने कहा, ‘स्मार्ट सिटीज मिशन या मेक इन इंडिया ने वास्तव में क्या हासिल किया?’ वे पूछते हैं, ‘क्या कोई एक भी ‘स्मार्ट सिटी’ है? मेक इन इंडिया लॉन्च होने के बाद से मैन्‍यूफैक्‍चरिंग की हिस्सेदारी क्यों घट गई है?’

उनके अनुसार, आगे बढ़ने का रास्ता सुर्खियों में आने वाले मील के पत्थर नहीं हैं, बल्कि पाठ्यक्रम सुधार और वास्तविक जवाबदेही है। आशीष ने कहा, ‘जापान विनिर्माण, बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य, शहर नियोजन में इतना उन्नत है… सीखने और अनुकरण करने के लिए बहुत कुछ है। हम तभी जापान बनेंगे जब हम सही सवाल पूछेंगे।’

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