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Thursday, July 10, 2025
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एंडरसन के जहर से जंग बाकी है, जानिए देश के लिए नासूर बना यूनियन कार्बाइड का कचरा कैसे खत्म होगा ?

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भोपाल

यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के 337 मीट्रिक टन जहरीले कचरे को पुलिस सुरक्षा बुधवार रात 12 कंटेनरों में भरकर पीथमपुर भेजा गया है। अब इस जहरीले कचरे को 180 दिनों के भीतर जलाकर खत्म किया जाएगा, मगर यह आसान नहीं है। यह कचरा 40 साल पुराने नरसंहार की दास्तान है।

…जब सोते-सोते ही मर गए हजारों लोग
3 दिसंबर 1984 की रात वॉरेन एंडरसन की कंपनी यूनियन कार्बाइड से आइसो सायनाइड गैस लीक हुई और एक रात में 3000 लोग सोते-सोते दुनिया छोड़कर चले गए। इसका असर दशकों तक रहा। रेकॉर्ड के मुताबिक गैस की चपेट में आकर 23 हजार लोगों ने किस्तों में जान गंवाई थी। करीब 20 हजार लोग पूरी जिंदगी बीमारी से तड़पते रहे। पीढ़ियां विकलांग हो गईं। आंकड़ों के मुताबिक करीब 5.21 लाख लोगों पर इसका असर हुआ। यह त्रासदी सिर्फ भोपाल की नहीं थी, यह पूरे देश का जख्म बन गया। इस जख्म पर नमक उस समय लगा, जब एंडरसन भारत के कानून से बचकर आराम से अमेरिका भाग गया।

एंडरसन तो भाग गया, अधिकारियों को नहीं मिली सजा
इस भीषण हादसे के बाद यूनियन कार्बाइड कंपनी पर लापरवाही के आरोप लगे थे। कंपनी के मुखिया वॉरेन एंडरसन समेत 11 अधिकारियों के खिलाफ गैर जमानती धाराओं में केस दर्ज किया गया। ‘नरसंहार’ के कुछ दिन बाद वॉरेन एंडरसन भोपाल आया। उसके खिलाफ भी गैर जमानती एफआईआर दर्ज थी, मगर उसे गिरफ्तार नहीं किया गया। वारेन एंडरसन आराम से अमेरिका लौट गया और भोपाल में जहरीला कचरा छोड़ गया, जिससे कई दशक तक लोग घुट-घुटकर मरते रहे। जब एंडरसन भोपाल से भागा, तब मध्यप्रदेश में कांग्रेस के नेता अर्जुन सिंह की सरकार थी। केंद्र में राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे। एंडरसन के भागने पर काफी हो-हल्ला हुआ। कंपनी पर केस चलता रहा। जून 2010 में यूनियन कार्बाइड के अफसरों को सजा मिली, मगर सेशन कोर्ट में उनकी सजा कम हो गई।

क्या पीथमपुर को बर्बाद करेगा जहरीला कचरा?
भोपाल त्रासदी के लंबे समय बाद सरकार बदली, मगर जहरीला कचरा नासूर बनकर भोपाल के सीने में चुभता रहा। 2004 में यूनियन कार्बाइड का कचरा हटाने के लिए हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई। केंद्र से राज्य तक टास्क फोर्स बना। 20 साल तक एंडरसन के जहरीले कचरे की जंग अदालत में चलती रही। पिछले 3 दिसंबर को एमपी हाईकोर्ट ने इस कचरे को हटाने के लिए सरकार को चार हफ्ते की मोहलत दी थी। 2 जनवरी को इसकी डेडलाइन थी। भोपाल में 40 साल तक पड़े इस कचरे के पीथमपुर भेजने तक कई स्तर पर सावधानियां बरती गईं। गैस त्रासदी राहत विभाग का कहना है कि इस कचरे का निपटान विशेष निगरानी में किया जाएगा, इससे पीथमपुर की जमीन और हवा पर कोई खराब असर नहीं पड़ेगा।

यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री से धूल भी ले गए
विभागीय अधिकारियों के मुताबिक भोपाल से कचरा उठाने से पीथमपुर में इस भस्म करने तक सावधानी और सुरक्षा की विशेष इंतजाम किए गए हैं। कचरा हटाने की प्रक्रिया रविवार दोपहर शुरू हुई थी। 50 से ज्यादा मजदूरों ने चार दिनों तक इसे बोरियों में पैक किया गया। कचरे को जिन नॉन-रिएक्टिव लाइनर में भरा गया, उसकी जांच की गई। यह पता लगाया गया कि केमिकल वाला कचरा डालने के बाद बोरी के साथ केमिकल रिएक्शन होता है या नहीं। पीएम 10, पीएम 2.5, नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड के स्तर को मापने के लिए यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री में तीन निगरानी उपकरण लगाए गए। जहां यह कचरा वर्षों से पड़ा था, वहां की धूल को भी श्रमिकों ने लाइनर में पैक कर दिया।

सिर से पैर तक पीपीई किट में कैद रहे श्रमिक
पैकिंग करने वाले हर मजदूर को सिर से पैर तक पीपीई किट से कवर किया गया। हर श्रमिक की शिफ्ट आधे घंटे की थी। काम से लौटते ही मौके पर मौजूद डॉक्टर उसकी सेहत की जांच कर रहे थे। इस प्रक्रिया में शामिल मजदूरों के लिए भोजन, विश्राम क्षेत्र और स्नान की सुविधा प्रदान की। साढ़े तीन दिनों में 337 मीट्रिक टन कचरे को पैक किया गया। बुधवार दोपहर यह प्रक्रिया पूरी हुई।

निगरानी में भोपाल से पीथमपुर पहुंचा कचरा
फिर 40 साल तक भोपाल में पड़े जहरीले कचरे को 250 किलोमीटर दूर पीथमपुर भेजने की प्लानिंग की गई। मंगलवार रात कचरे के बैग को 12 कंटेनरों में भरा गया। हर कंटेनर को यूनीक आईडी दी गई। इसके लिए ग्रीन कॉरिडोर तैयार किया गया। एक्सपर्ट टीम ने ऐसे रूट की पहचान की, जहां ट्रैफिक का प्रेशर कम रहता है। कचरे को सुरक्षित तरीके से ले जाने के लिए 100 से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात किए गए।

एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड और पुलिस की लगी ड्यूटी
पुलिस अफसरों ने बताया कि कंटेनर को भोपाल की यूनियन कार्बाइड कंपनी से निकालने से पहले यह तय किया कि जब काफिला चले तो उसके आसपास दो किलोमीटर तक कोई ट्रैफिक नहीं हो। रूट पूरी तरह से क्लियर हो। हर कंटेनर पर दो ड्राइवर तैनात किए गए। पुलिस की पांच गाड़ियां काफिले के साथ चलती रही। इसके अलावा एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड और क्विक रिस्पॉन्स टीम भी भोपाल से पीथमपुर तक साथ रही।

जहरीले कचरे को भस्म करने में लगेंगे कई महीने
पीथमपुर इंदौर के पास इंस्ट्रियल शहर है, जहां यूनियन कार्बाइड के कचरे को विशेष निगरानी में नष्ट किया जाएगा। नष्ट करने की प्रक्रिया अगले 180 दिनों तक चलेगी। गैस त्रासदी राहत विभाग के निदेशक स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया कि आने वाले 20 दिनों कचरे को नष्ट होने वाली जगह पर पहुंचाया जाएगा। जलाने से पहले इसमें कुछ रीजेंट तत्व मिलाए जाएंगे। फिर दोबारा इसे 3 से 9 किलो के बोरे में पैक किया जाएगा। 76वें दिन से इसे भस्म किया जाएगा। स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया कि जलाने से पहले सभी रिपोर्ट कई विभागों को उनकी स्वीकृति के लिए भेजी जाएंगी ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हवा की गुणवत्ता खराब न हो। उन्होंने कहा कि यूनियन कार्बाइड संयंत्र के जहरीले कचरे को जलाने से गांवों की भूमि और मिट्टी पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

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