इस्लामाबाद
पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन के बाद इमरान खान और सेना के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है। इमरान के करीबी नेता और पूर्व सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने पाकिस्तान की राजनीति में सेना के हस्तक्षेप को लेकर निशाना साधा है। उन्होंने सख्त लहजे में सेना को चेतावनी देते हुए कहा है कि पाकिस्तान की कौम इंकलाब के लिए तैयार है। अब सेना को फैसला करना है कि उन्हें यह इंकलाब वोटो के जरिए लाना है या फिर पाकिस्तान को श्रीलंका बनाना है। इसके पहले भी कई रिपोर्ट्स में दावा किया जा चुका है कि पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा और इमरान खान के बीच सबकुछ सामान्य नहीं है। इमरान खान कई मौकों पर पाकिस्तान में हुए सत्ता परिवर्तन में सेना की भूमिका को लेकर सवाल उठा चुके हैं।
सियासी फैसले ले रही है सेना, अवाम को है इसका हक
फवाद चौधरी ने कहा कि हमारे यहां इस्टैब्लिशमेंट के मुंह जो लहू लगा हुआ है कि उन्हें सियासी फैसले करने हैं, सियासत को आगे लेकर जाना है। दुर्भाग्य से यह पाकिस्तान की तारीख है, जो बदल जाएगी। इतने बड़े मीडिया रेवल्यूशन के बाद ज्यादा देर यह सिलसिला जारी रह नहीं सकता। पाकिस्तान के अवाम को फैसलों का हक देना होगा। ये नहीं हो सकता कि हमारे जनरल, हमारे जज बैठकर बंद कमरों में फैसले कर दें कि आज से हमारी पॉलिसी यह होगी और अगले दिन हम बदल जाएं। हम फैसला कर लें कि 8 साल अफगानिस्तान में लड़ाई लड़नी है। वहां पर हम हजारों लोग अपने शहीद करवा दें, अगले दिन हम बदल जाएं कि नहीं वो हमारी पॉलिसी गलत थी। आज से हम दूसरी तरफ हो गए हैं। हम फिर अपने हजारों लोगों को मरवा डालें।
‘कौम इंकलाब के लिए तैयार है’
उन्होंने कहा कि जिस तरह से पाकिस्तान में पॉलिसी बन रही हैं वो मजाक हैं। हमारे बच्चे शहीद हो रहे हैं, हमारे लोग जान के नजराने दे रहे हैं। ऐसी पॉलिसी कौमें नहीं बनाती हैं, जिस तरह से हमारे 8 से 10 लोग ऊपर बैठकर बना देते हैं। इसलिए यह मैंने बात कही थी कि कौम अब इंकलाब के लिए तैयार है। फैसला यह करना है कि इंकलाब वोट के जरिए लाना है या हम श्रीलंका की तर्ज पर आगे बढ़ना चाहते हैं। ये फैसला हमारे मुक्तदर हलके हैं, उन्हें करना है और इसी के मुताबिक हालात बदलेंगे।
इमरान खान और जनरल बाजवा में तनातनी जारी
इमरान खान के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफे के बाद से ही सेना के साथ उनके रिश्ते अच्छे नहीं हैं। इमरान ने कई बाद दावा किया है कि देश की ताकतवर संस्थाओं ने विदेशी हुकूमतों के साथ मिलकर उनके सरकार के खिलाफ साजिश रची। इमरान की पार्टी तो दावा कर रही है कि आने वाले चुनाव में सत्तारूढ़ पीएमएल-एन और पीपीपी को फायदा पहुंचाने के लिए सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई एक साथ मिलकर काम कर रही है।