नई दिल्ली
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में बैसरन घाटी में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में मारे गए 26 लोगों के मामले में सीआरपीएफ के डीजी जीपी सिंह ने पहलगाम इलाके में तैनात सीआरपीएफ की 116वीं बटालियन के कमांडेंट राजेश कुमार को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। नोटिस में उन्होंने पूछा है कि मौके पर सीआरपीएफ को कोई भी जवान क्यों तैनात नहीं था।
सीआरपीएफ के एक अधिकारी ने बताया कि इस मामले में डीजी सिंह ने कमांडेंट राजेश से पूछा है कि वह बताएं कि बैसरन घाटी में उनके जवान क्यों नहीं थे? सूत्रों का कहना है कि हमले वाले दिन बैसरन घाटी में ना तो जम्मू-कश्मीर का कोई पुलिसकर्मी तैनात था और ना ही सीआरपीएफ का कोई जवान। जबकि बैसरन मैदान से करीब सात किलोमीटर नीचे सीआरपीएफ कैंप के सामने से ही टूरिस्ट बैसरन मैदान में जा रहे थे।
एक भी जवान होता तो हिम्मत नहीं होती
बताया जाता है कि यह बैसरन मैदान टूरिस्टों के लिए सालभर खुला था, लेकिन पर्यटकों की सुरक्षा के लिए ना तो जम्मू-कश्मीर पुलिस ने वहां पर अपना कोई चौकी बनाई और ना ही सीआरपीएफ का कोई जवान वहां था। सूत्रों का कहना है कि अगर जम्मू-कश्मीर पुलिस या सीआरपीएफ की तरफ से एके-47 से लैस एक भी जवान मौके पर होता तो आतंकवादियों की इतनी बड़ी हिम्मत नहीं हो सकती थी।
पुलिस भी अपने स्तर पर कर रही जांच
आतंकवादियों ने खुले मैदान में 26 लोगों के सिर पर गोली मारकर उनकी जान ली। फोर्स का एक भी जवान वहां होता तो, उन्हें जवाब देने के लिए भारी पड़ता। क्योंकि, वह भागकर भी जाते तो कहां। लेकिन उस दिन कोई जवान वहां तैनात नहीं था। इसी चूक या लापरवाही के सामने आने के बाद सीआरपीएफ के डीजी ने वहां सीआरपीएफ की 116वीं बटालियन के कमांडेंट राजेश कुमार से इस बारे में जवाब मांगा है। मामले में सूत्रों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर पुलिस भी अपने स्तर पर इस चूक की जांच कर रही है।