भगवा रंग में रंगे आरसीपी सिंह, क्या BJP में शामिल होने का है इशारा?

नालंदा,

पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह मंगलवार को भगवामय नजर आए. नालंदा के सिलाव पहुंचे आरसीपी का भाजपा कार्यकर्ताओं ने भव्य स्वागत किया. इस दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं ने उन्हें भगवा वस्त्र दिए. कार्यक्रम में मौजूद आरसीपी सिंह ने कहा, ‘हमारे साथी की माताजी का निधन हो गया है. इसलिए वे उनके परिवार को सांत्वना देने जा रहे हैं. उनके इस प्रोग्राम के बीच ही कार्यकर्ता उनका स्वागत कर रहे हैं. हालांकि, उन्होंने राजनीति से जुड़े सवालों पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया.’

आरसीपी सिंह ने कार्यक्रम में मौजूद कार्यकर्ताओं से कहा कि संगठन कार्यकर्ताओं से बनता है. इसलिए हम हमेशा कार्यकर्ताओं के साथ रहते हैं. इस दौरान भाजपा ग्रामीण मंडल अध्यक्ष बबलू सिंह ने कहा कि आरसीपी सिंह ने भाजपा में आने का संकेत दिया है. यही कारण है कि आज वे भाजपा के कार्यकर्ताओं से मिलने पहुंचे. आरसीपीसिंह के भाजपा में आने से पार्टी और भी मजबूत होगी.

बता दें कि कभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का दांया हाथ माने जाने वाले जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरपीसी सिंह ने 6 अगस्त को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दिया था. उन्होंने नालंदा में अपने गांव मुस्तफापुर में इस्तीफे का ऐलान किया था. दरअसल, जदयू ने उन्हें तीसरी बार राज्यसभा भेजने से मना कर दिया था, जिसकी वजह से उन्हें मोदी सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा.

इस्तीफे की घोषणा के साथ ही उन्होंने कहा था कि इस पार्टी में कुछ नहीं बचा है. वो (JDU)डूबता हुआ जहाज है. हमसे चिढ़ है, तो हमसे निपटो, हमारे पास विकल्प खुले हुए हैं. मोदी सरकार के मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के बाद जब आरसीपी सिंह पटना पहुंचे थे तो उन्होंने अपनी मंशा साफ की थी. उन्होंने कहा था- वह शांत नहीं बैठेंगे. मैं जमीन का आदमी हूं, संगठन का आदमी हूं और संगठन में काम करूंगा.

साल 2016 में आरसीपी सिंह को जेडीयू ने दोबारा राज्यसभा भेजा था और शरद यादव की जगह राज्यसभा में पार्टी का नेता भी मनोनीत किया था. वहीं, नीतीश कुमार ने जेडीयू राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छोड़ा तो आरसीपी सिंह को ही पार्टी की कमान सौंपी गई. इस तरह नीतीश के बाद जेडीयू में वो नंबर दो की हैसियत वाले नेता बन गए. लेकिन मोदी कैबिनेट का हिस्सा बनने के बाद उनके रिश्ते में दरार आने लगी. आरसीपी को तीसरी बार जेडीयू से राज्यसभा पहुंचने का मौका नहीं मिला, जिसके चलते उन्हें मोदी कैबिनेट छोड़ना पड़ा.

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