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तेल के बाद अब यूरेनियम, सऊदी अरब ने कर दिया बड़ा ऐलान, मोहम्मद बिन सलमान ने दुनिया को चौंकाया

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रियाद:

सऊदी अरब ने तेल के बाद अब यूरेनियम को समृद्ध करने और बेचने का ऐलान किया है। इसे सऊदी अरब के लिए मास्टर स्ट्रोक जैसे देखा जा रहा है। यूरेनियम का इस्तेमाल परमाणु ऊर्जा स्टेशनों में ईंधन के रूप में किया जाता है। यह बहुत दुर्लभ पदार्थ है, जिसकी दुनिया में काफी डिमांड है। सऊदी अरब क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान जानते हैं कि पेट्रोलियम पदार्थ एक दिन समाप्त हो जाएंगे। इस कारण सऊदी अरब भविष्य की योजनाओं के अनुसार पेट्रोलियम पर अपनी निर्भरता को कम कर रहा है। प्रिंस सलमान के नेतृत्व में सऊदी अरब पिछले कुछ वर्षों से कट्टर वहाबी विचारधारा को किनारे कर खुद को प्रगतिशील दिखाने की कोशिश भी कर रहा है।

सऊदी ने यूरेनियम बेचने का किया ऐलान
सऊदी ऊर्जा मंत्री प्रिंस अब्दुलअजीज बिन सलमान ने धाहरन में एक सम्मेलन में कहा, “हम इसे समृद्ध करेंगे और बेचेंगे और हम ‘येलोकेक’ बनाएंगे।” उन्होंने परमाणु रिएक्टरों के लिए यूरेनियम ईंधन तैयार करने के लिए उपयोग किए जाने वाले खनिज के पाउडर सांद्रण का जिक्र किया। इसे सुरक्षित तरीके से संभालने की आवश्यकता होती है, हालांकि इससे विकिरण का जोखिम कम होता है। ऐसे में सऊदी अरब को यूरेनियम और दूसरे खनिजों के निर्यात से मोटा पैसा मिलने की उम्मीद है। इससे पेट्रोलियम पदार्थों के समाप्त होने के बाद भी सऊदी अरब की आय निरंतर बनी रहेगी।

सऊदी अरब के ऐलान से दुनिया क्यों हैरान
सऊदी अरब के पास एक नवजात परमाणु कार्यक्रम है। ऐसे में सऊदी अरब सऊदी अरब की कोशिश यूरेनियम संवर्धन कर अपने परमाणु कार्यक्रम का विस्तार करने की है। हालांकि, परमाणु हथियारों के प्रति सऊदी अरब की महत्वकांक्षा को देखते हुए यह काफी संवेदनशील मुद्दा भी है। ऐसे में रियाद ने सफाई देते हुए कहा है कि वह अपने ऊर्जा मिश्रण में विविधता लाने के लिए परमाणु ऊर्जा का उपयोग करना चाहता है। यह स्पष्ट नहीं है कि सऊदी परमाणु महत्वाकांक्षाएं कहां समाप्त होंगी, क्योंकि क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने 2018 में कहा था कि अगर क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वी ईरान परमाणु हथियार विकसित करता है तो उनका देश भी परमाणु हथियार बनाएगा।

खाड़ी देशों में सिर्फ यूएई के पास न्यूक्लियर प्लांट
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के पास अरब देशों में पहला परमाणु ऊर्जा संयंत्र है। वह परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की कई यूनिट को ऑपरेट करता है। हालांकि, यूएई ने खुद यूरेनियम को समृद्ध नहीं करने और खर्च किए गए ईंधन को फिर से संसाधित नहीं करने की प्रतिबद्धता जताई है। यूएई ने पिछले साल कहा था कि वह संयुक्त राष्ट्र परमाणु निगरानी संस्था द्वारा अपनी परमाणु सुविधाओं की हल्की-फुल्की निगरानी को खत्म करने और 2024 के अंत तक नियमित सुरक्षा उपायों पर स्विच करने की योजना बना रहा है।

सऊदी अरब ने अभी तक नहीं चालू किया अपना रिएक्टर
सऊदी अरब ने अभी तक अपना पहला परमाणु रिएक्टर चालू नहीं किया है। अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के साथ एक समझौते के तहत सऊदी अरब को लघु मात्रा प्रोटोकॉल (Small Quantities Protocol) के तहत सीमित मात्रा में कम शक्ति वाले परमाणु रिएक्टर को चालू करने की अनुमति है। इस समझौते के तहत परमाणु शक्ति तकनीक के मामले में कम उन्नत देशों को अपनी संपत्ति के कई रिपोर्टिंग दायित्वों और निरीक्षणों से छूट प्राप्त होती है।

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