तीन बार भारत आईं एलिजाबेथ II, 1961 में गणतंत्र दिवस पर थीं चीफ गेस्ट

नई दिल्ली,

ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने गुरुवार रात को अंतिम सांस ली. वह 96 साल की थीं और काफी समय से बीमार थीं. 70 सालों तक ब्रिटेन की गद्दी संभाल चुकीं महारानी एलिजाबेथ द्वितीय तीन बार 1961, 1983 और 1997 में भारत का दौरा कर चुकी हैं. वह पहली बार भारत को आजादी मिलने के लगभग 15 साल बाद 1961 में अपने पति ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग ( Duke of Edinburgh) के साथ भारत दौरे पर आई थीं. यह उनका भारत का पहला शाही दौरा था. उस समय भारत के राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद, प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और उपराष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने दिल्ली हवाईअड्डे पर शाही जोड़े का स्वागत किया था. एलिजाबेथ द्वितीय का यह दौरा लगभग एक महीने का था उन्होंने भारत प्रवास के दौरान पड़ोसी देशों पाकिस्तान और नेपाल का दौरा भी किया था. महारानी जहां भी जाती थीं, बड़ी संख्या में लोगों का हुजूम उनकी एक झलक देखने के लिए सड़कों पर उतर आता था.

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उनके दादा किंग जॉर्ज पंचम और क्वीन मैरी ने इससे पहले 1911 में भारत का दौरा किया था. एलिजाबेथ द्वितीय ने अपने पिता किंग जॉर्ज षष्ठम के निधन के बाद छह फरवरी 1952 को गद्दी संभाली थीं.

महारानी एलिजाबेथ द्वितीय गणतंत्र दिवस के मौके पर मुख्य अतिथि थीं
1961 में भारत के गणतंत्र दिवस के मौके पर महारानी एलिजाबेथ द्वितीय गेस्ट ऑफ ऑनर थीं. उस समय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने क्वीन का स्वागत करने के लिए रामलीला मैदान में एक कार्यक्रम की मेजबानी भी की थी, जहां उन्होंने भाषण दिया था. उन्होंने अपने इस संबोधन में इस बेहतरीन मेहमाननवाजी के लिए भारत का आभार जताया था. इस दौरान दिल्ली कॉरपोरेशन ने उन्हें हाथी के दांतों से बनी कुतुब मीनार का दो फीट लंबा मॉडल भेंट दिया था. महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने 27 जनवरी को ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज की इमारतों का उद्घाटन भी किया था, जहां उन्होंने परिसर में कुछ पौधे भी लगाए थे.

गणतंत्र दिवस परेड से पहले महारानी एलिजाबेथ द्वितीय और ड्यूक फिलिप ने जयपुर का दौरा भी किया था, जहां उनका शाही स्वागत किया गया. उस समय उन्होंने महाराजा पैलेस के आंगन में जयपुर के महाराजा संवाई मान सिंह द्वितीय के साथ हाथी की सवारी भी की थी.

ताजमहल का दीदार भी किया
गणतंत्र दिवस की परेड के बाद महारानी एलिजाबेथ द्वितीय आगरा के लिए रवाना हो गई थीं, जहां खुली जीप में सवार होकर उन्होंने ताजमहल तक का सफर किया. इस दौरान उन्होंने सड़कों पर उमड़ें हजारों लोगों की ओर हाथ हिलाकर उनका अभिवादन स्वीकार किया. यह शाही जोड़ा उदयपुर भी पहुंचा था, जहां मेवाड़ के महाराज भगवत सिंह ने उनकी मेजबानी की.

बनारस दौरे के दौरान गंगा नदी में नौका सवारी की
इसके बाद वह पाकिस्तान के कराची रवाना हो गईं.पाकिस्तान में पंद्रह दिन बिताने के बाद वह फिर भारत लौटीं और दुर्गापुर स्टील प्लांट का दौरा किया. इस प्लांट को ब्रिटेन की मदद से ही तैयार किया गया था. क्वीन ने यहां प्लांट के कर्मचारियों से मुलाकात की.

इसके बाद वह कलकत्ता के लिए रवाना हो गईं. कलकत्ता में उनका जोरदार स्वागत हुआ. हवाईअड्डे से लेकर राजभवन तक के रास्ते में लोगों की भीड़ उनकी एक झलक पाने के लिए उमड़ पड़ी. कलकत्ता प्रवास के दौरान शाही दंपति ने विक्टोरिया मेमोरियल का भी दौरा किया, जिसे लॉर्ड कर्जन ने तैयार किया था.

कलकत्ता के बाद शाही अतिथि बेंगलुरु पहुंचे, जहां मैसूर के महाराजा और बेंगलुरु के मेयर ने उनका स्वागत किया. यहां उन्होंने बॉटेनिकल गार्डन लाल बाग में पौधे भी लगाए. महारानी अपने दौरे के अंतिम चरण में बॉम्बे और बनारस भी गईं, जहां उन्होंने गंगा घाट पर नाव की सवारी भी की. 1983 में भारत दौरे के दौरान उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मुलाकात की और बाद में मदर टेरेसा से भी मिलीं.

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