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8 महीने से नहीं बढ़े पेट्रोल-डीजल के दाम, तेल कंपनियों को भारी घाटा, अब पेट्रोलियम मंत्रालय मांग रहा मुआवजा

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नई दिल्ली

पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लंबे समय से कोई बदलाव नहीं हुआ है। पेट्रोल-डीजल की कीमतें पिछले आठ महीने से एक ही स्तर पर बरकरार है। क्रूड ऑयल की कीमतों में भारी बढ़ोतरी के बावजूद सरकार ने इन उत्पादों के दाम नहीं बढ़ाए। हालांकि, अब कच्चे तेल में काफी गिरावट आ चुकी है। कुछ महीने पहले जब कच्चे तेल की कीमतों में उछाल था, तब पेट्रोलियम कंपनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। अब पेट्रोलियम मंत्रालय सरकारी तेल कंपनियों को हुए नुकसान के एवज में वित्त मंत्रालय से क्षतिपूर्ति मांगेगा। एक टॉप अधिकारी ने शुक्रवार को यह बात कही। इंडियन ऑयल कॉरपोरशन (IOC), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (HPCL) को अप्रैल-सितंबर के दौरान संयुक्त रूप से 21,201.18 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ है।

एलपीजी सब्सिडी नहीं मिलती तो होता बड़ा नुकसान
खुदरा पेट्रोलियम कंपनियों को एलपीजी सब्सिडी मद की 22,000 करोड़ रुपये की राशि मिलनी थी। अगर खाते में इसका प्रावधान नहीं किया गया होता, तो उनका नुकसान और ज्यादा होता। अधिकारी ने कहा, ‘पहली छमाही का नुकसान सार्वजनिक है। इसमें अगर एलपीजी सब्सिडी को जोड़ दिया जाए, आप उनके नुकसान का आकलन कर सकेंगे।’ उन्होंने कहा कि कीमतों को नहीं बढ़ाने से उच्च महंगाई में और वृद्धि नहीं हुई और इससे अंतत: अर्थव्यवस्था को फायदा हुआ है। ऐसे में अब पेट्रोलियम मार्केटिंग कंपनियों को मुआवजा दिये जाने की जरूरत है।

वित्त मंत्रालय से मांगा जाएगा मुआवजा
अधिकारी ने कहा, ‘पेट्रोल और डीजल के दाम अब नियंत्रण के दायरे में नहीं है। यानी सरकार का इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं है। ऐसे में पेट्रोलियम मार्केटिंग कंपनियां अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतों के मानक के आधार पर दैनिक आधार पर दाम तय करने को स्वतंत्र हैं। लेकिन उन्होंने अपनी मर्जी से दाम को यथावत रखने का निर्णय किया।’ पेट्रोलियम मंत्रालय पूरे वित्त वर्ष में होने वाले नुकसान का आकलन करेगा। उसके बाद वित्त मंत्रालय के पास मुआवजे के लिये जाएगा।

कंपनियों को अब भी हो रहा नुकसान
ऑटो फ्यूल के दाम अंतरराष्ट्रीय बाजार में नरम होने के बावजूद तीनों खुदरा तेल कंपनियों को अब भी नुकसान हो रहा है। उन्होंने छह अप्रैल से कीमतों में बदलाव नहीं किया। जबकि इस दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत एक दशक के उच्च स्तर पर पहुंच गयी थीं। सरकार ने अक्टूबर में तीनों कंपनियों को घरेलू रसोई गैस एलपीजी पर जून, 2020 से हुए नुकसान की भरपाई के लिए एकबारगी अनुदान के रूप में 22,000 करोड़ रुपये दिए। पेट्रोलियम मंत्रालय ने एलपीजी नुकसान को लेकर 28,000 करोड़ रुपये मांगे थे, लेकिन उन्हें 22,000 करोड़ रुपये ही मिले।

अब घटी हैं कच्चे तेल की कीमतें
वैश्विक बाजार में तेल के दाम में नरमी से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी की उम्मीद बंधी है। भारत जो कच्चा तेल आयात करता है, उसका मूल्य जून में बढ़कर 116 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया था। लेकिन अब यह कम होकर 83.23 डॉलर पर आ गया है। पेट्रोल और डीजल के दाम में दैनिक आधार पर बदलाव की व्यवस्था है, लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र की खुदरा ईंधन कंपनियों ने छह अप्रैल से दाम में कोई बदलाव नहीं किए। उत्पाद शुल्क में कटौती के कारण 22 मई को जरूर कीमत में बदलाव हुआ था।

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