नई दिल्ली
स्वेज नहर संकट के चलते भारतीय निर्यातकों की मुश्किलें बढ़ने लगी हैं। शिपमेंट टलने और ढुलाई लागत बढ़ने के साथ अब इंश्योरेंस कंपनियां शिपमेंट्स के लिए बीमा कवर देने से मना करने लगी हैं। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशंस (FIEO) ने इस मामले में सरकार से मदद की अपील की है। FIEO ने इंपोर्ट ड्यूटी घटाने पर विचार करने को भी कहा ताकि भारत में तैयार होने वाले माल की लागत न बढ़े और विदेशी बाजारों में भारतीय निर्यात प्रतिस्पर्द्धी बना रहे। इस बीच, निर्यातकों की समस्याओं पर विचार करने के लिए कॉमर्स मिनिस्ट्री अगले हफ्ते एक अंतर-मंत्रालयी बैठक करने जा रही है।
इसरायल-हमास जंग के बीच यमन के हूती विद्रोही लाल सागर इलाके में जहाजों को निशाना बना रहे हैं। लाल सागर स्वेज नहर के जरिए यूरोप और एशिया को जोड़ता है। हूती अटैक से बचने के लिए मालवाहक जहाज अफ्रीका के केप ऑप गुड होप वाला रास्ता ले रहे हैं। इसमें समय अधिक लग रहा है। FIEO के डीजी और सीईओ डॉ. अजय सहाय ने कहा, ‘फ्रेट कॉस्ट बढ़ रही है। इस रूट पर जो शिपमेंट होते थे, उसमें से करीब 25 प्रतिशत अगले महीनों के लिए टाल दिए गए हैं। एक्सपोर्ट ही नहीं, इंपोर्ट में भी देर हो रही है। जो शिप लंबा रूट ले रहे हैं, उन्हें कम से कम 15 दिन ज्यादा लगेंगे। शिपिंग शेड्यूल आगे खिसक गया है। इन सबका असर एक्सपोर्ट-इंपोर्ट पर जरूर आएगा।’
महंगाई पर असर
सहाय ने कहा, ‘कुछ बीमा कंपनियों ने कहा है कि जो शिप लाल सागर वाले रूट से जाएंगे, उनको वे इंश्योरेंस कवर नहीं देंगी। हम चाहते हैं कि सरकार इन कंपनियों से इंश्योरेंस कंटीन्यू रखने को कहे। रिस्क बढ़ गया है तो कंपनियां उसके हिसाब से प्रीमियम थोड़ा बढ़ा लें, लेकिन बीमा कवर जारी रखें। संकट बना रहा तो क्रूड प्राइस बढ़ सकता है। इसका असर महंगाई पर जरूर पड़ेगा। सरकार को इंपोर्ट ड्यूटी घटाने पर विचार करना चाहिए। इससे एक्सपोर्ट के लिए तैयार होने वाले गुड्स की कॉस्ट कंट्रोल में रखी जा सकेगी और विदेशी बाजार में हमारे एक्सपोर्ट की कॉम्पिटीटिवनेस पर आंच नहीं आएगी।’
इंटर-मिनिस्ट्रियल मीटिंग बुलाई गई
कॉमर्स मिनिस्ट्री ने स्वेज नहर संकट को देखते हुए अगले हफ्ते इंटर-मिनिस्ट्रियल मीटिंग बुलाई है। इसमें विदेश, रक्षा, शिपिंग, वित्त और वाणिज्य मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे। मीटिंग में स्वेज नहर संकट के असर से भारत के एक्सपोर्ट-इंपोर्ट को बचाने के उपायों पर चर्चा होगी। हाल ही में दिल्ली के एक थिंक टैंक रिसर्च एंड इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर डिवेलपिंग कंट्रीज ने अनुमान जताया था कि स्वेज नहर संकट के चलते इंडियन एक्सपोर्ट को मौजूदा वित्त वर्ष में 30 अरब डॉलर तक की चपत लग सकती है। उसका कहना था कि निर्यात पिछले वित्त वर्ष के 451 अरब डॉलर से करीब 6.7 प्रतिशत कम रह सकता है।