कोलकाता
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रविवार को एक भाषण के दौरान बीजेपी सरकार को निशाने पर लिया। उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं से अप्रत्यक्ष रूप से अपील की कि अगर केंद्रीय एजेंसी के लोग उनके दरवाजे तक पहुंचते हैं तो वे सड़कों पर उतरें। बंगाल सीएम की यह टिप्पणी राज्य में पार्थ चटर्जी, अर्पिता बनर्जी और अनुब्रत मंडल पर केंद्रीय एजेंसी के कसे शिकंजे के बाद आई है। ममता के इस बयान के बाद अब राज्य में राजनीतिक और कानूनी हलकों में बड़ी बहस छिड़ गई। ममता बनर्जी पर बीजेपी ने निशाना साधा है। कहा जा रहा है कि ममता बनर्जी टीएमसी के कार्यकर्ताओं को हिंसा के लिए भड़का रही हैं।
रविवार की देर शाम दक्षिण कोलकाता में एक जनसभा में मुख्यमंत्री ने कहा, ‘क्या आप सभी डरे हुए हैं? अगर वे कल मेरे घर पहुंचेंगे तो आप क्या करेंगे? क्या आप सड़कों पर नहीं उतरेंगे? क्या आप लोकतांत्रिक लड़ाई नहीं लड़ेंगे?’
‘कार्यकर्ताओं को उकसा रहीं’
पश्चिम बंगाल में भाजपा के राज्य प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने सवाल किया कि मुख्यमंत्री अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को क्यों उकसा रही हैं, जबकि केंद्रीय एजेंसियों ने अभी तक यह संकेत नहीं दिया है कि मुख्यमंत्री के दरवाजे तक पहुंचने जैसा कुछ भी हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘क्या यह आने वाले दिनों में केंद्रीय एजेंसी की संभावित कार्रवाइयों की आशंका में भ्रष्टाचार में शामिल होने की अप्रत्यक्ष स्वीकृति है।’
‘झलक रहा डर’
सीपीएम की केंद्रीय समिति के सदस्य रॉबिन देब ने कहा कि डर मुख्यमंत्री के हाव-भाव और बयानों में साफ झलक रहा है। उन्होंने कहा, ‘नहीं तो वह कहतीं कि एजेंसियों को अपना काम करने दें।इस बीच, राज्य में कानूनी दिमाग विभाजित हैं कि क्या मुख्यमंत्री की टिप्पणी एक गुप्त आपराधिक कृत्य थी जो उनके अनुयायियों को लोक सेवकों को उनके कर्तव्यों का पालन करने से रोकने के लिए प्रोत्साहित करती थी।
कलकत्ता उच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील और सीपीएम के राज्यसभा सदस्य बिकाश रंजन भट्टाचार्य के अनुसार, मुख्यमंत्री ने परोक्ष रूप से स्वीकार किया कि वह सीधे भ्रष्टाचार में शामिल हैं। भट्टाचार्य ने कहा, ‘उन्होंने अपने बेहूदा पार्टी कार्यकर्ताओं को सड़कों पर उतरने के लिए उकसाकर एक आपराधिक कृत्य किया है।’
क्या बोले हाई कोर्ट के वकील
हालांकि, कलकत्ता हाई कोर्ट के वरिष्ठ वकील कौशिक गुप्ता, भट्टाचार्य के अवलोकन से थोड़ा असहमत हैं। उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि मुख्यमंत्री की टिप्पणियां आपराधिक अपराध के समान हैं। उन्होंने एक काल्पनिक स्थिति पर एक काल्पनिक बयान दिया कि उनके दरवाजे पर केंद्रीय एजेंसी की गतिविधियां हो सकती हैं। मुख्यमंत्री की टिप्पणियों को एक आपराधिक कृत्य माना जा सकता था, अगर उन्होंने एजेंसी की कार्रवाई के दौरान या बाद में ऐसा कहा होता। लेकिन अभी, उनकी टिप्पणियों को आपराधिक अपराध नहीं माना जा सकता है।’