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Wednesday, July 16, 2025
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आ गई भविष्यवाणी… ट्रंप के गुस्‍से का भारतीय करेंसी पर और कितने दिन दिखेगा असर?

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नई दिल्‍ली

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्‍ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कारण पूरी दुनिया में हड़कंप मचा है। दूसरी बार राष्‍ट्रपति की कुर्सी पर बैठने से पहले उन्‍होंने इतनी बातें कर दी हैं कि हर कोई उलझा हुआ है। कोई नहीं जानता आगे क्‍या होगा। उनके राष्ट्रपति कार्यकाल के भारतीय रुपये पर पड़ने वाले असर को ‘ट्रंप टैंट्रम’ (ट्रंप का गुस्‍सा) कहा जा रहा है। इस पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की एक रिपोर्ट आई है। इसके मुताबिक, यह एक अल्पकालिक घटना साबित होने की उम्मीद है। रिपोर्ट बताती है कि ट्रंप के कार्यकाल के शुरुआती दिनों में रुपये में कुछ उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। लेकिन, जल्द ही यह स्थिर हो जाएगा।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘साक्ष्य बताते हैं कि भारतीय रुपये के लिए ‘ट्रम्प टैंट्रम’ एक अल्पकालिक घटना होगी। राष्ट्रपति पद के शुरुआती दिनों के झटके के बाद रुपये को समायोजित होना चाहिए।’ रिपोर्ट में आगे कहा गया है, ‘महामारी के बाद अस्थिरताओं का RBI ने अच्छी तरह से बचाव किया। रुपये आने वाले महीनों में उभरती बाजार मुद्राओं को प्रभावित करने वाले शोर के कम होने के बाद आगे बढ़ने के लिए तैयार है। कारण है कि यह अपने तटस्थ स्तर पर फिर से समायोजित हो जाता है…।’

सोमवार को र‍िकॉर्ड न‍िचले स्‍तर पर पहुंचा था रुपया
सोमवार को भारतीय रुपया अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया था। लगभग दो वर्षों में इसने अपनी सबसे बड़ी एक-दिवसीय गिरावट दर्ज की। इस गिरावट का कारण अमेरिकी डॉलर का मजबूत होना, स्थानीय शेयरों से पूंजी निकासी और केंद्रीय बैंक का सीमित हस्तक्षेप था। 86.58/प्रति डॉलर तक टूटने के बाद रुपया 86.57 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। यह फरवरी 2023 के बाद से इसकी सबसे बड़ी गिरावट थी।

यह और बात है कि मंगलवार को भारतीय करेंसी थोड़ा मजबूत हुई। रिकॉर्ड निचले स्‍तर से उबरकर यह आठ पैसे की बढ़त के साथ 86.62 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ। रिपोर्ट में ऐतिहासिक आंकड़े बताते हैं कि डेमोक्रेटिक प्रशासन की तुलना में रिपब्लिकन प्रशासन के तहत रुपया बेहतर प्रदर्शन करता है।

र‍िपब्‍ल‍िकन या डेमोक्रेट‍… कब ज्‍यादा अस्‍थ‍िर होता है रुपया?
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि बाजार की धारणाओं के उलट रुपया गैर-ट्रंप या डेमोक्रेटिक शासन के तहत अधिक असुरक्षित प्रतीत होता है। निक्सन युग के बाद के रुझानों को देखते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि रिपब्लिकन कार्यकाल के दौरान रुपये में सापेक्ष स्थिरता दिखाई दी है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जहां कुछ अल्पकालिक अस्थिरता की उम्मीद है, वहीं वर्तमान स्थिति 2013 के ‘टेपर टैंट्रम’ के दौरान देखी गई उथल-पुथल की तुलना में नहीं है। इससे विश्लेषकों को भरोसा है कि ट्रंप के राष्ट्रपति पद के प्रति रुपये की प्रतिक्रिया अस्थायी होगी। 2024 के बाद के हिस्‍से में पूंजी बाहर जाने से रुपये में कमजोरी आने लगी। ट्रंप की नवंबर में राष्ट्रपति पद की जीत से अमेरिकी डॉलर की मजबूती ने रुपये पर और दबाव डाला। नवंबर 2024 से डॉलर के मुकाबले रुपये में लगभग 3% की गिरावट आई है। हालांकि, रिपोर्ट में बताया गया है कि अन्य वैश्विक मुद्राओं की तुलना में यह डेप्रिसिएशन मामूली है।

इस बीच, स्टैंडर्ड चार्टर्ड और ड्यूश बैंक के अर्थशास्त्रियों ने अनुमान लगाया है कि मार्च 2025 तक रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 87 तक कमजोर हो जाएगा। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर टैरिफ युद्ध बढ़ता है और भारतीय रिजर्व बैंक विदेशी मुद्रा बाजार में अपने हस्तक्षेप को कम करता है तो वित्तीय वर्ष समाप्त होने से पहले ही रुपया 87 के स्तर को छू सकता है।

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