नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट से पति के पक्ष में आए तलाक के फैसले को खारिज करते हुए एक महिला को फिर से विवाहिता का दर्जा दिया है। ऐसा करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिंदू धर्म में विवाहित महिला के सुहाग और सिंदूर की अहमियत होती है और समाज उनको उसी नजरिये से देखता है। ऐसे में पति से अलग रह रहीं महिलाएं इसी सिंदूर के सहारे अपनी पूरी जिंदगी काट सकती हैं।
मुद्दा क्यों है अहम: सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से विवाहित महिलाओं के अधिकारों को और बढ़ावा मिलेगा। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने 18 साल से पति से अलग रह रही एक महिला को न केवल फिर से विवाहिता का दर्जा दिया है, बल्कि हिंदू धर्म में सिंदूर और सुहाग की कीमत भी समझाई है।
क्या है मामला
मध्य प्रदेश के भिंड में रहने वाले शख्स ने निचली अदालत से यह दलील देकर तलाक मांगा था कि पत्नी छोड़कर चली गई है और अलग रहती है। निचली अदालत ने 2008 में तलाक से इनकार किया तो पति ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच में याचिका दी। हाई कोर्ट 2014 में 5 लाख रुपये पत्नी को देने का आदेश देते हुए शादी को इस आधार पर भंग कर दिया कि दोनों के बीच वैवाहिक संबंध नहीं रहे। महिला सुप्रीम कोर्ट गई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में मामला फिर हाई कोर्ट भेजा, लेकिन उसने फिर फैसला दोहरा दिया।
विवाहिता का दर्जा बहाल करने की अपील की थी
महिला ने अब सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर अपना विवाहिता का दर्जा बहाल करने की अपील की। पत्नी के वकील ने कहा कि हाई कोर्ट ने भी माना था कि पति के साथ कोई क्रूरता नहीं हुई थी। महिला ने ससुराल को अपनी मर्जी से नहीं छोड़ा था, इसलिए शादी भंग करने का हाई कोर्ट का फैसला सही नहीं है। हाई कोर्ट ने संबंधों में सुधार की गुंजाइशन न देख शादी खत्म की थी। महिला शादी बहाल रखना चाहती है।