नोएडा
पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल के कृष्ण के अर्जुन को जिहाद का पाठ पढ़ाए जाने से संबंधित टिप्पणी का मामला गरमा गया है। गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले सीनियर कांग्रेसी नेता के इस बयान ने राजनीतिक मैदान में विवादों की शुरुआत कर दी है। चुनावी मैदान में मुद्दे को गरमाने की कवायद चलने लगी है। शिवराज पाटिल के बयान पर माहौल गरमाया तो वे सफाई में सामने आए। नोएडा में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने सफाई दी है। यह सफाई भी विवाद को गरमा सकती है। पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री और लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष शिवराज पाटिल ने अब कहा है कि आप कुरान पढ़ लीजिए। इसमें ईश्वर के किसी भी स्वरूप की चर्चा नहीं है। ईश्वर को रूपविहीन कहा गया है। गीता और बाइबिल में भी इसी प्रकार की बात है। शिवराज पाटिल के बयान ने राजनीतिक माहौल में गर्मी पैदा कर दी है। वहीं, उन्होंने इस पूरी बहस को गलत बताया है।
मीडिया पर लगाया आरोप
ग्रेटर नोएडा में पत्रकारों से बातचीत करते हुए शिवराज पाटिल मीडिया पर भड़के। उन्होंने कहा कि हमारी बातों को गलत तरीके से पेश किया गया। हमने इस प्रकार की बात नहीं की। जब पत्रकारों ने उनके शब्दों को उसी रूप में रखा तो शिवराज पाटिल गुस्सा गए। एक पत्रकार को चुप करते हुए उन्होंने कहा क्या आप भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिया, उसे जिहाद कहेंगे? पत्रकारों की ओर से जवाब नहीं आया तो उन्होंने कहा कि मैं भी यही कह रहा हूं। पाटिल ने कहा कि हमने इस प्रकार की बात नहीं की।
एक दिन पहले आया था बयान
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शिवराज पाटिल ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि जिहाद की अवधारणा न केवल इस्लाम, बल्कि भगवद् गीता और ईसाई धर्म में भी थी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मोहसिना किदवई की आत्मकथा के विमोचन पर पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पाटिल ने कहा कि ऐसा कहा जाता है कि इस्लाम धर्म में जिहाद पर काफी चर्चा गई। उन्होंने कहा कि जब सही इरादों और सही चीजें करने के बावजूद भी कोई नहीं समझता है तो यह अवधारणा सामने आई कि बल का प्रयोग किया जा सकता है। पाटिल ने दावा किया कि यह केवल कुरान में नहीं है, बल्कि महाभारत, गीता में भी है। श्रीकृष्ण ने भी अर्जुन से जिहाद के बारे में बात कर की है। यह चीज केवल कुरान या गीता में ही नहीं, बल्कि ईसाई धर्म में भी है।
कुरान में एक ईश्वर की है बात
शिवराज पाटिल ने कुरान का उदाहरण देते हुए कहा कि इसमें कहा गया है, कोई आदमी यह मानने को तैयार है कि बहुत सारे भगवान नहीं हैं। लेकिन, एक ही ईश्वर है। उसका कोई रूप नहीं है। उसका कोई रंग नहीं है। उसका कोई आकार नहीं है। इसीलिए वे मूर्ति नहीं लगाते हैं। क्रिश्चियनिटी के तहत भी यही कल्पना है। ज्यू धर्म के तहत भी ईश्वर को लेकर यही कल्पना है। वे मानते हैं कि भगवान हैं, लेकिन उनकी मूर्ति नहीं है। पाटिल ने इस प्रकरण को गीता से जोड़ा।
शिवराज पाटिल ने कहा कि गीता में ही कहा गया है कि भगवान कैसे हैं? जिनका रंग नहीं है। जिनका रूप नहीं है। जिनका आकार नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि भगवान क्या हैं? शिवराज पाटिल ने कहा कि एक ने कहा, भगवान ने संसार का निर्माण किया। फिर सवाल उठा, भगवान अगर नहीं है तो संसार कैसे बना? धर्म हमें बताता है कि ब्रह्मांड किसने बनाई। किताबों में यह लिखा गया है।