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Sunday, July 6, 2025
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वह ‘इंडिया’ को ‘हिंदिया’ बनाना चाहते हैं… कमल हासन ने बोला बीजेपी और केंद्र की मोदी सरकार पर बड़ा हमला

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चेन्नै:

अभिनेता-राजनेता कमल हासन ने लोकसभा सीटों के परिसीमन को लेकर केंद्र सरकार की तीखी आलोचना की। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की ओर से जनगणना न करने के कदम के पीछे ‘असली मकसद’ पर सवाल उठाया और इसे ‘हिंदिया’ बनाने का कदम बताया। बुधवार को सर्वदलीय बैठक में उन्होंने कहा कि यह मनमाना फैसला उसी पैटर्न का हिस्सा है। जनगणना में लगातार हो रही देरी का हवाला देते हुए हासन ने कहा कि इसके पीछे असली मकसद हिंदी भाषी राज्यों में सत्ता को मजबूत करना और निर्णायक चुनावी जीत सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि हम एक समावेशी भारत की कल्पना करते हैं लेकिन वे ‘हिंदिया’ बनाना चाहते हैं।

‘गैर-हिंदी भाषी राज्य ही होंगे प्रभावित’
कमल हासन ने आगे कहा कि जो चीज ठीक है उसे क्यों बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है? एक काम कर रहे लोकतंत्र को बार-बार बाधित करने की कोई जरूरत नहीं है। चाहे निर्वाचन क्षेत्रों का पुनर्निर्धारण कैसे भी किया जाए, सबसे ज्यादा प्रभावित गैर-हिंदी भाषी राज्य ही होंगे। यह कदम संघवाद को कमजोर करता है और पूरी तरह से अनावश्यक है। उन्होंने कहा कि न सिर्फ आज, न सिर्फ कल, बल्कि हर समय, संसदीय प्रतिनिधियों की संख्या को अपरिवर्तित रखना लोकतंत्र, संघवाद और भारत की विविधता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।

केंद्र पर लगाए गंभीर आरोप
कमल हासन ने केंद्र की मोदी सरकार पर राज्यों के मामलों में दखल देने, चुनावी राज्यों को चुनिंदा रूप से अतिरिक्त धन आवंटित करने और तमिलनाडु के संसाधनों के उचित हिस्से की उपेक्षा करने की निंदा की। उन्होंने केंद्र पर त्रिभाषा नीति के बहाने हिंदी भाषा को लागू करने के लिए वित्तीय सहायता का लाभ उठाने और राज्य सरकारों पर दबाव बनाने का भी आरोप लगाया। वे लोकसभा सीटों के परिसीमन का विरोध करने में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के साथ शामिल हुए और कहा कि अगर प्रतिनिधित्व का विस्तार करना है, तो यह राज्य स्तर पर होना चाहिए। क्योंकि केंद्र सरकार के सभी फैसले राज्यों द्वारा लागू किए जाते हैं।

‘सरकार के असली इरादे संदिग्ध’
उन्होंने कहा कि अगर उन्हें सीटों की संख्या बढ़ानी है, तो विधानसभा सीटें बढ़ाई जाएं। मीडिया से बात करते हुए कमल हासन ने कहा कि वर्तमान संसदीय सीटें पर्याप्त हैं और इसमें वृद्धि की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि इस 453 (सीटों) को बदलने की जरूरत नहीं है। जब यह 145 करोड़ था, तब भी इन 453 सदस्यों ने देश को आज इस मुकाम तक पहुंचाया है…वे पर्याप्त हैं। कमल हासन ने केंद्र सरकार के इस कदम को हिंदी भाषी राज्यों को फायदा पहुंचाने और गैर-हिंदी भाषी राज्यों को नुकसान पहुंचाने वाला बताया। उन्होंने कहा कि इससे देश के संघवाद को खतरा है। उन्होंने जनगणना में देरी पर भी सवाल उठाए और कहा कि सरकार के असली इरादे संदिग्ध हैं।

कमल हासन के बयान के मायने?
कमल हासन का यह बयान ऐसे समय में आया है जब तमिलनाडु में परिसीमन को लेकर काफी विरोध हो रहा है। राज्य के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने भी इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को पत्र लिखा है। स्टालिन ने कहा है कि परिसीमन से तमिलनाडु को नुकसान होगा और राज्य की लोकसभा में सीटें कम हो जाएंगी। कमल हासन ने भी स्टालिन के इस विरोध का समर्थन किया है। उन्होंने कहा है कि परिसीमन से देश की एकता और अखंडता को खतरा है। कमल हासन के इस बयान से तमिलनाडु में परिसीमन के मुद्दे पर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। देखना होगा कि केंद्र सरकार इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाती है। कमल हासन ने केंद्र सरकार से अपील की है कि वह परिसीमन के फैसले पर पुनर्विचार करे।

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