नई दिल्ली
भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एनवी रमना ने शनिवार को कहा कि राजनीतिक विरोध का शत्रुता में बदलना स्वस्थ लोकतंत्र का संकेत नहीं है। उन्होंने कहा कि कभी सरकार और विपक्ष के बीच जो आपसी सम्मान हुआ करता था वह अब कम हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना राष्ट्रमंडल संसदीय संघ की राजस्थान शाखा के तत्वावधान में ‘संसदीय लोकतंत्र के 75 वर्ष’ संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।
चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि राजनीतिक विरोध, बैर में नहीं बदलना चाहिए, जैसा हम इन दिनों दुखद रूप से देख रहे हैं। ये स्वस्थ लोकतंत्र के संकेत नहीं हैं। उन्होंने कहा सरकार और विपक्ष के बीच आपसी आदर-भाव हुआ करता था। दुर्भाग्य से विपक्ष के लिए जगह कम होती जा रही है।
उन्होंने विधायी प्रदर्शन (परफारमेंस) की गुणवत्ता में गिरावट पर भी चिंता जताई। न्यायमूर्ति रमना ने कहा कि दुख की बात है कि देश विधायी प्रदर्शन की गुणवत्ता में गिरावट देख रहा है। उन्होंने कहा कि कानूनों को व्यापक विचार-विमर्श और जांच के बिना पारित किया जा रहा है।
वहीं जयपुर में ही एक दूसरे कार्यक्रम में एनवी रमणा ने विचाराधीन कैदियों की दशा-दिशा पर चिंता जताई. एनवी रमणा ने कहा कि देश के 6.10 लाख कैदियों में से, लगभग 80 प्रतिशत विचाराधीन हैं. उन्होंने कहा कि देश में क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम की क्षमता को चुस्त-दुरुस्त करने की जरूरत है. रमणा ने कहा कि बिना किसी मुकदमे के बड़ी संख्या में लोगों को लंबे समय तक कैद में रखने पर ध्यान देने की जरूरत है. CJI जयपुर में 18वें अखिल भारतीय कानूनी सेवा प्राधिकरण के उद्घाटन सत्र में अपने विचार रख रहे थे.