नई दिल्ली,
सऊदी अरब के मक्का मस्जिद आने वाले तीर्थयात्रियों में इस समय खुशी का माहौल है. इसकी वजह है कि मक्का मस्जिद के पवित्र काबा के चारों ओर की गई घेराबंदी को हटा दिया गया है. इसके बाद लोग फिर से काबा के अल-हजर अल-असवाद (काले पत्थर) को छू और चूम सकेंगे.
दरअसल दो साल पहले 2020 में कोरोना महामारी की वजह से एहतियात के तौर पर काबा की घेराबंदी कर दी गई थी. ऐसा सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करने के तहत किया गया था. प्रशासन ने मक्का तीर्थयात्रियों को काबा के पास के अर्धचंद्राकार क्षेत्र हिज्र इस्मायल (Hijr Ismail) तक पहुंचने की भी मंजूरी दे दी. कोरोना के मद्देनजर सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करते हुए इन स्थानों तक पहुंचने और इन्हें छूने पर रोक लगा दी गई थी.
प्रशासन के आदेश के बाद जब बुधवार को काबा की घेराबंदी हटाई जा रही थी तो उससे पहले हल्की बारिश भी हुई, जिसे आमतौर पर इस्लाम में शुभ संकेत माना जाता है. इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि हिज्र इस्मायल को पवित्र काबा का हिस्सा माना जाता है. इसे हतीम भी कहते हैं. ये काबा से बिल्कुल सटा हुआ है और अर्द्धचंद्राकार है.
Watch: Moment when overjoyed #Makkah pilgrims could touch Holy #Kaaba again after 2 years.#SaudiArabia has removed barriers from around the site that were installed during the #Covid19 pandemic. https://t.co/wSIWWZkUAn pic.twitter.com/kjyM3Z72bb
— Khaleej Times (@khaleejtimes) August 3, 2022
हिज्र इस्मायल वह स्थान है, जहां पैगंबर इब्राहिम ने अपने बेटे इस्मायल और उसकी पत्नी हाजरा के लिए एक शेल्टर का निर्माण कराया था. हतीम की दीवार से सटा लगभग तीन मीटर क्षेत्र काबा का ही हिस्सा है जबकि बाकी हिस्सा काबा के बाहर का है.सऊदी अरब के किंग सलमान ने काबा की घेराबंदी हटाने के आदेश दिए थे, जिसके बाद मंगलवार को डॉ. अब्दुल रहमान ने इस फैसले का ऐलान किया था.
दो पवित्र मस्जिदों के मामलों के जनरल प्रेसीडेंसी के अध्यक्ष शेख डॉ अब्दुल रहमान अल-सुदाईस ने दोनों पवित्र मस्जिदों की देखरेख और सहयोग के लिए किंग सलमान और क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान का आभार जताया.जनरल प्रेसीडेंसी का काम दोनों पवित्र मस्जिदों के लिए हरसंभव सेवा मुहैया कराना है. इसके साथ ही यह भी ध्यान रखा जाता है कि तीर्थयात्रियों की इबादत में किसी तरह की खलल नहीं पड़े.