नई दिल्ली,
चप्पल… हां ये चप्पल तो उसी की है. अरे… ईहे जकिटिया तो पहिरे थे… अरी अम्मा कहां बाटू!… झोलवा त इहे बा…
दस्ताने, मफलर, रूमाल, दुपट्टे, अनगिनत चप्पलें, जूते और सैंडिलें… नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर लोगों को दर्द और आंसू का सबब देने के बाद जब भीड़ छंट गई तो FOB के रास्तों, सीढ़ीयों, एस्केलेटर और प्लेटफॉर्म पर यही सब बिखरा हुआ था.
चीजें जो किसी की रही होंगी, किसी के साथ आई थीं, जो सफर में उनका हिस्सा बनने वाली थीं अब वो सिर्फ निशानियां बनकर यहां बिखरी पड़ी हैं. उनकी क्या कीमत है अभी इसका कोई मतलब नहीं, लेकिन अभी के वक्त में वो बेशकीमती हैं.
इसलिए, क्योंकि लोग रोते-बिलखते लोग इन चीजों को ही दिखाकर, देखकर और दूसरे लोगों से पूछ-पूछ कर अपने उन लोगों की तलाश करते रहे, जो उस भगदड़ का शिकार हो गए जो बीती रात नई दिल्ली रेलवे स्टेशन मची. जिसमें 18 लोग यूं ही काल के गाल में समा गए, कई घायल हैं तो कई देर रात के बाद सुबह तक अपने से बिछड़ गए परिजनों को खोजते रहे.
कभी प्लेटफॉर्म पर, कभी सीढ़ियों पर तो कभी FOB पर. वो इन बिखरी चीजों में से अपने-अपने संबंधी-रिश्तेदारों की तलाश करते रहे. ये भगदड़ सिर्फ प्रशासन की लापरवाही और बदइंतजामी की कहानी नहीं है, ये उन लोगों की लाचारी, बेबसी और मौन चीख भी है, जिन्होंने एक झटके में अपने परिजनों को खो दिया. जो आए तो थे किसी सफर के लिए और यहां पहुंचना ही उनके लिए आखिरी सफर बन गया.
आपबीती… जो रुला देगी
दिल्ली से नवादा जा रहा था पूरा परिवार. शनिवार शाम तक परिवार में चार लोग थे, अब दो लोग बचे हैं. भगदड़ में राज कुमार मांझी की दुनिया ही उजड़ गई. बेटी और पत्नी की मौत हो चुकी है. रेलवे ने भी लिस्ट जारी कर दी है, जिसमें पुष्टि हो रही है कि राजकुमार की पत्नी और मासूम बेटी अब इस दुनिया में नहीं है.
भगदड़ के बाद राज कुमार मांझी बदहवास इधर-उधर भाग रहे थे. पत्नी बच्चों को ढूंढ रहे थे. लेकिन कुछ देर बाद राज कुमार को जो खबर मिली, उससे वो टूट गए. खुद राज कुमार हादसे के चश्मदीद हैं. राजकुमार की आंखों में अब आंसू नहीं हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि अभी उनके आंसू पोछने वाला कोई नहीं है, पत्नी-बेटी साथ छोड़ चुकी है.
बेटा जिंदा, पर पता नहीं कहां है
राजकुमार कहते हैं, ‘बिहार के नवादा का रहने वाला हूं, परिवार के साथ घर जा रहा था. 7 नंबर प्लेटफॉर्म पर हमारी ट्रेन रात करीब 10.15 बजे थी, जिसे पकड़ने के लिए जा रहे थे. सीढ़ी पर उतरते समय भगदड़ मच गई, फिर सब बिछड़ गए. होश संभाला तो अपने परिवार का कोई आसपास नहीं था. अब पता चला है कि पत्नी और बेटी हमारी मर चुकी है. बेटा जिंदा है, लेकिन कहां है ये पता नहीं है. किसी का फोन आया था. उसने बताया बेटा सुरक्षित है. शायद किसी ने भीड़ से खींचकर उसे बाहर निकाल लिया, जिससे उसकी जान बच गई. लेकिन पत्नी और बेटी की लाश पड़ी है.’
हम सोच रहे थे घर लौट आएं, लेकिन तभी…
थोड़ी दूर पर एक महिला रोए जा रही थी. उन्होंने बताया कि दिल्ली के संगम विहार से प्रयागराज जाने के लिए निकले थे. जब वह स्टेशन पहुंची, तो हालात देखकर ही डर लगने लगा था. भीड़ बेकाबू थी और प्लेटफॉर्म पर खड़े होने तक की भी जगह नहीं थी. हम सोच रहे थे कि किसी तरह प्लेटफॉर्म से निकलकर वापस घर लौट जाएं, लेकिन तभी अफरा-तफरी मच गई और सबकुछ बेकाबू हो गया. मेरी ननद हमारे साथ थी, लेकिन अचानक हाथ छूट गया और वह भीड़ में दब गई. हमने उसे उठाने की कोशिश की, बार-बार पुकारा – बेटा उठो! लेकिन उसके मुंह से झाग निकल रहा था, उसकी मौत हो चुकी थी.
भीड़ बढ़ी, धक्के आए और गिरने लगे लोग
रवि ने बताया कि भगदड़ रात करीब 9:30 बजे मची. प्लेटफॉर्म नंबर 13 पर मौजूद लोगों ने प्लेटफॉर्म 14 और 15 पर ट्रेनें देखीं तो वे इन प्लेटफॉर्मों की ओर बढ़ गए. ट्रेनों के प्लेटफॉर्म नहीं बदले गए, लेकिन भीड़ इतनी ज्यादा थी कि उसे नियंत्रित नहीं किया जा सका.
एक प्रत्यक्षदर्शी के अनुसार, प्लेटफॉर्म पर लोगों की भीड़ इतनी ज्यादा हो गई थी कि एक-दूसरे को धक्का देते हुए यात्री गिरने लगे. कुछ यात्री ट्रेन के इंजन के आगे गिर गए, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई. वहीं, सीढ़ियों पर भी भीड़ इतनी ज्यादा थी कि लोग एक-दूसरे पर गिरते चले गए. कुछ यात्रियों की मौत दम घुटने से हुई, जबकि कुछ कुचलकर मारे गए.एक महिला ने रोते हुए बताया कि मेरी मम्मी इस हादसे का शिकार हो गईं. वहीं एक अन्य महिला ने कहा कि मेरा बेटा इस भगदड़ में किसी तरह बच गया, यह सिर्फ भगवान का चमत्कार है.
भगदड़ में छूट गया सास का साथ
भगदड़ में बिहार के सोनपुर के रहने वाले पप्पू ने अपनी सास को खो दिया. उन्होंने बताया कि अगर उनकी सास को समय पर अस्पताल पहुंचाया गया होता तो उनकी जान बचाई जा सकती थी. हादसे के बाद बदहवास पप्पू ने बताया कि मेरी सास की मौत हो गई. उनकी आयु 50 वर्ष के करीब थी. हम शाम को 4 बजे ही प्लेटफॉर्म पर आ गए थे. हम दिल्ली से बिहार के दानापुर जा रहे थे. दानापुर से सोनपुर जाते और प्लेटफॉर्म 15 पर ट्रेन का इंतजार कर रहे थे. इसी बीच करीब 9 बजे के आसपास भगदड़ मच गई. जिससे कई लोग दब गए.
पीड़ितों में से एक ने बताया कि भगदड़ में उसकी मां की मौत हो गई. उसने कहा कि हम एक ग्रुप में बिहार के छपरा में अपने घर जा रहे थे, लेकिन मेरी मां की अफरा-तफरी में मौत हो गई. लोग एक-दूसरे को धक्का दे रहे थे. डॉक्टर ने हमें पुष्टि की है कि मेरी मां की मौत हो गई है. मृतक के परिवार की एक अन्य सदस्य महिला शोक में बेहोश हो गई. प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि स्टेशन पर भारी भीड़ के कारण भगदड़ मची और कई लोग दम घुटने के कारण बेहोश हो गए.
प्रशासन की बदइंतजामी
एक शख्स अजीत ने कहा कि भीड़ बहुत थी. ट्रेन का अनाउंसमेंट गलत हो गया था. प्लेटफॉर्म बदला गया. इसी के बाद भीड़ इधर उधर जाने लगी, जिसमें 18 की मौतें हुईं. कई लोग घायल हुए और कई बेहोश हो गए. हादसे के बाद कुली भाइयों और यहां मौजूद लोगों ने ही मदद की. अपनी गोद में लोगों को उठाकर ले गए. यहां प्रशासन नाममात्र को था.
भगदड़ से बचने को FOB से कूद गए लोग
एक और प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर प्रयागराज जाने के लिए भारी भीड़ जमा थी, जब भगदड़ मची. स्थानीय लोगों ने बताया कि हालात कैसे खराब हुए. भारी संख्या में लोग सीढ़ियों पर थे, जब भीड़ बेकाबू हो गई. हादसे के बाद सीढ़ियों पर लोगों चप्पल-जूते और उनके कपड़े देखे जा सकते हैं. भगदड़ के दौरान प्लेटफॉर्म और फुटओवर ब्रिज पर लोगों की जान बचाने की जद्दोजहद जारी थी. कुछ यात्रियों ने भीड़ से बचने के लिए फुटओवर ब्रिज से प्लेटफॉर्म शेड पर छलांग लगा दी, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए. हादसे के बाद रेलवे प्रशासन ने प्लेटफॉर्म पर बिखरे जूते, बैग और अन्य सामानों को हटाने का काम शुरू कर दिया है.